विदेशी नागरिक को भारत से बाहर जाने के आदेश
किसी विदेशी नागरिक को भारत से बाहर जाने के आदेश कैसे दिए जाते हैं
नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करने वाले कई विदेशी नागरिकों को भारत से बाहर जाने का आदेश भारत सरकार द्वारा हाल में जारी किया गया। फरवरी 2020 के अंतिम सप्ताह में पोलैंड के कामिल साइदेक्यांसकी, जो जादवपुर विश्वविद्यालय में एक्ट का विरोध प्रदर्शन में शामिल थे, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भारत छोड़कर जाने का आदेश दिया।
इससे पहले विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांति निकेतन में पढ़ने वाली एक बांग्लादेशी छात्रा को भी ‘सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल’ रहने के कारण भारत से बाहर जाने का आदेश दिया गया था। इन सबको वस्तुत: सरकार-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए भारत से अपने देश जाने को कहा गया था।
सरकारी विरोधी गतिविधियां: केद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी वीजा दिशा-निर्देशों के मुताबिक किसी विदेशी नागरिकों को यात्रा के उन उद्देश्यों का सख्ती से अनुपालन करना चाहिए जो वीजा आवेदन के वक्त बताया गया है। हालांकि, पाकिस्तानी नागरिकों को छोड़कर किसी भी प्रकार की वीजा वाले विदेशी नागरिक को टूरिस्ट वीजा के तहत सभी प्रकार की गतिविधियों की अनुमति होती है। इनमें गैर-सरकारी गतिविधि का उल्लेख नहीं है। ऐसे में कानूनविदों की राय में भारतीयों के लिए जो ‘सरकार विरोधी गतिविधियां संबंधी प्रावधान लागू है. विदेशी नागरिकों पर भी यही कानून लागू होता है।
विधि विशेषज्ञों के मुताबिक भारतीय दंड सहिता की धारा
24ए (देशद्रोह) में उन सरकार दिऐेधी गतिविधियों का उल्लेख है जो दंडात्मक है। इसमें विधि द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ प्रयुक्त या लिखित ऐसा कोई भी शब्द या दृश्यसंकत जो घृणा या अवमानना या सरकार के प्रति असंतोष को उत्तेजित करता है, वह दंड का भागी होगा। दंड के रूप
कुछ अधिकार जो केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है–
अनुच्छेद 15: धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव पर रोक
अनुच्छेद 16: सार्वजनिक नियोजन में समानता का अवसर का अधिकार
अनुच्छेद 19: स्वतंत्रता का अधिकार (अभिव्यक्ति, समूह बनाने या संगठित होने, कहीं भी जाने या रहने का अधिकार)
अनुच्छेद 29 व 30: सांस्कृतिक व शैक्षिक अधिकार
मतदान करने का अधिकार
संसद् या विधानसभा का सदस्य बनने का अधिकार
भारत का राष्ट्रपति -अनुच्छेद 58(1),
उपराष्ट्रपति– 66(2)
सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश– 124(3)
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश – अनुच्छेद 217(2),
राज्यों में राज्यपाल – अनुच्छेद 157),
महान्यायवादी–
अनुच्छेद 76 (1) तथा
महाधिवक्ता
(अनुच्छेद 165) जैसे पद धारण का अधिकार।
आजीवन कारावास के साथ जुर्माना या फिर तीन वर्षो की सजा जिसमें जुर्माना भी जोड़ा जा सकता है।
भारत का संविधान सभी नागरिकों को जिसमें विदेशी नागरिक शामिल हैं. अनुच्छेद 14 के तहत विधि के समक्ष समता का अधिकार तथा अनुच्छेद 21 के तहत का जीवन का अधिकार प्रदान करता है। परंतु संविधान का अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संगठित होने या आंदोलन चलाने या सभा करने का मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त है।