भौतिक विज्ञान की शब्दावली
भौतिक विज्ञान की शब्दावली
परम शून्य (Absolute Zero): (-)273°C तापमान को परम शुन्य कहा जाता है।
ताप का परम तापक्रम (Absolute Scale of Temperature): वह ताप जिस पर गैस नहीं रहती है। इसका तापमान 273°C होता है। इस प्रकार परम ताप = 273+ 0°C ताप। इसको ‘कैल्विन ताप’ भी कहते हैं। इसे ‘K’ से प्रदर्शित करते हैं ।
त्वरण (Acceleration): समय के संदर्भ में वेग परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं। इसका मात्रक मीटर/सेकण्ड होता है तथा वह एक सदिश राशि है।
ध्वनिकी (Acoustics): ध्वनिकी विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्त्तगत ध्वनि तरगों के प्रयोग व उनके गुणों का अध्ययन किया जाता है।
आसंजन (Adhesion): आसंजन दो अलग-अलग पिण्डों केअणुओं का आकर्षण बल होता है।
अधिशोषण (Adsorption): किसी ठोस पदार्थ की सतह पर किसी द्रव की सान्द्रता का आ जाना। यह अवशोषण (Absorption) से भिन्न है जिसमें द्रव पदार्थ किसी ठोस की आन्तरिक तली तक पहुंच जाता है। अल्फा कण (Alfa-particles): हीलियम आवेशित ,2He’4,ये कण रेडियो ऐक्टिव विखण्डन से निकलते हैं। इनकी संरचना दो प्रोटॉनों व दो न्यूट्रॉनों के द्वारा होती है। अल्फा कण (a.) धनावेशित होता है तथा ये गैसों का आयनीकरण करते हैं।
प्रत्यावर्ती धारा (Alternative Current): वह धारा जो विद्युत परिपथ में अपनी दिशा लगातार बदलती रहती है, प्रत्यावत्ती है। अर्थात् धारा की धुवता प्रत्येक सेकंड में 50 हर्ट्स परिवर्तित होती है अर्थात् इसकी आवृति 50 हर्ट्स होती है।
अमीटर (Ammeter): विद्युत धारा मापन यन्त्र ।
एम्पियर (Ampere): बिद्युत धारा मापन इकाई।
आयाम (Amplitude): आवर्ती बल के प्रभाव के अन्तर्गत त
कम्पमान पिण्ड में एक कण द्वारा अपनी माध्य सिथिति से अपनी प्रवेश स्थिति में से किसी एक स्थिति क तय की गई अधिकतम दूरी, उसका आयाम कहलाता है। ध्वनि की तीव्रता अथवा प्रबलता आयाम पर निर्भर करती है।
एनरॉयड बैरोमीटर (Aneroid Barometer): वायुमंडलीय दाब मापने हेतु प्रयुक्त यंत्र को एनरॉयड बैरोमीटर कहते हैं।
आपतन कोण (Angle of Incidence): आपतन बिन्दु पर स्थित अभिलम्ब तथा आपतित किरण के बीच का कोण कहलाता कोणीय वर्ण-विक्षेपण (Angular Dispersion): दो रंगों में विचलन के अन्तर को कोणीय वर्ण- विक्षेपण कहते हैं।
अबिन्दुकता (Astigm atism): अविन्दुकता नेत्र दोष में भिन्न तल पर नेत्र की भिन्न अपवर्तन क्षमता (Refractive Power) होती है। यह कार्निया की वक्रता में अनियमितता के कारण होता है ।
खगोलीय दूरबीन (Astronomical Telescope): खगोलीय पिण्डों का पर्यवेक्षण हेतु इसका निर्माण किया गया ।
परमाणु ऊर्जा (Atomic Energy): किसी भारी तल जैसे- यूरेनियम 235 के परमाणु के नाभिक में विस्फोट किया जाता है तो ऊष्मा विकिरण के रूप में काफी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है अत: इस मुक्त ऊर्जा को परमाणु ऊर्जा कहते हैं।
आर्किमिडीज का सिद्धान्त (Archimedes Principle): किसी वस्तु को द्रव में डुबोने पर उसके भार में कमी उसके द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर होती है।
कृत्रिम चुम्बक (Artificial Magnets): जिन पदार्थों में कृत्रिम रूप में चुम्बकत्व का गुण उत्पन्न किया जाता है, उन्हें कृत्रिम चुम्बक कहते हैं।
अवोगाद्रो परिकल्पना (Avogadro’s Hypothesis): समान ताप पर गैसो के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है ।
