एफडीआई(FDI) नीति की समीक्षा के प्रस्ताव को मंजूरी
एफडीआई(FDI) नीति की समीक्षा के प्रस्ताव को मंजूरी
28 अगस्त , 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कई क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश ( एफडीआई ) नीति की समीक्षा के प्रस्ताव को मंजूरी दी है । एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र के लिए एफडीआई नियमों को उदार बनाया गया है । साथ ही ठेका विनिर्माण और कोयला खनन एवं संबधित बुनियादी ढांचे में स्वतः मंजूरी मार्ग से शत -प्रतिशत एफडीआई की अनुमति होगी ।
हांलाकि अब डिजिटल मीडिया में 26 प्रतिशत एफडीआई के लिए अनुमति लेनी होगी । पहले इसमें एफडीआई की कोई सीमा नहीं थी । एकल ब्रांड खुदरा में एफडीआई के लिए मंत्रिमंडल ने अनिवार्य रूप से 30 फीसदी घरेलू खरीद की परिभाषा के विस्तार को मंजूरी दी है ।
मंत्रिमंडल ने साथ ही एकल ब्रांड खुदरा कारोबार के तहत ऑनलाइन खुदरा बिक्री की अनुमति दे दी है । इस मामले में पहले स्टोर खोलने की अनिवार्यता से भी छूट दी गई है ।
आधारभूत बातें
एफडीआई आर्थिक विकास को गति देने वाला एक प्रमुख कारक है और देश के आर्थिक विकास के लिए गैर – ऋण वाले वित्त का स्रोत है । सरकार ने एफडीआई को लेकर एक निवेशक अनुकूल नीति बना रखी है , जिसके तहत अधिकांश क्षेत्रों / गतिविधियों में स्वचालित रास्ते से 100 % तक एफडीआई की अनुमति है । भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाने के लिए FDI नीति के प्रावधानों को हाल के वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में लगातार उदार बनाया गया ।
रक्षा विकास संबंधी निर्माण , ट्रेडिंग , फार्मास्यूटिकल्स , पावर एक्सचेंज , बीमा , पेंशन , अन्य वित्तीय सेवाओं , परिसंपत्ति पुननिर्माण कंपनियों , प्रसारण और नागरिक उड्यन जैसे कुछ क्षेत्र शामिल है ।
भारत के द्वारा किए गए सुधारों ने पिछले पांच वर्षों में भारत में रिकॉर्ड स्तर पर एफडीआई के प्रवाह को आकर्षित करने में योगदान दिया है । भारत में वर्ष 2009 – 10 से 2013 – 14 की पांच साल की अवधि की तुलना में वर्ष 2014 – 15 से 2018 – 19 तक कुल एफडीआई 286 बिलियन डॉलर रहा है । वास्तव में , 2018 – 19 में कुल एफडीआई 64 . 37 बिलियन ( अनतिम आंकड़ा ) डॉलर किसी भी वित्तीय वर्ष के लिए प्राप्त किया गया सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है ।
एफडीआई नियमों में छूट की आवश्यकता क्यों ?
दुनियाभर में एफडीआई की रफ्तार कम हुई है । ऐसी स्थिति में उम्मीद है कि इन घोषणाओं के बाद अपनी मजबूत स्थिति बरकरार रखने में सक्षम होंगे । निवेशक पूरी दुनिया में विनिर्माण केंद्र खोलना चाहते हैं । वे भारतीय बाजारों और निर्यात के लिए भारत में अपने उत्पाद बनाना चाहते हैं ।
अब तक भारत का मुख्य ध्यान खुदरा पर रहा है , लेकिन जब निवेशक भारत से निर्यात करते हैं तो हमें दोहरा लाभ मिलता है । इससे भारत को वैश्विक वैल्यू चेन से जुड़ने का मौका मिलेगा और कंपनियों की क्षमता बढ़ेगी ।
एफडीआई नीति में सुधार से प्रमुख प्रभाव एवं लाभ
एफडीआई नीति में बदलाव के परिणामस्वरूप भारत ज्यादा आकर्षक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश गंतव्य बन सकेगा इसका फायदा निवेश , रोजगार और विकास बढ़ाने में मिलेगा कोयला क्षेत्र में कोयले की बिक्री के लिए कोयला खनन , इससे संबंधित प्रसंस्करण यानी प्रोसेसिंग अवसंरचनाओं में स्वचालित रास्ते से 100 % एफडीआई एक कुशल और प्रतिस्पर्धी कोयला बाजार के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करेगा ।
अनुबंध के माध्यम से विनिर्माण मेक इन इंडिया के उद्देश्य में समान रूप से योगदान देता है । अब अनुबंध विनिर्माण में स्वचालित मार्ग के तहत एफडीआई की अनुमति दी जा रही है यह भारत में विनिर्माण क्षेत्र को एक बड़ा बढ़ावा देने वाला होगा ।
वित्त मंत्री के केंद्रीय बजट भाषण में एकल ब्रांड खुदरा व्यापार ( एसबीआरटी ) में एफडीआई के लिए स्थानीय सोर्सिंग मानदंडों को आसान बनाने की घोषणा की गई थी । एक आधार वर्ष में ज्यादा निर्यात वाली कंपनियों के लिए एक समान स्तर बनाने के अलावा इससे एसबीआरटी इकाइयों के लिए ज्यादा लचीलापन आएगा और परिचालन में आसानी होगी ।
इसके अलावा , पारंपरिक स्टोरों की शुरुआत से पहले ही ऑनलाइन बिक्री की अनुमति देने से नीतियों को बाजार के मौजूदा तरीकों से मिलाया जा सकेगा । ऑनलाइन बिक्री से लॉजिस्टिक्स , डिजिटल भुगतान , ग्राहक सेवा , प्रशिक्षण और उत्पाद कुशलता के क्षेत्र में भी रोजगार सृजन होगा ।