इलाहाबाद उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक आदेश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक आदेश

इलाहाबाद उच्च न्यायालय (उत्तर प्रदेश) उच्च न्यायालय (High Court) ने 18 अगस्त 2015 को दिए अपने ऐतिहासिक आदेश में राज्य में प्राथमिक विद्यालयों (Primary Schools) की स्थिति को सुधारने के उद्देश्य से कहा कि नौकरशाह, चुने हुए जनप्रतिनिधि, न्यायपालिका से जुड़े लोग तथा ऐसे समस्त कर्मी जो राज्य सरकार से वेतन प्राप्त करते हैं, को अपने बच्चों को सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में भेजना होगाl
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपना यह ऐतिहासिक आदेश उमेश कुमार सिंह नामक याची तथा अन्य याचियों द्वारा दायर याचिका के सम्बन्ध में दिया जिसमें वर्ष 2013 और 2015 में सरकार द्वारा संचालित प्राथमिक तथा जूनियर हाई स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की खस्ताहाल स्थिति को संज्ञान में लेते हुए कहा कि प्रदेश में स्कूलों की स्थिति में तभी सुधार आयेगा जब उच्च अधिकारी, जनप्रतिनिधि तथा अन्य सरकारी कर्मचारी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजेंगे। यह आदेश देने वाले न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल (Justice Sudhir Agarwal) ने यह भी कहा कि इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ उपयुक्त दण्डात्मक कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाय तथा ऐसे लोगों द्वारा अपने बच्चों की प्राइवेट शिक्षा पर होने वाले खर्च के बराबर राशि सरकारी खजाने में जमा कराई जानी चाहिए। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कर अगले सत्र से इसे प्रभाव में लाने का निर्देश भी दिया। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भी देने को कहा गया है।

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