बार (Bar): यह दाब मापने की इका्ई है। 10 की पावर 5 पास्कल के बराबर एक बार होता है।
बैरोमीटर (Barometer): यह वायुमण्डलीय दाब मापन यत्र है।
विस्पंद (Beats): विभिन्न आवृति के दो ध्वनि स्रोत, जब एक दूसरे के साथ निकट से ध्वनित किए जाते हैं तो उत्पन्न ध्वनि की तीव्रता को आवर्ती उतार-वढ़ाव, विस्पंद कहलाता है।
बीटा-कण (Beta-particles): किसी तत्व के रेडियो एक्टिव विघटन द्वारा निकले ऋणात्मक आवेश युक्त कणों (इलेक्ट्रानों ) को बीटा कण कहते हैं।
बीटाट्रोन (Betatron): इलेक्ट्रॉनों को बहुत अधिक वेग पर चरित करने के लिए बीटाट्रोन का प्रयोग करते हैं। बीटाट्रॉन एक त्वरक मशीन होता हैं।
कृष्णिका (Black Body): किसी वस्तु द्वारा उसके ऊपर पड़ने वाले विकिरण को अवशोषित कर ले ना, कृष्णिका कहलाता हैं।
क्वथनांक (Boiling Point): क्वथनांक किसी द्रव का वह ताप है जिस ताप पर ट्रव्य, द्रव अवस्था से गैस अवस्था में आना शुरू होता है।
ब्रामा प्रेस (Bramah Press): ब्रामा प्रेस पास्कल के द्रव्यो के दाब के संचारण नियम का एक महत्वपूर्ण अनुप्रयोग है। इसका इस्ते माल कपास के गठ्टे (Cotton Bales) पर दबाव डालने में होता है ।
ब्राउनियन गति (Brownian Motion): द्रव्य को गर्म करने पर उनके अणुओं में अनियमित गति (Random Motion) होने लगता है। इस प्रकार की गति को ब्राउनियन-गति कहते हैं।
कैलोरी (Calorie): C.G.S. पद्धति में कैलोरी ऊष्मा का मात्रक है तथा यह 1°C पर एक ग्राम पानी के तापमान को बढ़ाने लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा के बराबर होता है।
क्लीनिकल थर्मामीटर (Clinical Thermometer):
क्लीनिकल थ्मामीटर का प्रयोग मानव शरीर का तापमान ज्ञात करने के लिए किया जाता है तथा उसमें 35°C से 43°C तक के अंशाकन (Granduation) होते हैं।
कैन्डिला (Candela): C.G.S पद्धति में कैन्डिला ज्योति-तीव्रता (Luminous-Intensity) का मात्रक है।
कारबूरेटर (Carburettor): कारबूरेटर का इस्तेमाल अन्तः दहन इंजन में तेल-वाष्प तथा वायु का मिश्रण करने में होता है।
संधारित्र (Capacitor): एक ऐसा समायोजन जिस पर आवेश की प्याप्त मात्रा सचित की जा सके।
सेल्सियस पैमाना (Celcius Scale): से न्टीग्रेड में ताप मापन युक्त पैमाना, जिसका बर्फ पर गलनाक 0 डिग्री सेन्टीग्रेड व पानी का क्वथनांक 100 डिग्री सेन्टीग्रेड होता है।
अभिकेन्द्र बल (Centripetal Force): वृत्तीय गति करते हुए कण पर केन्द्र की दिशा में लगने वाले बल को अभिकेन्द्र बल कहते हैं ।
अपकेन्द्र बल (Centrifugal Foree): अपकेन्द्र बल घूर्णी पिण्ड (Rotating Body ) पर क्रिया करता है। इसके प्रभाव के कारण पिण्ड त्रिज्या के साथ बाहर की ओर गति करने लगता है। यह बल मात्रा (Magnitude) में अभिकेन्द्र बल के बराबर होता है ।
घर्षण का गुणांक (Co-efficient of Friction ): चरम घर्षण का अभिलंब प्रतिक्रिया से अनुपात को घर्षण का गुणांक कहते हैं। तथा इसे सामान्यत: ‘u’ से संकेतित किया जाता है।
संसजन ( Cohesion ): संसजन एक ही पिण्ड के अणुओं का आकर्षण बल होता है।
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (Compound Microscope): सम्मिश्र माइक्रोस्कोप में उन छोटी वस्तुओं का बड़ा आवधन उत्पन्न किया जा सकता है जिन्हें खुले नेत्रों से स्पष्ट रूप से देखा नहीं जा सकता है। इसका प्रयोग मुख्यत: जैविक तथा रासायनिक परीक्षणों में इस्तेमाल करने के लिए किया जाता है, जबकि साधारण माइक्रोस्कोप में वह मात्र एक चरण में होता है।
