संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO)
संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO)
संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन का गठन 16 नवंबर, 1945 को हुआ था।यह सं. रा. का एक अंतः सरकारी संगठन है।United Nations Educational, Scientific
and cultural organisation, UNESCO का मुख्यालय फ्रांस में है।
वर्तमान में यूनेस्को के 188 देश सदस्य हैं। यूनेस्को का उद्देश्य शांति और सुरक्षा के लिए योगदान करना है. जिसकी पूर्ति हेतु शिक्षा, विज्ञान तथा संस्कृति द्वारा राष्ट्रों के मध्य निकटता को बढ़ावा देना भी इसका कार्य है।
संयुक्त राष्ट्र संघ का कोई भी सदस्य तथा जो राज्य सं. रा. के सदस्य नहीं हैं वे भी यूनेस्को की सदस्यता प्राप्त कर सकते हैं ऐसे राष्ट्रों को सदस्यता हेतु कार्यकारी मंडल की सिफारिश पर यूनेस्को की सामान्य सभा में उपस्थित सदस्यों के 2/3 बहुमत से स्वीकृति मिलनी चाहिए। यूनेस्को किसी भी राष्ट्र के आंतरिक क्षेत्र में आने वाले विषयों पर हस्तक्षेप नहीं करता है।
UNESCO यूनेस्को के कार्य
(i) शिक्षा के क्षेत्र में यूनेस्को शिक्षा का विस्तार, शिक्षा की उन्नति तथा विश्व समुदाय में रहने की शिक्षा प्रदान करना है।
(ii) प्राकृतिक विज्ञान के क्षेत्र में यूनेस्को प्राकृतिक और सामाजिक ज्ञान की प्रगति लाने के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिकों के सम्मेलन, वैज्ञानिक संगठनों को आर्थिक सहायता प्रदान करना, अनुसंधान एवं प्रकाशन को प्रोत्साहन आदि कार्य करता है ।
(ii) सामाजिक, मानवीय तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में,यूनेस्को समस्त मानवीय ज्ञान की आवश्यक एकता पर बल देता है। यह निरस्त्रीकरण के आर्थिक तथा सामाजिक परिणामों तथा मानवाधिकार पर बल देता है।
(iv) सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत यूनेस्को, अनुसंधान, सभा-सम्मेलनों, विचार गोष्ठियों तथा साहित्य प्रकाशन आदि कार्य करता है। सामुहिक ज्ञान के प्रचार के लिए इसके द्वारा फिल्म, प्रेस, रेडियो आदि को प्रयोग में लाया जाता है।
(v) प्राविधिक सहायता कार्यक्रम के अन्तर्गत यूनेस्को अपने विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न देशों को परामर्श देकर लाभ पहुंचाता है। इसके द्वारा विभिन्न देशों के विद्वानों को दूसरे राष्ट्रों में भेजा जाता है, जिससे ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रों में आपसी सहयोग स्थापित हो सके।
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रादुर्भाव ब्रेंटनवुद्स समझौते (जुलाई, 1944) के तहत हुआ तथा इसका उद्घाटन 27 दिसंबर, 1945 को हुआ। नवंबर 1947 में यह संयुक्त राष्ट्र संघ का विशिष्ट अभिकरण बना।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International MonetaryFund) वैश्विक स्तर की वित्त व्यवस्था की देख-रेख करता है और मांग जाने पर वित्तीय और तकनीकी सहायता मुहैया कराता है। IMF का मुख्यालय वाशिगटन डी.सी. में है।
आरंभ में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्यों की संख्या केवल 30 वर्तमान में सदस्यों की संख्या 184 हो गई है।के अग्रणी 10 सदस्यों के पास 55 प्रतिशत मत हैं । ये देश समूह-8 के सदस्य अमेरिका, जापान, कनाडा, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी ,फ्रांस , इटली के अलावा सउदी अरब और चीन। अकेले अमेरिका के पास 17.4 प्रतिशत मताधिकार है। हाল ही में IMF में भारत समेत कुछ विकासशील देशों के मतों में वृद्धि की गई है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के गठन का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार का संतुलित विकास, मौद्रिक सहयोग को प्रोत्साहन, विनिमय दरों में स्थिरता, बहुपक्षीय भुगतानों की व्यवस्था, भुगतान संतुलन के लिए अस्थायी रूप से सहायता करना है
1069 में निश्चित विनिमय दर व्यवस्था (स्पेशल ड्राइंग राइट- SDR) अर्थात विशेष आध्यारोहण अधिकार नामक एक व्यवस्था तैयार की गई, जिस पर 1971 से IMF के समस्त लेन-देन को एसडीआर(SDR) के रूप में व्यक्त किया जाने लगा एसडीआर अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक क्षेत्र में स्वर्ण मुद्रा की भूमिका निभाता है।
मुद्रा कोष के प्रमुख कार्य
सदस्यों के बीच वैदेशिक मुद्रा या सोने की विक्री करना, जिससे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सहायता मिले। विभिन्न राष्ट्रों के सरकारों को आर्थिक समस्याओं के समाधान के।लिए विशेषज्ञों को भेजना।
(i) लागत के मामले में मुग्रास्फोति को रोकना। आयात पर होने वाले नियंत्रण में कमी लाने की सिफारिश करना।
(v) विनिमय स्थायित्व को प्रोत्साहित करना, सदस्य राष्ट्रों के बोच अनुशासनात्मक विनिमय समझौते करना तथा प्रतिस्पधित विनिमय अमूल्यन से बचना।
(vi) सदस्यों की समस्याओं का अध्ययन करना, सूचनाओं को एकत्र करना, उनका विश्लेषण करना तथा उन पर अपना सुझाव देना।
(vi) विश्व व्यापार के संतुलित विस्तार, जैसे अन्तरांष्ट्रीय मुद्रा सहयोग को बढावा देने के दिशा में कार्य करना .
