घाट का अर्थ नदी किनारे बनी सीढ़ियाँ या पर्वतीय दर्रा होता है। भारत में प्रायद्वीप के दक्कन के पठार के दोनों किनारों पर बने पर्वतों को भी पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट कहते हैं। इसके बहुवचन रूप को अंग्रेजी भाषा में पूरे पर्वत को समाहित करने के लिए अपना लिया गया है। इस शब्द से नदी किनारे धार्मिक उद्देश्य से स्नान के लिए निर्मित सीढ़ीदार संरचना और नौका के आवागमन स्थल का भी संदर्भ मिलता है। ये दो पर्वत श्रृंखलाएँ क्रमशः बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के समुद्री तट के लगभग समानांतर है, जिनसे वे एक समतल तटीय भूमि द्वारा अलग हैं। पूर्वी घाट में कई असमरूपीय व असंबद्ध पर्वतखंड शामिल हैं, जिनकी औसत ऊँचाई लगभग 600 मीटर है और शिखरों की ऊँचाई 1200 मीटर या इससे अधिक है। इस श्रृंखला में 160 किमी चैड़ा एक दर्रा भी है, जिससे होकर कृष्णा और गोदावरी नदियाँ तट तक पहुँचती हैं। पर्वतीय ढलानों विरल वन हैं, जिनसे बहुमूल्य लकड़ी प्राप्त होती है।
पूर्वी घाट
पूर्वोत्तर से दक्षिण – पश्चिम की ओर पूर्वी घाट में कई असतत निचली श्रृंखलाएँ सामान्यतः बंगाल की खाड़ी के समानांतर हैं, महानदी और गोदावरी नदियों के बीच के दंडकारण्य क्षेत्र में एक विशाल पर्वत इकाई हैं, जो क्षरित होकर पुनः कायाकल्प हुए एक प्राचीन पर्वत श्रृंखला का अवशेष है। इस संकरी पर्वत श्रृंखला में एक केंद्रीय कटक है, जिसका उच्चतम शिखर, अर्माकोंडा (1680 मीटर), आंध्रप्रदेश में है। आगे दक्षिण – पश्चिम की ओर पहाड़ियों ओझल होती जाती हैं, जहाँ गोदावरी नदी 64 किमी लंबे एक महाखड्ड से होकर इन पहाड़ियों के चारों ओर घूमती है। दक्षिण-पश्चिम दिशा में और आगे कृष्णा नदी के पार पूर्वी घाट एरामला, नल्लामला, वलिकोंडा और पालकोंडा सहित छोटी पहाड़ियों की एक श्रृंखला प्रतीत होता है। चेन्नई (मद्रास) के दक्षिण – पश्चिम में पूर्वी घाट से मिल जाता है।
पश्चिमी घाट
पश्चिमी घाट, जो संभवतः भ्रश कगार है, दक्कन के पठार के पश्चिमी सिरे के शिर हैं। उनकी समुद्रवती तीखी ढलान जलधाराओं व खड्ड जैसी घाटियों द्वारा गहराई से विभक्त हैं, लेकिन भूमि की ओर की ढलान कम ढालू हैं और चैड़ी परिपक्व घाटियों के लिए मार्ग बनाती हैं। यह श्रृंखला उत्तर की ओर ताप्ती नदी तक हुई है और दक्षिण की ओर बिंदु कुमारी अंतरीय तक फैली हुई है। पहाड़ियों की ऊँचाई उत्तर में 914 मीटर से 1524 मीटर तक और गोवा के दक्षिणी क्षेत्र में 914 मीटर से कम है तथा सुदूर दक्षिण में ये फिर से ऊँची होती चली जाती हैं व डोड्डाबेट्टा पर ऊँचाई 2637 मीटर है। पालघाट (पालक्काड) दर्रा मुख्य पश्चिमी घाट को उसके दक्षिणवर्ती विस्तार से अलग करता है, जो दक्षिणी घाट के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि पश्चिमी घाट में दक्षिण- पश्चिम माॅनसून से काफी बारिश होती है। यह एक मुख्य जलविभाज क का निर्माण करता है, पठार के अंदरूनी भूतल पर अपेक्षाकृत हल्की बारिश होती है। अधिक वर्षा के कारण समुद्रवर्ती ढलानों पर सघन वन हैं, जिनमें बाँस, सागौन और अन्य कई बहुमूल्य वृक्ष शामिल हैं। पश्चिमी घाट की कुछ नदियों पर विद्युत उत्पादन के लिए बाँध बनाए गए हैं। पहाड़ों पर कई पर्वतीय आरामगाह स्थित हैं।
बंगाल की खाड़ी
