केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े संविधान संशोधन विधेयक को 17 दिसंबर 2014 को मंजूरी दी. केंद्र सरकार का 1 अप्रैल 2016 से जीएसटी लागू करने का लक्ष्य है.

पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने समेत अन्य जटिल मुद्दों को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच सहमति के बाद संशोधित संविधान संशोधन विधेयक को मंत्रिमंडल के समक्ष लाया गया. पेट्रोलियम उत्पादों पर कर को लेकर प्रस्तावित जीएसटी करीब सात वर्ष से लंबित था.
विदित हो कि ‘जीएसटी’ केंद्रीय स्तर पर उत्पाद शुल्क और सेवा कर तथा राज्यों में लगने वाले वैट एवं स्थानीय करों का स्थान लेगा.
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केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बिना दावे वाले पीपीएफ का मूल्यांकन करने के लिए एच आर खान पैनल बनाया

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बिना दावे वाले पीपीएफ और डाक घर बचत के मूल्यांकन के लिए एच आर खान पैनल का गठन 3 सितंबर 2014 को किया. एच आर खान आरबीआई के डिप्टी गवर्नर हैं.
पैनल में डाक विभाग के सचिव, वित्त मंत्रालय के केंद्रीय विधि एवं बजट प्रभाग के संयुक्त सचिव, भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के उप प्रबंध निदेशक और पंजाब नेशनल बैंक के कार्यकारी निदेशक शामिल हैं.
पैनल बिना दावे वाले फंड का वरिष्ठ नागरिकों के लाभ के लिए इस्तेमाल के तरीकों का सुझाव देगा. इसके साथ ही पैनल इन फंडों की रिकवरी के लिए कानूनी फ्रेमवर्क में जरूरी बदलाव और बिना दावे के जमा को सरकार या अलग खाते में रखा जाए, के बारे में भी सुझाव देगा.
पैनल का गठन पीपीएफ और छोटी बचत योजनाओं के बिना दावे वाली राशि का पता लगाने के लिए किसी प्रकार के आधिकारिक अनुमान न होने के तथ्य के आलोक में गठित किया गया था. हालांकि, माना जा रहा है कि यह राशि हजारों करोड़ रुपयों की हो सकती है.
इसके अलावा, डाक विभाग में अगर किसी डाक घर बचत खाता में पिछले तीन वर्ष से किसी प्रकार का लेन–देन नहीं हुआ हो तो उसे निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है.

पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (पीपीएफ)
15 वर्ष की निवेश योजना पीपीएफ कर में छूट प्रदान करती है. पीपीएफ में न्यूनतम वार्षिक निवेश 500 रुपये का है.
केंद्रीय बजट वर्ष 2014–15 में पीपीएफ के अधिकतम वार्षिक निवेश सीमा को पचास हजार रुपये तक बढ़ाने की घोषणा की गई थी. अब अधिकतम वार्षिक निवेश सीमा 1.5 लाख रुपयों की है.

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भारतीय रिजर्व बैंक ने निजी क्षेत्र के बैंकों में एमडी और सीईओ हेतु अधिकतम उम्र सीमा 70 वर्ष तय की

भारतीय रिजर्व बैंक ने निजी क्षेत्र के बैंकों के प्रबंध निदेशक (एम.डी.) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हेतु अधिकतम उम्र सीमा 70 वर्ष करने का फैसला 9 सितंबर 2014 को किया.

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 196 (3) के तहत, यह निर्धारित किया गया है कि कोई भी कंपनी 21 वर्ष से कम और 70 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके किसी भी व्यक्ति को बतौर प्रबंध निदेश, पूर्णकालिक निदेशक या प्रबंधक नियुक्त नहीं कर सकता.

हालांकि, बैंकों के व्यक्तिगत बोर्डों को बतौर आंतरिक नीति डब्ल्यूटीडी जिसमें एमडी और सीआओ भी शामिल हैं, के लिए न्यूनतम सेवानिवृत्ति उम्र निर्धारित करने की आजादी है. 
इससे पहले, उपरी उम्र सीमा निर्धारित नहीं थी और फैसले मामले के आधार पर किए जा रहे थे.

पी जे नायक समिति ने निजी बैंकों के सीईओ के लिए अधिकतम उम्र 65 वर्ष करने की सिफारिश की थी. समिति का गठन बैंकों के बोर्डों के शासन की समीक्षा के लिए किया गया था. इस समिति ने अपनी रिपोर्ट मई 2014 में सौंपी थी.

 

** यह मामला इंडसइंड बैंक द्वारा सोबती के कार्यकाल को और तीन वर्ष बढ़ाए जाने के बाद सामने आया. सोबती इंडसइंड बैंक के एमडी और सीईओ हैं. हालांकि, आरबीआई ने कार्यकाल को सिर्फ एक वर्ष बढ़ाए जाने की अनुमति दी. इस कदम से अटकलें लगाई जाने लगी कि आरबीआई सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष करना चाहती है.