अंतर्राष्ट्रीय पुन्ननिर्माण तथा विकास बैंक या विश्व बैंक (IBRD)
इस बैंक की स्थापना ब्रेटनवुइस समझौते (जुलाई, 1944) के तहत हुई और 27 दिसंबर, 1945 को इसका विधिवत उद्घाटन हुआ। नवंबर, 1947 में यह से. राष्ट्र संघ का विशिष्ट अभिकरण बना। विश्व बैंक का मुख्यालय वाशिगउन डी. सी. में है।
अंतर्राष्ट्रीय पुन्ननिर्माण तथा विकास बैंक को ही विश्व बैंक (World।Bank) कहा जाता है। अंतराष्ट्रीय विकास संघ (IDA) तथा अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) विश्व बैंक की प्रमुख दो शाखाएं हैं। मीगा (Miga) भी विश्व बैंक को एक सहयोगी संस्था है।
WORLD BANK विश्व बैंक के कार्य
उत्पादकता का स्तर उन्नत करना सदस्य राज्यों को तकनीकी सहायता सेवाएं प्रदान करना। इस उदेश्य की प्राप्ति के लिए बैंक ने वाशिंगटन में ‘द इकोनॉमिक डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट’ तथा एक स्टाफ कॉलेज की स्थापना की है।
(iii) सरकार तथा सरकारी एजेंसियों अर्थांत व्यक्तिगत उद्यमों को ऋण प्रदान करना
(iv) विशिष्ट योजनाओं उद्योगों तथा वित्तीय समस्याओं पर सदस्य राज्यों को आवश्यक परामर्श देना।
(v) उत्पादक प्रयोजनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पूंजी के विनिमय को प्रोत्साहन देना।
अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA)
अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ विश्व बैंक की एक अनुषोंगक संस्था हैं, इसे विश्व बैंक की रियायती ऋण देने वालो खिड़की (Soft Loan window) कहा जाता है।IDA (International Development Agency) 1960 में की गई थी इसकी सदस्यता विश्व बैंक के सभी सदस्यों के लिए खुली हुई है।
वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 159 हो गई है। IDA से प्राप्त ऋणों पर कोई ब्याज नहीं देना पड़ता है तथा यह ऋण विश्व के निर्धन राष्ट्रों को ही उपलब्ध कराए जाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (International Finance Corporation)
विश्व बैंक ने अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) की स्थापना जुलाई,।1956 में की थी।
यह निगम विकासशील देशों में निजी उद्योगों के लिए बिना सरकारी गारंटी के धन की व्यवस्था करती है तथा अतिरिक्त पूँजी विनियोग द्वारा उन्हें प्रोत्साहित करता है। इसका मुख्य कार्य विकासशील देशों के निजी क्षेत्र को समर्थन प्रदान करना है।
प्रमुख उद्देश्य
(i) निजी क्षेत्र तथा प्रबंध में समन्वय स्थापित करना,
(i) पूजी तथा प्रबंध में समन्वय स्थापित करना,
(iil) पूँजी प्रधान देशों को अभाव वाले देशों में पूँजी लगाने को प्रोत्साहित करना।
महिलाओं के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कोष (UNIFEM)
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1976 में यूनीफेम की स्थापना की गई थी। 1985 में इस कोष को स्वायत्तता प्रदान करके और इसे UNDP से जोड़कर यूनीफेम का नया रूप प्रदान किया गया। यूनीफेम का उद्देश्य महिलाओं को विकास परियोजनाओं में प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी और तकनीकी तथा वित्तीय सहायता देना है।
कार्य
यह अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों, नीति-निर्धारकों तथा लाभान्वित महिलाओंहके बीच सेतु के रूप में कार्य करती है। यह संस्था विस्थापितों, महिलाओं के विरूद्ध हिंसा, मानवाधिकार, विश्व शासन व्यवस्था तथा पर्यावरण जैसे संवेदनशील अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों को विश्व स्तर की कार्य सूचियों में शामिल करवाता है, जिससे उनसे संबंधित नीति निर्धारण में महिलाओं की सहभागिता तथा योगदान को प्रोत्साहन मिल सके।