बंगाल की खाड़ी विश्व की सबसे बड़ी खाड़ी है। यह हिन्द महासागर का उत्तरपूर्वी भाग है। इसका नाम भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल के नाम पर आधारित है। इस खाड़ी में ही न्यूमूर द्वीप स्थित है, जो कि एक निर्जन द्वीप है। इस द्वीप को भारत में ‘‘पुरबाशा’’ और बांग्लादेश में ‘दक्षिण तलपट्टी के नाम से जाना जाता है।
आकार में यह खाड़ी त्रिभुजाकार है, जिसके उत्तर में बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल, पूर्व में म्यांमार और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और पश्चिम में भारत तथा श्रीलंका स्थित हैं। गंगा, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, गोदावरी और स्वर्णरेखा आदि नदियाँ इसी में अपना जल विसर्जित करती हैं।
बंगाल की खाड़ी का क्षेत्रफल लगभग 2,172000 किमी2 है। इस खाड़ी की औसत गहराई 8500 फीट (2600 मीटर ) और अधिकतम गहराई 15400 फीट (4694 मीटर) है।
हिंद महासागर
हिंद महासागर एशिया के दक्षिण में अफ्रीका और आॅस्ट्रेलिया के बीच फैला हुआ है। हिंद महासागर का अधिकांश भाग पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में आता है। इसके उत्तरी छोर पर भारतीय उपमहाद्वीप है, दक्षिण में अंटार्टिका, पश्चिम में अफ्रीका और पूर्व में इंडोनेशिया और आॅस्ट्रेलिया हैं।
हिंद महासागर अंध महासागर और प्रशांत महासागर से जुड़ा हुआ है।
हिंद महासागर का क्षेत्रफल 7.4 करोड़ वर्ग किलोमीटर है। हिंद महासागर की औसत गहराई 4 किलोमीटर है। कहा जाता है कि इसका यह नाम आज से लगभग एक हज़ार साल पहले उन अरब व्यापारियों ने दिया जो उस समय भारत से व्यापार करते थे। उस समय भारत के बंदरगाह बड़े, उन्नत और विकसित थे। व्यापारी पश्चिम के मध्य पूर्व देश ओर पूर्व में चीन तक व्यापार करते थे।
हिंद महासागर विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है। हिंद महासागर युवा महासागर है, उसने केवल 3.6 करोड़ वर्ष पहले ही अपना वर्तमान रूप ग्रहण किया है। महासागरों में पानी एक ही दिशा में बहता है, पर हिंद महासागर में पानी का बहाव साल में दो बार दिशा बदलता है –
गर्मियों में मानसूनी हवाओं के कारण पानी भरत की ओर बहता है। सर्दियों में पानी अफ्रीका की ओर बहने लगता है। विश्व की दो बड़ी नदियां ब्रह्मपुत्र और गंगा हिंद महासागर में मिलती हैं। ये नदियाँ 2000 किलोमीटर दूर हिमालय पर्वतमाला से रेत व मिट्टी ला कर समुद्र में डालती हैं जिनसे नदियों के मुहानों के आगे महासागर में अनेक टापू बन गए हैं।
न्यूमूर द्वीप
न्यूमूर द्वीप भारत और बांग्लादेश के मध्य स्थित है। 9 किलोमीटर की परिधि वाले इस निर्जन द्वीप को लेकर भारत और बांग्लादेश में काफ़ी विवाद रहा है। इस द्वीप को बांग्लादेश में ‘दक्षिणी तालपट्टी’ और भारत में ‘पुर्बासा’ कहा जाता है। यह क्षेत्र 1954 के आंकड़ों के अनुसार समुद्र तल से 2-3 मीटर की ऊँचाई पर स्थित था, जो वर्तमान में लगभग समुद्र में विलीन हो गया है।
भारत ने 1989 में नौसेना का जहाज़ और फिर बीएसएफ के जवानों को वहाँ तैनात करके वहाँ तिरंगा झंडा फहराया था। प्रकृति ने जैसे स्वयं ही हस्तक्षेप करके दोनों देशों के बीच चल रहे विवाद का अंतिम हल कर दिया है, क्योंकि न्यूमूर द्वीप पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है।
इससे पहले 1996 में सुंदरवन में ‘लोहाछरा’ नामक द्वीप भी समुद्र में डूब गया था। ‘घोड़ामार’ ऐसा दूसरा द्वीप है, जिसका क़रीब आधा हिस्सा जलमग्न हो चुका है।