राष्ट्रीय डी-वॉर्मिंग अभियान शुरु किया

राष्ट्रीय डी-वॉर्मिंग अभियान शुरु किया

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 9 फ़रवरी 2015 को जयपुर में राष्ट्रीय स्वच्छ दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय स्वच्छ पहल की शुरुआत की. इस पहल का उद्देश्य 1-19 वर्ष की उम्र के 24 करोड़ से अधिक बच्चों को पेट के कीड़ों से निजात दिलाना है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार भारत में 1 से 14 वर्ष की उम्र के 24 करोड़ बच्चों को पेट के कीड़े होने का खतरा होता है.

राष्ट्रीय स्वच्छ पहल की मुख्य विशेषताएं
• इस कार्यक्रम के पहले चरण में 11 राज्यों / केन्द्र शासित प्रदेशों असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दादरा एवं नागर हवेली, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और त्रिपुरा के लगभग 14 करोड़ बच्चों को शामिल किया जाएगा.
• दूसरे चरण में लगभग 10 करोड़ बच्चों को लक्षित किया जाएगा.
• कार्यक्रम के पहले चरण में 10 फरवरी 2015 को राष्ट्रीय डी-वॉर्मिंग दिवस के दिन से अल्बेनडाजोल की गोलियों का वितरण सभी लक्षित बच्चों में किया जाएगा. एक से दो साल तक के बच्चों को आधी गोली जबकि 2 से 19 साल के बच्चों को पूरी गोली दी जाएगी.
• इन चरणों में सुरक्षा प्राप्त करने से छूट गए बच्चों को 14 फरवरी 2015 को विशेष मॉप-अप चरण में रोगाणु मुक्त बनाने के लिए गोलियां दी जाएंगी.

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अजमेर और बेलगाम में बनेंगे नो फ्रिल हवाईअड्डे

संरचनात्मक विकास पर बनी विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने 31 जनवरी 2015 को राजस्थान के अजमेर के किशनगढ़ और कर्नाटक के बेलगाम में नो फ्रिल हवाईअड्डा बनाए जाने को मंजूरी दे दी. इस समिति का गठन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने किया था.
समिति ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के अरुणाचल प्रदेश में हूलोंगी नदी के तराई में ग्रीनफिल्ड हवाईअड्डे के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी. समिति ने कहा प्रस्तावित परियोजना का पूरा अप्रोच क्षेत्र हूलोंगी नदी के तराई में है और बाढ़ के तराई में किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं है.
यह भी कहा गया कि अगर इस क्षेत्रों में बाढ़ आती है तो हवाईपट्टी परिचालन के लिए फिट नहीं बचेगी.
बेलगाम, कर्नाटक में हवाईअड्डा
•फिलहाल बेलगाम हवाईअड्डा ATR-72 विमान का ही परिचालन करती है. मौजूदा हवाईअड्डे का क्षेत्र 360.34 एकड़ है और राज्य सरकार ने विस्तार चरण के लिए 370 एकड़ क्षेत्र प्रदान किया है.
•परियोजना की अनुमानित लागत 293.35 करोड़ रुपये है. फिलहाल हवाईअड्डा सालाना 13778 यात्रियों को संभाल रहा है और 2022– 23 तक इसके 92590 यात्रियों को संभालने की संभावना है.
•हवाईअड्डे में एक नया रनवे और टर्मिनल भवन बनाया जाएगा ताकि सबसे व्यस्त घंटों के दौरान 200 यात्रियों, एप्रोन, हवाई यातायात नियंत्रक, रनवे सुरक्षा, अग्निशमन उपकरण, वर्षाजल संचन और सीवेज उपचार संयंत्र लगाया जाए.
•इससे पहले एएआई ने पर्यावरण मंत्रालय को मौजूदा बेलगाम हवाईअड्डे का रोजाना चार A–321 विमानों के परिचालन हेतु आधुनिकीकरण के लिए कहा था. बेलगाम हवाईअड्डे के आधुनिकीकरण के लिए कर्नाटक सरकार और एएआई के बीच एक समझौता भी हुआ है.
किशनगढ़, राजस्थान में हवाईअड्डा
राजस्थान के किशनगढ़ में 2152 मीटर लंबा रनवे वाला हवाईअड्डा 441.7 एकड़ में बनाया जाएगा. इसे बनाने का उद्देश्य पुष्कर मेले और सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए प्रसिद्ध अजमेर को वायु सेवा से जोड़ना है.
यह हवाईअड्डा DASH-8Q 400 टाइप के विमानों के परिचालन के लिए विकसित किया जाएगा. रोजाना करीब पांच विमान के संचालित किए जाने की संभावना है.
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केंद्र सरकार ने 8 बिलियन अमेरिकी डालर के लागत वाली परियोजना-17A को मंजूरी प्रदान की

केंद्र सरकार ने 8 बिलियन अमेरिकी डालर के लागत वाली परियोजना-17A को 18 फरवरी 2015 को मंजूरी प्रदान की. इस परियोजना का उद्देश्य देश में सबसे उन्नत युद्धपोतों का निर्माण करना है.
परियोजना-17A के तहत सात युद्धपोतों का निर्माण किया जाना है. ये युद्धपोत अत्याधुनिक तकनीक से लैस होंगे और रडार के जरिये भी इनका पता लगाना मुश्किल होगा.
परियोजना-17 ए के तहत मुंबई व कोलकाता के सरकारी पोत कारखाने में इन युद्धपोतों का निर्माण किया जाएगा.
सरकार का उद्देश्य हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की क्षमता बढ़ाकर इसे चीनी नौसेना के समकक्ष बनाना है.
परियोजना 17-ए वर्ष 2012 से कैबिनेट की मंजूरी के इंतजार में थी. इस परियोजना की मंजूरी चीनी नौसेना की बढ़ती ताकत को देखते हुए अत्यंत महत्व पूर्ण है.
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केंद्र सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों की एसआईटी की जांच के लिए माथुर समिति गठित की