चालक (Conductors): चालक ऐसे पदार्थ हैं जिनमें से विद्युत का प्रवाह होता है। धातु (Metals) अच्छे चालक होते हैं। जबकि धातुओं में भी चांदी तथा तांबा सर्वोत्तम चालक है।
चालन (Conduction): चालन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ऊष्मा तापमान गिरने की दिशा में एक कण से द्सरे कण के पास जाता है, जबकि कण स्वयं विरामावस्था में रहते हैं।
संयुग्मी फोकस (Conjugate Focus): वस्तु की स्थिति तथा दर्पण की धुरी पर बना बिम्ब अन्तः परिवर्तनीय होते हैं। इन दो बिन्दुओं को संयुग्मी फोकस कहते हैं।
ऊर्जा का संरक्षण (Conservation of Energy): यद्यपि ब्रह्माण्ड में स्थान-स्थान पर ऊर्जा भिन्न-भिन्न हो सकती है, किन्तु उसमें ऊर्जा की कुल राशि का मान स्थिर रहता है।
संवेग संरक्षण (conservation of Momentum):किसी निकाय पर कोई बाह्य बल कार्य न करे तो उस निकाय का कुल संवेग नियत होता है।
कान्टैक्ट लेन्स (Contact Lens):कान्टैक्ट लेम्स दृश्य-शक्ति को ठीक करने के लिए लगाए जाते हैं। ये अधिक दूरी से दिखाई नहीं देते हैं।
संवहन (Convection): संवहन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ऊष्मा पिण्ड के एक अंश से दूसरे अंश में उष्ण कणों की वास्तविक गति की मदद से जाती है।
कुलॉम (Coulomb): कूलॉम आवेश का व्यावहारिक मात्रक है। यह 3 x 109 स्थिर वैद्युत मात्रा के बराबर होता है।
क्रांतिक कोण (Critical Angle): क्रांतिक कोण वह कोण है जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में अपवर्तित होती है, तो एक निशचित आपतन कोण के लिये अपवर्तन कोण का मान 90° हो जाता है।
क्रायोजेनिक्स (Cryogenics): क्रायोजे निक्स भौतिक विज्ञान की तरह एक शाखा है जिसके अन्तर्गत अत्यन्त निम्न तापों का उत्पादन किया जाता है व उनके गुणों का अध्ययन करते हैं।
क्यूरी (Curie): क्यूरी रेडियोऐक्टिव पदार्थ के सक्रियता की इकाई ।
साइक्लोट्रॉन (Cyelotron): साइक्लोट्रॉन कण-त्वरण यंत्र है, जिसमें आवेशित कण वृत्ताकार पथ में घूमते हैं।
विद्युत धारा (Current Electrieity): इलेक्ट्रॉनों के द्वारा चालक में विद्युत आवेश के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं।
डाइन (Dyne): C.G.S. के बल का मात्रक डाइन होता है।एक डाइन एक सेमी/सेकण्ड स्क्वायेर के त्वरण तथा एक ग्राम के द्रव्यमान में उत्पन्न बल के बराबर होता है।
डेसिबल (Decibel): ध्वनि मापने की इकाई।
दक्पात (Declination): चुम्बकीय याम्योत्तर तथा भौगोलिक याम्योत्तर के मध्य का कोण दक्पात कोण कहलाता है।
घनत्व (Density): किसी पदार्थ का घनत्व उसका द्रध्यमान प्रति मात्रक आयतन होता है।
ओसांक (Dew Point): जिस तापमान पर वायु में वबाष्प वास्तव में उपस्थित रहती है, वह वायु की संतृप्ति के लिए पर्याप्त होता है। इसे ओसांक कहते हैं।
प्रतिचुम्बकीय पदार्थ (Dia-magnetic Substances): प्रतिचुम्बकीय पदार्थ जैसे- विस्मथ, सल्फर ग्रेफाइट आदि को युम्बक प्रतिकर्षित करते हैं। जल प्रतिचुंबकीय है, जबकि वायु अनुयुबकीय है।
विसरण (Diffusion): जब दो या दो से अधिक पदार्थ स्वतः एक-दूसरे में मिलकर समांग मिश्रण बनाते हैं तो इस क्रिया को विसरण कहते हैं।
विवर्तन (Diffraction): जब प्रकाश या ध्वनि तरंगें किसी.वस्तु से टकराती हैं तो वे वस्तु के किनारों पर मुड़ जाती हैं।अत: तरंगो के इस प्रकार मुड़ने की घटना को विवर्तन कहते हैं।
नति (Dip): पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की परिणामी दिशा क्षैतिज दिशा के साथ जो कोण बनाती है, उसे नति कोण कहते हैं।
