बौद्धिक संपदा(Intellectual property -IP)
बौद्धिक संपदा(Intellectual property -IP)
बौद्धिक संपदा (Intellectual property -IP) से आशय है मस्तिष्क का सृजन जिसमें शामिल है; अण्वेषण, साहित्यिक व कलात्मक कार्य तथा प्रतीक, नाम, चित्र व वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त डिजाईन। बौद्धिक संपदा दो वर्गों में विभाजित है: पहला है औद्योगिक संपदा जिसमें अण्वेषण (पेटेंट), ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाईन व संसाधनों का भौगोलिक संकेतक शामिल है, और दूसरा है। कॉपीराईट जिसमें उपन्यास, नाटक, फिल्म, संगीत, ड्राइंग, पेटिंग, फोटोग्राफ व वास्तुकला जैसे कलात्मक कार्य तथा वास्तुशास्त्रीय डिजाईन शामिल हैं। कॉपीराइट से जुड़े अधिकारों में कलाकारों द्वारा प्रदर्शन, निर्माताओं द्वारा फोनोग्राम की उनकी रिकॉर्डिंग तथा रेडियो व टेलीविजन प्रोग्राम में प्रसारणकर्त्ताओं . की रिकॉर्डिंग भी शामिल होती है।
बौद्धिक संपदा अधिकार सृजनकर्त्ता को पैटेन्ट, ट्रेडमार्क एवं कॉपीराइट के माध्यम से अपने द्वारा किये गये कार्यों अथवा कार्यों में
निवेश के प्रति लाभ प्रदान करते हैं। ये अधिकार मानवाधिकारों के घोषणापत्र के ‘अनुच्छेद
27’ में रेखांकित किये गये हैं जिसके अनुसार सृजनकर्त्ता को वैज्ञानिक, साहित्यिक एवं कलात्मक रचनाओं के प्रति मालिकाना लाभ प्रदान होता है।
बौद्धिक संपदा के संरक्षण की आवश्यकता बौद्धिक संपदा अधिकारों को प्रोत्साहन एवं संरक्षण क्यों प्रदान किया जाना चाहिये? इसके कुछ प्रमुख कारक हैं, प्रथम, मानवता के विकास एवं अच्छे रहन-सहन हेतु तकनीक और संस्कृति के क्षेत्र में नितू नयी खोजों की आवश्यकता है। द्वितीय, नवीन निर्माणों को कानूनी सुरक्षा प्रदान कर और अधिक खोजों के लिये प्रोत्साहन मिलता है और तीसरे, बौद्धिक संपदा को संरक्षण एवं प्रोत्साहन प्रदान करने से अर्थव्यवस्था में वृद्धि होती है जिसके फलस्वरूप उद्योगों एवं नये रोजगारों का सृजन होता है जिससे अन्ततः जीवन की गुणवत्ता एवं आनन्द में वृद्धि होती है। एक योग्य एवं निष्पक्ष बौद्धिक संपदा
अधिकार प्रणाली विश्व के सभी देशों को यह महसूस कराने में सहायता कर सकती है कि अर्थव्यवस्था के विकास और सामाजिक एवं
सांस्कृतिक रूप से अच्छे रहन-सहन हेतु बौद्धिकसंपदा एक संभावित उत्प्रेरक है। बौद्धिक संपदा अधिकार प्रणाली अविष्कारकर्त्ता एवं जनता की रूचि के मध्य संतुलन स्थापित करने के साथ-साथ इस प्रकार के वातावरण का निर्माण करती है जिसके अन्तर्गत अविष्कार एवं रचनात्मकता समृद्ध होते हैं तथा जिससे सभी लाभान्वित होते हैं।
क्या है पेटेन्ट?
पेटेन्ट ऐसे किसी भी अविष्कार, उत्पाद और प्रक्रिया को विशिष्ट अधिकार प्रदान करता है जिन्होंने कुछ करने हेतु नवीन तरीका उपलब्ध कराया हो अथवा किसी समस्या का नवीन तकनीकी समाधान दिया हो। एक पेटेन्ट, पेटेन्ट मालिक को उसके अविष्कार हेतु संरक्षण प्रदान करता है। यह संरक्षण एक सीमित अवधि लगभग 20 वर्षों के लिये प्रदान किया जाता है।
पेटेन्ट की आवश्यकता
पेटेन्ट एक व्यक्ति को उसकी रचना की पहचान बनाये रखने हेतु प्रेरणा प्रदान करता है। यह प्रेरणा नवाचार को प्रोत्साहित करती है जिसके फलस्वरूप मानव जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है। पेटेन्ट द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा पेटेन्ट सुरक्षा के अन्तर्गत पेटेन्ट मालिक की अनुमति के बिना अविष्कार का व्यवसायिक रूप से निर्माण, उपयोग, वितरण तथा विक्रय नहीं किया जा सकता। पेटेन्ट का उल्लंघन किये जाने पर सामान्यत: पेटेन्ट अधिकार कोर्ट में लड़े जाते हैं। इसके विपरीत किसी तीसरे पक्ष द्वारा सफलतापूर्वक चुनौती, दिये जाने पर कोट पेटेन्ट को अवैध भी घोषित कर सकती है।
पेटेन्ट के नियम
सामान्यत: किसी भी अविष्कार को पेटेन्ट द्वारा सुरक्षा प्रदान किये जाने के लिये कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है, यथा; उसे व्यवहारिक रूप से उपयोगी होना चाहिये, उसमें नवीनता का तत्व प्रदर्शित होना चाहिये अर्थात् कुछ ऐसी नवीन विशेषतायें जो उस तकनीकी क्षेत्र विशेष में पहले से विद्यमान न हो, अविष्कार के अन्तर्गत मुख्य रूप से एक ऐसा अविष्कार तत्व’ होना चाहिये जिसे
तकनीकी क्षेत्र के एक औसत ज्ञान वाले व्यक्ति द्वारा अनुमानित न किया जा सके, उसकी विषय- को कानून के अधीन पेटेन्ट योग्य होना चाहिये।
पेटेन्ट कौन प्रदान करता है?
