भारत रत्न C N R राव
भारत रत्न C N R राव
जीवन परिचय
पूरा नाम- चिन्तामणि नागेश रामचन्द्र राव
माता- नागम्मा नागेश राव
पिता का नाम- हनुमन्था नागेश राव
पत्नी- इन्दुमति राव
पुत्र – संजय राव
पुत्री – सुचित्रा
जन्मदिन- 30 जून, 1934 (बंगलुरु)
स्नातक – मैसूर विश्वविद्यालय (1951)
स्नातकोत्तर – बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (1953)
पीएचडी- पुरड्यू यूनिवर्सिटी (1958)
प्रकाशित BOOKS
1. ग्रेफीन : सिन्थेसिस, प्रोपर्टीज एण्ड फिनोमिना(2013)
2. क्लाइम्बिंग्स द लिमिटलेस लैडर : ए लाइफ इनकेमिस्ट्री (2010)
3. ट्रेण्ड्स इन केमिस्ट्री ऑफ मैटेरियल्स : सैलेक्टेड
4. रिसर्च पेपर्स ऑफ सीएनआर राव (2007)
5. नैनो-क्रिस्टल्स एप्लीकेशन्स (2007)
6. अण्डरस्टैण्डिंग केमिस्ट्री (1999)
7. ट्रांजिशन मेटल ऑक्साइड्स (1995)
8. केमिकले एप्रोचेज टू द सिन्थेसिस ऑफ इनऑर्गेनिक मैटेरियल्स (1994)
9. न्यू डायरेक्शन्स इन स्टेट इन केमिस्ट्री (1986)
भारत के विशिष्ट रसायनशास्त्री चिन्तामणि नागेश रामचन्द्र राव का जन्म 30 जून, 1934 को बंगलुरु (कर्नाटक) में हुआ था। आध्यात्म में रुचि रखने वाले राव के घर का माहौल पढ़ाई-लिखाई का था । अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान राव का स्कूली दिनों से ही रसायन शास्त्र की ओर रुझान हो गया उन्होंने वर्ष 1947 में अपनी हाईस्कूल परीक्षा पास की तथा सेण्ट्रल कॉलेज, बेंगलौर में नामांकन कराया। इन्होंने मात्र 17 वर्ष की आयु में स्नातक (बीएससी)की परीक्षा पास कर ली। स्नातकोत्तर (एमएससी) करने के दौरान उन्हें लाइनस पाउलिंग की पुस्तक नेचर ऑफ द केमिकल बॉण्ड पढने की अवसर मिला। इस पुस्तक ने राव के मन में अणुओं के संसार के प्रति गहरी उत्सुकता पैदा कर दी ।
सीएनआर राव नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक सीबी रमन से अत्यधिक प्रभावित थे। अपनी पढ़ाई के दौरान वह अपने अध्यापक की मदद से रमन से मिलने में कामयाब हुए। वह उनकी प्रयोगशाला देखकर बहुत प्रभावित हुए और आगे चलकर विज्ञान के क्षेत्र में कुछ कर दिखाने की प्रेरणा प्राप्त की । वर्ष 1951 में स्नातक तथा वर्ष 1963 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर करने के उपरान्त उन्होंने यूएसए के पुरड्यू बिश्वविद्यालय से पीएचडी की। इस दौरान उन्होंने नोबेल विजेता एचसी ब्राउन के मार्गदर्शन में स्पेक्टोस्कोपी में शोध कार्य किया। वर्ष 1968 में उन्हें पीएचडी की डिग्री प्रदान की गई।
व्यावसायिक जीवन
मात्र नौ महीनों के रिकॉर्ड समय में पीएचडी पूरी कर सीएनआर राव वर्ष 1959 में बगलुरु लौट आए तथा वहाँ उन्होंने र 500 मासिक वेतन पर ‘इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइन्स’ में लेक्चरर की नौकरी शुरू की। वह वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केन्द्र, बंगलुरु के मानद अध्यक्ष हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने स्वयं वर्ष 1989 में की थी। वे सम्बन्धित संस्थान में राष्ट्रीय शोध प्रोफेसर और लाइनस पाउलिंग शोध प्रोफेसर के रूप में भी सक्रिय हैं। उन्हें जनवरी, 2005 में भारत के प्रधानमन्त्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया। वह इस पद पर इससे पूर्व वर्ष 1985-89 में भी रह चुके हैं। डॉ. राव अन्तर्राष्ट्रीय पदार्थ विज्ञान केन्द्र के निदेशक भी हैं।
प्रसिद्धि दिलाने वाले कार्य
□ नैनो मैटेरियल, सॉलिड स्टेट और मैटेरियल केमिस्ट्री के क्षेत्र में डॉ. राव की अन्तर्राष्ट्रीय पहचान है।
□ प्रमुख शोध मेटल इन्सुलेटर ट्रांजिशन, ट्रांजिशन मेटल ऑक्साइड सिस्टम, सीएमआर मैटेरियल. सुपर कण्डक्टिविटी, मल्टीफेरोक्सी, हाइब्रिड मैटेरियल, नैनोट्यूब और ग्रैफीन नैनो मैटेरियल।
