चाबहार बंदरगाह
चाबहार बंदरगाह
हाल ही में केहीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और नौवहन मंत्री नितिन गडकरी ईरान के नव निर्वाचित राष्ट्रपति हसन रोहानी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिये ईरान की दो दिवसीय यात्रा पर गए थे समारोह से इतर भारत और इरान द्विपक्षीय संबंधों पर हुई चर्चा में भाग लेने के दौरान दोनों पक्षों ने चाबहार बंदरगाह के निर्माण कार्य को जल्द-से-जल्द पूरा करने और वर्ष 2018 से वहाँ संचालन प्रारंभ करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
चाबहार बंदरगाह की अवस्थिति
* चाबहार बंदरगाह ईरान में सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत के मकरान तट पर स्थित है। यह ओमान की खाड़ी के पास और होर्मुज जल संधि के मुहाने पर स्थित है। यह हिंद महासागर तक सीधी पहुँच रखने वाला गहरे पानी का एकमात्र ईरानी बंदरगाह है। अफगानिस्तान, मध्य एशियाई देशों, रूस और यूरोपीय देशों तक इस बंदरगाह के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
* यह दुबई से 353 समुद्री मील, पाकिस्तान के कराची से 455 समुद्री मील और मुंबई से 843 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है। यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के मकरान तट पर चीन द्वारा विकसित किये जा मात्र 72 किमी. की दूरी पर स्थित है। रहे ग्यादर बंदरगाह
चाबहार बंदरगाह का महत्त्व
चावहार बंदरगाह निम्नलिखित कारणों से भारत के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है: आर्थिक यह भारत को अफगानिस्तान के साथ व्यापार करने के लिये पहुँच प्रदान करेगा।
* इस बंदरगाह का उपयोग अंतराष्ट्रीय ठत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) परियोजना को प्रारंभ करने के लिये किया जा सकता है। इस बंदरगाह के समीप विकसित मुक्त व्यापार क्षेत्र पश्चिम एशिया के तेल समृद्ध देशों के साथ एक महत्त्वपूर्ण व्यापार कंद्र हो सकता है। भारत एवं ईरान मध्य एशिया तेल क्षेत्रों तक आवागमन आसान बनाने के लिये चावहार बंदरगाह को एक ट्रांजिट हव के तौर पर विकसित करने की योजना पर कार्य कर रहे हैं। भविष्य में चाबहार बंदरगाह से भारत तक समुद्री पाइपलाइन द्वारा पेट्रोलियम पदार्थों की आपूर्ति की जा सकती है।
कम परिवहन लागत के कारण भारत को कच्चे तेल, यूरिया और सूखे फलों को कम कीमतों पर आयात करने की सुविधा मिलेगी जिससे इनकी आयात लागत कई गुना कम हो जाएगी। इसके साथ ही भारत ईरान में उर्वरक संयंत्रों में भी निवेश कर सकता है जिससे लगभग 50% उर्वरक सब्सिडी बचाई जा सकती है।
राजनीतिक महत्व
* चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान जैसे भू आबद्ध देश पर पाकिस्तान की रणनीतिक पकड़ को कम करने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। चावहार से ईरान के मौजूदा सड़क नेटवर्क को अफगानिस्तान में जरांज तक जोड़ा जा सकता है जो बंदरगाह से लगभग 880 किलोमीटर दर है। इससे भारत द्वारा 2009 में बनाए गए जरांज-डेलारम रोड के जरिये अफगानिस्तान के गारलैंड हाइवे तक आवागमन आसान हो जाएगा।
* इस हाइवे से अफगानिस्तान के चार बड़े शहरों हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ तक सड़क के जरिये पहुँचने में आसानी होती है।
* स्मरणीय है कि पाकिस्तान ने वाघा बॉडर के जरिये भारत को अफगानिस्तान के साथ व्यापार करने के लिये प्रवेश देने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह के ज़रिये अरब सागर में चीनी उपस्थिति को भारत द्वारा विकसित किये जा रहे. चाबहार बंदरगाह द्वारा प्रतिसंतुलित किया जा सकता है। चाबहार बंदरगाह से अफ्रीकी तट के आसपास होने वाली समुद्री पाइरेसी को रोकने के लिये नौसैनिक अभियानों का संचालन किया जा सकता है। इस प्रकार यह भारत को पश्चिमी अरब सागर में रणनीतिक और सामरिक बढ़त प्रदान करता है।