डायोड (Diode): डायोड एक इलेक्ट्रॉनिक वाल्व है जिसमें दो इलेक्ट्रोड, कैथीड व प्लेट होती है। इनके द्वारा इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन करके धारा का प्रवाह किया जाता है।
विघटन (Disintegration): वह प्रक्रिया, जिसमें कोई नाभिक स्वतः या कृत्रिम रूप से रेडियो ऐक्टिव किरणों का उत्सर्जन करते हैं ।
विस्थापन (Displacement): किसी पिण्ड द्वारा एक विशेष दिशा में तय की गई दूरी विस्थापन कहलाती है ।
प्रकीर्णन (Dispersion): श्वेत प्रकाश का घटक रंगों में विभाजन को प्रकीर्णन कहते हैं।
गतिक संतुलन (Dynamie Equilibrium): यदि कोई पिण्ड अपनी गति के बल पर साम्य में है तो उसे गतिक सतुलन कहते हैं।
दक्षता (Efficiency): मशीन पर किए गए कुल कार्य के अनुपात में मशीन द्वारा किये गये कार्य को मशीन की दक्षता कहते हैं। इसे संकेत से प्रदर्शित करते हैं।
प्रत्यास्थता (Elasticity): किसी वस्तु के पदार्थ का वह जिसके कारण वस्तु किसी विरूपक बल (Deforming Foree) के द्वारा हुये परिवर्तन का विरोध करता है व विरूपक बल हट ले ने पर अपनी पूर्व अवस्था को प्राप्त कर लेती है।
विद्युत-क्षेत्र (Electric Field); आवेश के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें किसी अन्य आवेश का लाने पर उस पर एक बल कार्य करता है, विद्युत-क्षेत्र कहलाता है।
बल की स्थिर रेखाएं (Electrostatic Lines of Foree): गति करते हुए स्वतंत्र धनात्मक आवेश को जब चुम्बकीय क्षेत्र में किसी बिन्दु पर स्थित किया जाता है तो उसे बिन्दु से बल की स्थिर वैद्युत रेखा कहते हैं।
किसी बिन्दु पर स्थिर वैद्युत विभव (Electrostatic
Potential at a Point): विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव, परीक्षण आवेश को अन्तः से उस बिन्दु तक लाने में किये गये कार्य के बराबर होता है।
वैद्युत तीव्रता (Electric Intensity): किसी बिन्दु पर वैद्युत तीव्रता को उस बिन्दु पर रि्थित धनात्मक आवेश द्वारा बल के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
इलेक्ट्रोस्कोप (Electroscope): इलेक्ट्रोस्कोप का प्रयोग आवेशित पिण्ड पर विद्युत के प्रकार को पहचानने तथा उसका पता लगाने में किया जाता है।
विद्युत द्विधुव (Electric Dipole): विद्युत द्विध्रुव एक ऐसा निकाय है जिसमें दो विपरीत आवेश एक दूसरे से कुछ दूरी पर स्थित होते हैं।
इलेक्ट्रॉन (Electron): परमाणु का वह मूल कण जो नाभिक के चारों ओर वृत्तीय कक्षा में चक्कर लगाते है । इस पर आवेश ऋणावेशित होता है।
वैद्युत-अपघटन (Electrolysis): लवण के जलीय विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर लवण ऋण व धन आयनों में टूट जाता है। इस प्रक्रिया को वैद्युत-अपघटन कहते हैं।
वैद्युत मोटर (Electric Motor): बिजली की मोटर विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपान्तरित कर देती है।
विद्युत सेल (Electric Cell): विद्युत सेल किसी परिपथ में आवेश के प्रवाह को निरन्तर वनाये रखने का कार्य करता है।
इलेक्ट्रॉन वोल्ट (Electron Volt): इलेक्ट्रॉन वोल्ट ऊर्जा मापने की इकाई है। एक इलेक्ट्रॉन वोल्ट में 1.6 x 10 की पावर (-19) जूल ऊर्जा होती है।
इन्थैल्पी (Enthalphy): इन्थैल्पी ऊष्मागतिक फलन है, जो किसी निकाय की आन्तरिक ऊर्जा व दाब तथा आयतन के गुणफल के योग के बराबर होती है।
एपिडियास्कोप (Epidiascope): एपिडियास्कोप एक मशौन है जिससे स्क्रीन पर स्लाइडे प्रक्षेपित की जाती है।