उष्णकटिबंधीय चक्रवात मार्सिया और लैम ऑस्ट्रेलियाई तट से टकराए

उष्णकटिबंधीय चक्रवात मार्सिया और लैम ऑस्ट्रेलियाई तट से टकराए

ऑस्ट्रेलिया में 20 फरवरी 2015 को दो उष्णकटिबंधीय चक्रवात मार्सिया और लाम एक साथ आए.यह पहली बार है जब दो तुफान एक साथ ऑस्ट्रेलिया में एक ही समय पर आए.उष्णकटिबंधीय चक्रवात मार्सिया श्रेणी पांच का तूफान था और इसने क्वींसलैंड को भारी नुक्सान पहूँचाया है.चक्रवात लाम श्रेणी चार का तूफान था और इसने उत्तरी क्षेत्र को प्रभावित किया .
इससे पहले 1977 और 1986 में भी दो चक्रवातों ने ऑस्ट्रेलिया को पार किया था.लेकिन वे उष्णकटिबंधीय चक्रवात मार्सिया और लाम जितने गंभीर नहीं थे.
उष्णकटिबंधीय चक्रवात जब वर्ग तीन(165 से 124 कीमी प्रति घंटे) में पहुँच जाता है तो उसे खतरनाक माना जाता है.
जबकि श्रेणी पाँच(280 कीमी प्रति घंटे) को उच्चतम श्रेणी का तूफ़ान माना जाता है.श्रेणी पाँच के तूफान बेहद विनाशकारी होते हैं.

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असम चिड़ियाघर विलुप्तप्राय पिग्मी हॉग वाला दुनिया का पहला चिड़ियाघर बना

गुवाहाटी स्थित असम राज्य चिड़ियाघर ने विलुप्तप्राय सूअर पिग्मी हॉग (प्रोक्यूला सालवानिया) को रखने का फैसला नवंबर 2014 के तीसरे सप्ताह में किया. पिग्मी हॉग दुनिया में पाया जाने वाला सबसे छोटा जंगली सूअर है. इस पुष्टि के बाद असम राज्य चिड़ियाघर विश्व का एकमात्र ऐसा चिड़ियाघर बन गया जहां सूअरों की यह विलुप्तप्राय प्रजाति जीवित है.

चिड़ियाघर प्रशासन ने पिग्मी हॉग्स को रखने का फैसला इसलिए किया कि यह प्रजाति खत्म होने की कगार पर है और वे चाहते हैं कि यह चिड़ियाघर विल्पुतप्राय स्तनधारियों के लिए सक्षम प्रजनन केंद्र बने.

असम का पिग्मी हॉग अनुसंधान एवं प्रजनन केंद्र असम चिड़ियाघर को सूअर मुहैया कराएगा.

पिग्मी हॉग को संरक्षण करने के क्रम में, चिड़ियाघर में एक बाड़े में बारेंगा घास लगाकर इनके लिए नकली आवास बनाया गया है. इन घासोंको ओरंग राष्ट्रीय उद्यान से एकत्र किया गया था.

इससे पहले 1970 और 1990 के बीच असम चिड़ियाघर में कुछ पिग्मी हॉग्स को लोगों को देखने के लिए रखा गया था और लगभग दो दशकों के बाद एक बार फिर लोगों को देखने के लिए इसे रखने की योजना है.

पिग्मी हॉग (प्रोक्यूला सालवानिया) से सम्बंधित मुख्य तथ्य
पिग्मी हॉग असम में पाया जाने वाला सबसे छोटा और विशेष प्रकार का जंगली सूअर है. वर्तमान में इस विलुप्तप्राय स्तनपायी की संख्या सिर्फ 200 के करीब है. इस प्रजाति की लंबाई करीब 65 सेंटीमीटर और उंचाई 25 सेंटीमीटर होती है. इसका वजन 8 से 9 किलोग्राम होता है.

यह प्रजाति भारत और नेपाल में अपनी मूल सीमा से अधिकांशतः पूरी तरह नष्ट हो चुकी है जिसकी वजह से यह विलुप्त होने की कगार पर है. इससे पहले, यह प्रजाति नेपाल की तराई और बंगाल डुवअर्स (बाढ़ का मैदान और पूर्वी हिमालय का तलहटी) और उत्तर प्रदेश से असम के हिमलाय की तलहटी के दक्षिण में संकरे लंबे और दलदली चारागाह मैदानों में पाई जाती थी.

वर्तमान में, यह प्रजाति अब सिर्फ उत्तरपश्चिम असम के मानस टाइगर रिजर्व, सोनाई रुपाई वन्यजीव अभ्यारण्य और ओरंग राष्ट्रीय उद्यान जैसी जगहों में ही पाई जाती है.

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