क्या है सेकंडरी टैरिफ !
क्या है सेकंडरी टैरिफ
हाल ही में नाटो के नवनियुक्त महासचिव मार्क रूट ने भारत, चीन और ब्राजील को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने रूस के साथ व्यापार जारी रखा तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इन देशों पर 100% टैरिफ लगाया जा सकता है। यह एक सेकंडरी टैरिफ होगा । अगर नाटो यह टैरिफ लगाता है तो भारत जैसे देशों को न केवल आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी इसका असर पड़ सकता है।
सेकंडरी टैरिफ क्या है?
सेकंडरी टैरिफ एक तरह का अतिरिक्त आयात शुल्क होता है, जो किसी देश की ओर से उन तीसरे पक्षों (थर्ड पार्टी )पर लगाया जाता हैं जो प्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंधित देश जैसे-रूस के साथ व्यापारिक या वितीय लेन-देन करते हैं। ये टैरिफ, प्राइमरी टैरिफ से अलग होते हैं, क्योंकि प्राइमरी टैरिफ सीधे तीर पर एक देश या इकाई पर लगाए जाते हैं, जबकि सेकंडरी टैरिफ उन देशों, कंपनियों या व्यक्तियोंको प्रभावित करते हैं जो प्रतिबंधित देश के साथ व्यापारिक संबंध रखते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई देश रूस पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों की अवहेलना कर व्यापार करता है, तो अमेरिका उसे दंडित करने के लिए सेकंडरी टैरिफ लगा सकता है। हालांकि यह वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) के मुक्त व्यापार सिद्धांतों के विरुद्ध है,लेकिन अमेरिका इसे अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा या वैश्विक न्याय के नाम पर जायज ठहराता है।
सेकंडरी टैरिफ कौन लगा सकता है?
आमतौर पर मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश या संगठन सेकंडरी टैरिफ लगा सकते हैं, जिनके पास वैश्विक व्यापार को प्रभावित करने की क्षमता है। अमेरिकी राष्ट्रपति के पास इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर एक्ट (आईइइपीए) जैसे कानूनों के तहत यह अधिकार है कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा या आर्थिक आपातकाल का हवाला देकर इसे लागू कर सकते हैं। यह तब लगाया जाता है जब वे किसी देश को अलग-थलग करना चाहते हों। उसके व्यापारिक साझेदारों पर दवाव बनाना चाहते हों ।
किन पर लगाया जा सकता है?
सेकंडरी टैरिफ उन देशों पर लगाए जाते हैं जो प्रतिबंधित देश से तेल, गैस या अन्य संसाधन खरीदते हैं। इससे अमेरिका या पश्चिमी देशों की नीतियों का उल्लंघन होता है। यह टैरिफ उन सभी वस्तुओं पर लागू हो सकता है जो ये देश अमेरिका को निर्यात करते हैं, भले ही वे वस्तुएँ लक्षित व्यापार से जुड़ी न हों।
क्या भारत या चीन जैसे देश भी सेकंडरी टैरिफ लगा सकते हैं?
भारत या चीन जैसे देश भी सेकंडरी टैरिफ लगा सकते हैं,अगर उनके पास ऐसा करने की आर्थिक और कानूनी ताकत हो, लेकिन व्यावहारिक रूप से यह मुश्किल है। भारत और चीन के पास अभी अमेरिका/नाटो की तरह वैश्विक व्यापार पर हावी होने और डॉलर जैसे दबदबे वाली इतनी क्षमता नहीं है कि वे प्रभावी सेकंडरी टैरिफ लागू कर सकें।
क्या नाटो ने पहले कभी सेकंड़री टैरिफ की धमकी दी है?
नाटो यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन(NATO) मुख्य रूपसे सैन्य संगठन के रूप में काम करता है। आर्थिक प्रतिबंध या टैरिफ की नीति आमतौर पर यूरोपियन यूनियन (ईयू) अमेरिका जैसे देश लागू करते हैं। नाटो ने इसके पहले इस तरह की धमकी नहीं दी।
नाटो ने भारत, चीन और ब्राजील को इस तरह की चेतावनी क्यों दी?
रूस- यूक्रेन संघर्ष में आर्थिक दबाव : ट्रम्प ने 14 जुलाई को रूस पर 100% टैरिफ और 50 दिनों के भीतर शांति सौदा लागू करने की धमकी दी। नाटो इस रणनीति में सहयोग कर रहा है, क्योंकि भारत, चीन व ब्राजील, रूस के बड़े तेल खरीददार हैं। इससे उसकी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
ब्रिक्स देशों पर निशाना : भारत, चीन और ब्राजील ब्रिक्स समूह के हिस्से हैं, जिसे ट्रम्प ने ‘अमेरिका-विरोधी’ कहा है। ट्रम्प ने पहले ही ब्रिक्स देशों पर अतिरिक्त 10%, टैरिफ की बात कही थी और नाटो इस दबाव को बढ़ा रहा है।
राजनीतिक दबाव :
रूस ने इन देशों ब्लादिमीर मीर पुतिन पर शांति वार्ता के लिए दबाव बनाने को कहा है, क्योंकि पश्चिमी देशों का मानना है कि ये देश रूस पर प्रभाव डाल सकते हैं।यह एक कूटनीतिक चाल है, ताकि रूस को यूक्रेन पर समझोते के लिए मजबूर किया जा सके।