पेटेन्ट सामान्यत: राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय ऑफिसर द्वारा प्रदान किये जाते हैं जो कुछ देशों के समूह के लिये जांच कार्य करते हैं यथा यूरोपीयन पेटेन्ट ऑफिस (European Patent office- EPO) और अफ्रीका बौद्धिक संपदा
(African Intellectual Property
Organization) इस प्रकार की क्षेत्रीय प्रणाली के अन्तर्गत एक आवेदक एक या एक से अधिक देशों में अपने आविष्कार को सुरक्षा प्रदान करने हेतु प्रार्थना करता है और प्रत्येक देश यह सुनिश्चित करता है कि अपने देश की सीमाओं के भीतर पेटेन्ट को सुरक्षा प्रदान की जाये अथवा नहीं।
ट्रेडमार्क क्या है?
किसी भी व्यक्ति अथवा कम्पनी द्वारा उत्पादित कि जाने वाली वस्तु या प्रदान की जाने वाली सेवा को पहचानने के लिये बनाये गयेn विशिष्ट प्रतीक को ट्रेडमार्क कहते हैं। ट्रेडमार्क का उद्भव प्राचीन समय में ही हो गया था जब शिल्पकार स्वनिर्मित कृतियों पर हस्ताक्षर अथवा कोई चिह्न बनाने लगे थे। इतने वर्षों से यह चिह्न वर्तमान समय में ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन और सुरक्षा के रूप में विकसित हो गये हैं। इस प्रणाली की सहायता से उपभोक्ता किसी भी वस्तु या सेवा को खरीदते समय उसकी विशिष्ट विशेषताओं अथवा गुणों को निर्देशित विशिष्ट ट्रेडमार्क के माध्यम से पहचानते हैं।
ट्रेडमार्क क्या करता है?
ट्रेडमार्क यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी चिह्न के मालिक के पास वस्तुओं एवं सेवाओं को पहचानने हेतु बनाया गया विशिष्ट अधिकार उसके पास है साथ ही उसे यह भी अधिकार है कि यदि वह चाहे तो राशि के एवज में यहm अधिकार किसी अन्य को उपयोग हेतु दे दे। ट्रेडमार्क सुरक्षा की अवधि निश्चित नहीं होती परन्तु एक ट्रेडमार्क को राशि का भुगतान कर
नवीकृत किया जा सकता है। ट्रेडमार्क सुरक्षा संबंधी वाद कोर्ट में लड़े जाते हैं जो कि ट्रेडमार्क उल्लंघन को रोकने हेतु अधिकृत है। वास्तव में ट्रेडमार्क सुरक्षा उस प्रकार की अनैतिक प्रतियोगिता को रोकने का कार्य भी करती है जिसके अन्तर्गत प्रतियोगी कम गुणवान वस्तु एवं सेवा को समान अथवा मिले-जुले चिह्नों के माध्यम से बाजार में विक्रय करने का प्रयास करते हैं।
किस प्रकार के ट्रेडमार्क रजिस्टर हो सकते हैं?
ट्रेडमार्क कोई भी एक अथवा अक्षरों,शब्दों, गणितीय संख्याओं का समूह हो सकता है ट्रेडमार्क के अन्तर्गत किसी भी ड्ाइंग, प्रतीक
और त्रिविमीय आकृति के चिह्न हो सकते हैं यथा वस्तुओं को पैक करने के लिये आकार। कुछ देशों में वस्तुओं में विभेद करने के लिये रजिस्ट्रेशन हेतु गैर-पारंपरिक चिह्नों का उपयोग किया जाता है यथा हलोग्राम्स, रंग, मोरान, दृश्य प्रतोक (आवाज, सुगंध, स्वाद) आदि। ट्रेडमार्क को किसी स्थापित संस्था द्वारा सुनिश्चित मानकों के आधार पर प्रमाणित भी किया जा सकता है।