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 23 दिसंबर 2014 को 1984 के सिख दंगों के लिए गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) की जांच व सिख दंगों के मामले की दोबारा जांच हेतु माथुर समिति गठित की. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति न्यायाधीश जीपी माथुर (सेवानिवृत्त) समिति के प्रमुख होंगे. समिति अपनी जांच रिपोर्ट अप्रैल 2015 तक सौंपेगी.
यह समिति दंगों के दौरान जान गंवाने वाले व्यक्तियों को दिए जाने वाले पांच लाख रुपये के मुआवजे के भुगतान के मामले को भी देखेगी. यह मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा 10 दिसंबर 2014 को स्वीकृत किया गया. यह समिति सिख दंगों से जुड़ीं विभिन्न शिकायतों पर भी गौर करेगी.

गृह मंत्रालय ने सिख विरोधी दंगों के मामले में अलग-अलग संगठनों और संस्थाओं द्वारा भारी संख्या में शिकायतें प्राप्त होने के बाद समिति गठित करने का फैसला किया. इससे पहले नानावटी आयोग ने पुलिस द्वारा बंद किए गए 241 मामलों में सिर्फ चार मामलों को ही खोले जाने की सिफारिश की थी, लेकिन भाजपा शेष 237 मामलों की जांच कराना चाहती थी. यह कदम कुल 3325 पीडि़तों में से देश की राजधानी दिल्ली से संबंध रखने वाले 2733 लोगों से जोड़कर भी देखा जाता है.
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को सिख सुरक्षा कर्मी द्वारा हत्या किए जाने के बाद वर्ष 1984 में सिख दंगे हुए थे.

केंद्र सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामलों की दोबारा जांच हेतु एसआईटी गठित की

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामलों की फिर से जांच के लिए 12 फरवरी 2015 को तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. नव-गठित एसआईटी को ताजा सबूतों की जांच करने का अधिकार दिया गया.
तीन सदस्यीय एसआईटी की अध्यक्षता वर्ष 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रमोद अस्थाना करेंगे. एसआईटी के अन्य दो सदस्यों में सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश कपूर और दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त कुमार ज्ञानेश हैं.
एसआईटी छह महीने में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा और 1984 दंगों से जुड़े सभी गंभीर मामलों में सबूतों की दोबारा जांच करेगी. एसआईटी का गठन सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी.पी. माथुर के नेतृत्व में गठित एक समिति की सिफारिशों के बाद किया गया. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीपी माथुर की अध्यक्षता में माथुर समिति ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामलों की दोबार जांच के लिए 23 दिसंबर 2014 को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. समिति ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को जनवरी 2015 में सौंपी रिपोर्ट में दंगों की नए सिरे से जांच की सिफारिश की
विदित हो कि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अपने सरकारी आवास पर उनके सुरक्षा गार्ड द्वारा हत्या कर दी गई. उनकी हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे. इन दंगों में 3325 लोग (2733 में दिल्ली में और बाकी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में मारे गए थे) मारे गए थे.
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निर्मल यमुना पुनरुद्धार योजना 2017 के तहत यमुना को साफ करने के लिए एनजीटी ने निर्देश जारी किए

13 जनवरी 2015 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून (एनजीटी) ने निर्मल यमुना पुनरुद्धार योजना 2017 के तहत यमुना नदी को साफ करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए. ये दिशा निर्देश एनजीटी की प्रमुख बेंच की चेयरपर्सन न्यायाधीश न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार द्वारा दिए गए.
ट्रिब्यूनल का यह फैसला मनोज मिश्रा द्वारा यमुना के प्रदूषण और दिल्ली में इसमें गिरने वाले नाले के विरुद्ध लगाई गई याचिका के कारण सुनाया गया.
बेंच द्वारा दिए गए दिशा निर्देश:
यमुना नदी में धार्मिक वस्तुएं या कचरा फेंकने वाले व्यक्ति पर 5000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया.
यमुना में निर्माण सामग्री फेंकने पर प्रतिबंध लगाया गया है, जबकि इसका उल्लंघन करने वालों पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
बाढ़ वाले हिस्से में रियल एस्टेट डेवलपर्स द्वारा किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य न किया जाए.
प्रदेशों को भी निर्देशित किया गया है.यमुना और इसकी सहायक नदियों के प्रवाह को दिल्ली में यमुना तक जारी रखना सुनिश्चित करने के लिए वे योजना बनाएं और आगे आएं.
इन निर्देशों के अनुपालन के लिए एक समिति गठित करने का निर्णय-
बेंच ने एक समिति बनाने का फैसला किया है, जो उक्त निर्णयों के अनुपालन की जिम्मेदारी तय करेगी. समिति में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) के प्रमुख सचिव, जल संसाधन मंत्रालय के संयुक्त सचिव, दिल्ली के मुख्य सचिव और हरियाणा, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड राज्य सरकार के सचिव शामिल हैं. विशेषज्ञ समिति के सदस्य एनजीटी द्वारा पहले ही चयनित किए जा चुके हैं- इसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमेरिटस सी आर बाबू, जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर बृज गोपाल और आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर ए के गोसाईं को भी मुख्य समिति का सदस्य बनाया गया है. केंद्र सरकार द्वारा यमुना नदी को साफ करने के लिए जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी के सहयोग से यमुना एक्शन प्लान (वाइएपी) लागू किया गया है, जो अधिक सफल नहीं रहा.

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