□ डॉ. राव के नाम
1500 से अधिक रिसर्च पेपर हैं।
सम्पादन सहित 45
पुस्तकें लिख चुके है।
डॉ. राव को 60 से अधिक विश्वविद्यालयों ने मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया है।
विज्ञान सेवा
डॉ. राव ने अपनी शोध यात्रा वर्ष 1963 में इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी( IIT), कानपुर फैकल्टी मैम्बर के रूप में शुरू की। वर्ष 1984 में वे इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइन्स, बंगलुरु के निर्देशक चुने गए। वहाँ उन्होंने वर्ष 1994 तक अपनी सेवाएं दीं।
उन्होंने स्पैक्ट्रम विज्ञान के उन्नत उपकरणों के माध्यम से ठोस पदार्थों की भीतरी संरचनाओं पर कार्य किया। इसके अतिरिक्त डॉ. राव ने सुक्ष्मदर्शी स्तर पर ठोसों में होने वाली प्रक्रियाओं को समझा और उनसे सम्बन्धित रिसर्च पेपर लिखे।
उन्होंने पदार्थ के गुणों और उनकी आण्विक, संरचना के बीच बुनियादी समझ़ विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे पुरड्यू विश्वविद्यालय,ऑवसफोर्ड विश्वविद्यालय,कैम्ब्रिज
विश्वविद्यालय, कैलिफर्निया विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर रह चुके थे।
इसके अतिरिक्त वे जवाहरलाल नेहरू सेण्टर फॉरएडवांस्ड साइण्टिफिक रिसर्च के संस्थापक निदेशक भी रहे हैं। डॉ राव न केवल एक प्रतिष्ठित रसायनशास्त्री हैं, अपितु उन्होंने देश की वैज्ञानिक नीतियों के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे देश के मंगल अभियान से भी सम्बद्ध रहे हैं।
एच–इण्डेक्स में पहले भारतीय
एच-इण्डेक्स का सबसे पहले भौतिक वैज्ञानिक जॉर्ज हिर्श ने सुझाव दिया था। एच-इण्डेक्स किसी वैज्ञानिक के प्रकाशित शोध-पत्रों की सर्वाधिक संख्या है, जिनमें से कम-से-कम प्रत्येक का कई बार सन्दर्भ के रूप में उल्लेख हुआ हो। वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय का कहना है कि किसी वैज्ञानिक एच-इण्डेक्स ही काफी नहीं है, उसके कितने शोध-पत्रों का दृष्टान्त के रूप में उल्लेख किया गया, यह भी होना चाहिए । प्रो राव विश्व के कुछेक चुनिन्दा वैज्ञानिकों में ऐसे एकमात्र भारतीय जिनके शोध-पत्र का दृष्टान्त के रूप में वैज्ञानिकों ने लगभग 50हजार बार उल्लेख किया है ।
भारत रत्न सम्मान
प्रधानमन्त्री कार्यालय ने 16 नवम्बर 2013 को डॉ. सीएनआर राव को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा थी । उन्हें यह सम्मान 26 जनवरी 2014 को प्रदान किया जाएगा । भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इस अलंकरण से उन व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है, जिन्होंने देश के किसी भी क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए हों तथा अपने श्रेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर देश का गौरव बढ़ाया हो। डॉ. सीएनआर राव भारत रत्न पाने वाले देश के चौथे वैज्ञानिक (व 43 वें व्यक्ति) हैं इससे पूर्व भारत के तीन वैज्ञानिकों को यह सम्मान मिल चुका है, जो निम्न हैं
सीवी रमन ( 1954) (भौतिकशास्त्री)
एम. विश्वेश्वरेया (1955) (सिविल इन्जीनियर)
एजे अन्दुल कलाम (1997) (वैज्ञानिकी अभियन्ता)
■ विशिष्ट व्यक्ति : विशिष्ट तथ्य
राव की प्रतिभा को देखते हुए एमआईटी (अमेरिका) कोलम्बिया तथा पुरङ्यू यूनिदर्सिटी ने उन्हें आर्थिक सहायता सहित एडमिशन ऑफर किया था।
2004 में स्थापित ‘इण्डियन साइन्स आवार्ड’ पाने वाले वे पहले वैज्ञानिक हैं।
○ नवम्बर 2013 में डॉ. राव को चीन की विज्ञान अकादमी में मानद विदेशी सदस्य के रूप में स्थान प्रदान किया गया है।
○ भारत-चीनी विज्ञान सहयोग की बढ़ावा देने के लिए जनवरी 2013 में चीन के सर्वश्रेष्ठ विज्ञान पुरस्कार से डॉ राव सम्मानित किया गया ।