सेवानिवृत्ति का यह मुद्दा सिर्फ निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए लागू होता है क्योंकि सभी सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति का आयु 60 वर्ष निर्धारित है. बैंकिंग में एक मात्र अपवाद आरबीआई के डिप्टी गवर्नर होते हैं जिनकी सेवानिवृत्ति की अधिकतम उम्र सीमा 62 वर्ष और गवर्नर की उम्र सीमा 65 वर्ष है.

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 भारतीय रिजर्व बैंक ने रक्षा और रेलवे क्षेत्र में संशोधित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति जारी की

भारतीय रिजर्व बैंक ने 8 दिसंबर 2014 को रेलवे के बुनियादी ढांचे और रक्षा क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी (एफडीआई) संबंधी नीति जारी की. अगस्त 2014 में औद्योगिक नीति और संवर्धन (डीआईपीपी) विभाग द्वारा जारी संशोधित नियमों के अनुसार, रक्षा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत तक और रेलवे के बुनियादी ढांचे में 100 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई थी.

रेलवे क्षेत्र के लिए संशोधित दिशानिर्देश

  • सरकार ने रेलवे में ढाँचागत विकास के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 100 प्रतिशत तक कर दिया.
  • सरकार ने 100 प्रतिशत की सीमा को रेलवे के निर्माण, ऑपरेशंस, मरम्मत के क्षेत्रों के लिए वढाया है, जिसे पीपीपी मॉल द्वारा पूरा किया जाएगा. इस संशोधित सीमा के माध्यम से हाई स्पीड रेल परियोजनाओं और डेडिकेटेड फ्रेट लाइनों और मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम के माध्यम से निर्माण, संचालन के रूप में रेलवे के क्षेत्र में अनुमति दी.
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की संशोधित सीमा के माध्यम से ट्रेन सेट, और लोकोमोटिव विनिर्माण कोच और रखरखाव सुविधाओं, रेलवे विद्युतीकरण, सिगनल प्रणाली, माल ढुलाई टर्मिनलों और यात्री टर्मिनल, सहित रोलिंग स्टॉक में सुधार के लिए भी संशधित सीमा (100 प्रतिशत) कर दी गई.

रक्षा क्षेत्र के लिए संशोधित दिशानिर्देश

  • रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 49 प्रतिशत (एफआईआई (FIIs), आरईपीआई (RFPIs), अनिवासी भारतीयों, एफवीसीआई (FVCIs) और क्यूएफआई (QFIs) में के क्षेत्रों में अनुमति दी गई. विदित हो कि रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की पूर्व सीमा 26 प्रतिशत थी.
  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेश और एफवीसीआई (FVCI) निवेश ऑटोमेटिक रुट के तहत किया जाएगा.
  • इस स्थिति में दोनों निवेश करने वाली कंपनियों की कुल इक्विटी का 24 से अधिक नहीं होगी.

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भेल(BHEL)को तुर्की में ताप विद्युत परियोजना के लिए 1.69 करोड़़ यूरो का अनुबंध मिला

सरकारी क्षेत्र की कंपनी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) को  22 दिसंबर 2014 को तुर्की में एक ताप विद्युत परियोजना के लिए1.69 करोड़़ यूरो (लगभग 130.8 करोड़ रुपए) का अनुबंध मिला है.यह तुर्की के ऊर्जा बाजार में भेलका पहला अनुबंध है.
अनुबंध विद्युत उत्पादन कंपनी( EUAS) द्वारा रखा गया है जो तुर्की में सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक पावर कंपनी है.भेल को मिले अनुबंध का उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन की मात्रा कम करना है.
अनुबंध का विवरण

तुर्की में इन दिनों पुरानी ताप विद्युत परियोजनाओं के जीर्णोद्धार का काम तेजी से चल रहा है.भेल को तुर्की में ईपीसी (अभियांत्रिकी, खरीद एवं निर्माण) के आधार पर 430  मेगावाट ताप विद्युत परियोजना के लिये तीन इकाइयों के पुनरद्धार का अनुबंध मिला है.

अनुबंध के तहत उसे 430 मेगावाट के टंक्बिलेक ताप विद्युत परियोजना, के लिए तीन इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटरों का निर्माण करना है. इसमें इंजीनियरिंग,खरीद और निर्माण की जिम्मेदारी भेल की होगी.

परियोजना के लिए प्रेसिपिटेटरों का निर्माण भेल की रानीपेट स्थित इकाई में किया जायेगा तथा मोटर एवं अन्य सहायक उपकरण भोपाल में और कंट्रोल बेंगलुरु की इकाई में बनाये जायेंगे.
EUAS(ईयुएस)  के बारे में
EUAS(ईयुएस) का  स्वामित्व तुर्की सरकार के पास है. यह कंपनी देश भर में बिजली  का उत्पादन एवं आपूर्ति  करती है.ऊर्जा और राज्य की आर्थिक नीतियों के अनुपालन में दक्षता और लाभप्रदता के सिद्धांतों के अनुसार बिजली उत्पन्न करने के लिए इस कंपनी को स्थापित किया गया था.

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