बड़ा सोचो…छोटा करो…लगातार करते रहो..

बड़ा सोचो…छोटा करो…लगातार करते रहो

कठोरता अपनाएं स्वयं के साथ

निरतंरता रखे अपने प्रयासों में

सहजता रखें सभी नतीजों में

परिणाम 

आइए अंत में सबसे रहस्यमयी और संजीवनी बूटी को जान लेते हैं, इसको समझने के लिए जीवन की व्यवस्था को समझना ही होगा…भगवान श्रीकृष्ण गीता में उपदेश देते हुए कहते हैं …

इसी कर्म गति को समझते हुए परिणाम से प्रभावित हुए बिना सहज भाव से निरतंर कर्म करते रहें, परिणाम तो अवश्यंभावी मिलना ही है।भगवान कहते हैं उसे मैं टाल नहीं सकता ।

                            –        *रविन्द्र नरवरिया* 

                                 (करियर काउंसलर,लाइफ मैनेजमेंट कोच )

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नेकी कर लाॅटरी निकालबड़ा सोचो…छोटा करो…लगातार करते रहो

साज़िशें बहुत हैं जमाने में, जरा संभल कर चलना ,
डगमगाए जब कदम, चराग नेकी का जलाकर चलना ।

कभी न कभी आपने ‘नेकी कर दरिया में डाल’ कहावत तो यकीनन सुनी होगी, बोली होगी या फिर ऐसा किया भी होगा। लेकिन प्रकृति के नियम बहुत ही सरल और न्यायसंगत हैं। जैसे कर भला तो हो भला । ब्रिटेन में एक किसान था एक दिन वह अपने खेत में काम कर रहा था तभी अचानक उसने किसी के चीखने की आवाज सुनी, किसान उस आवाज की दिशा में गया तो देखा कि एक बच्चा दलदल में फंस रहा है। किसान ने अपनी जान जोखिम में डाल उस बच्चे को दलदल से बाहर निकाला। दूसरे दिन किसान के घर के पास एक घोड़ा गाड़ी आकर रुकी, उसमें से एक अमीर आदमी उतरा और बोला मैं उसी बच्चे का पिता हूं, जिसे कल आपने बचाया था, मैं आपके इस एहसान को चुकाना चाहता हूँ, लेकिन किसान ने कुछ भी लेने से इंकार कर दिया और कहा यह एक इंसान होने के नाते मेरा फर्ज था कि किसी दूसरे इंसान की जरूरत पड़ने पर मदद करे, इसका आपके उपर कोई एहसान नहीं। जब किसान और अमीर के बीच बात हो रही थी उसी दौरान किसान का बेटा बाहर आया। उसे देखते ही अमीर आदमी ने किसान से कहा कि मैं तुम्हारे बेटे को अपने बेटे की तरह पालना चाहता हूँ, उसे भी वे सारी सुख-सुविधाएं और उच्च शिक्षा दी जाएगी, जो मेरे बेटे के लिए होगी ताकि भविष्य में वह एक बड़ा आदमी बन सके। बच्चे के भविष्य की खातिर किसान ने अमीर आदमी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

किसान के बेटे ने लंदन के प्रतिष्ठित सेंट मेरीज हॉस्पिटल मेडिकल स्कूल से स्नातक किया और प्रसिद्ध चिकित्सक बन गया। इसी दौरान उस अमीर आदमी का बेटा बहुत बीमार पड़ गया। लेकिन उस किसान के बेटे की बनाई एक दवाई से उस अमीर आदमी के बेटे की जान बच गई। किसान का नाम था फ्लेमिंग, किसान के बेटे का नाम था ‘सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग’ वही महान वैज्ञानिक जिसने
पेनिसिलिन का आविष्कार किया था। वह अमीर आदमी था रैडोल्फ चर्चिल, और उसका बेटा जिसकी एलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने जान बचाई थी वह था विस्टन चर्चिल जो दो बार ब्रिटेन का प्रधानमंत्री रहा। बहरहाल, इस किस्से से यह बात जाहिर होती है कि कुदरत के नजरिये से देखें तो नेकी कर दरिया में डाल से आगे आता है नेकी कर लॉटरी में निकाल। कहने का मतलब सिर्फ इतना सा है कि हम जिंदगी में कभी अगर कुछ अच्छा करते हैं तो उसका अच्छा प्रतिफल भी मिलता है। हो सकता है कि हम अपनी जीवन की घटनाओं को कभी इस नजरिये से नहीं देखते हों, लेकिन ऐसा होता है, यकीनन ऐसा होता है ।

(रविन्द्र नरवरिया)

(लेखक लाईफ मैनेजमेंट कोच व केरियर काउंसलर हैं व बीस वर्षों से सिविल सर्विसेज प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए अध्यापन कार्य कर रहे हैं)

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