स्टैम सैल : 10 लाख से भी अधिक लोगों को स्टेम सेलों की इस शक्ति से लाभ मिला
स्टैम सैल : 10 लाख से भी अधिक लोगों को स्टेम सेलों की इस शक्ति से लाभ मिला
जब मां की कोख में बच्चा आकार लेता है तब यह स्टेम सैलों का एक पिंड होता है। ये स्टेम सैल ही धीरे-धीरे अलग-अलग होकर विशेष प्रकार के सैलो जैसे त्वचा सैल, रक्त सैल आदि में विकसित होते हैं ताकि शरीर के अलग-अलग भाग बन सकें। सैल या कोशिका हमारे शरीर का निर्माण करने वाले सबसे सूक्ष्म तत्व होते हैं। ये 200 से अधिक प्रकार के होते हैं जैसे रक्त कोशिका , स्नायु कोशिका या नर्व सैल आदि। ये सभी सैल आकार एवं आकृति में भिन्न होते हैं। इन्हें केवल माइक्रोस्कोप की सहायता से ही देखा जा सकता है।
इसी प्रकार से स्टेम सेल भी हमारे शरीर निर्माण की नींव में ही स्थित होते हैं। हमारे शरीर का प्रत्येक भाग जैसे त्वथा (स्किन), हड्डियां (बोन्स), मांसपेशियों (मसल्स) और सभी अंग-प्रत्यंग भी स्टेम सैल से ही बने होते है। जब मां की कोख में बच्चा आकार लेता है तब यह स्टेम सैलों का एक पिंड होता है। ये स्टेम सेल ही धीरे-धीरे अलग-अलग होकर विशेष प्रकार के सैलों जैसे त्वचा सैल, रक्त सैल आदि में विकसित होते हैं ताकि शरीर के अलग-अलग भाग बन सकें। आधुनिक चिकित्सा क्षेत्र में स्टेम सैलों की तीन प्रमुख विशेषताएं महत्त्वपूर्ण मानी जाती रही हैं :
स्टेम सेलों में वह क्षमता होती है जिससे ये शरीर के किसी भी प्रकार के सैल में बदल सकते हैं। ये स्टेम सेल अनगिनत रूप से स्वयं की प्रतिलिपि बना सकते हैं। हमारे शरीर के पुराने सैल भी समय-समय पर नए सैलों द्वारा प्रतिस्थापित होते रहते हैं। स्टेम सैल शरीर में सभी प्रकार के मरम्मत एवं पुनर्निर्माण के कार्यों के प्रति जिम्मेदार होते हैं। इन्हीं गुणों की वजह से आज चिकित्सा के क्षेत्र में स्टेम सैलों का महत्व बहुत बढ़ गया है
शोध द्वारा प्रमाणित किया गया है कि स्टेम सैलों का प्रयोग कई प्रकार की चिकित्सकीय परिस्थितियों में किया जा सकता है। पिछले 50 वर्षों में, करीब 10 लाख से भी अधिक लोगों को स्टेम सेलों की इस शक्ति से लाभ मिला है और वो एक नई जिंदगी का सुख भोग रहे हैं। स्टेम सैल अपनी दो विशेषताओं की वजह से अन्य सैलों से अलग किए और पहचाने जा सकते हैं। पहली ये कि स्टेम सैल विशेष गुण संपन्न सैल नहीं होते हैं और ये सैलों के विभाजन के द्वारा स्वयं को पुननिर्मित करने में सक्षम होते हैं। दूसरे कुछ विशेष प्रकार की शारीरिक एवं प्रयोगात्मक परिस्थितियों में, इन्हें विशेष कार्य करने वाले एवं विभिन्न अंग-प्रत्यंगों का निर्माण करने वाले सैलों में परिवर्तित होने के लिए प्रवेश कराया जाता है। कुछ अंगों जैसे आंतों या बोन मैरो (अस्थि मज्जा) में स्टेम सैल नियमित रूप से क्षतिग्रस्त अथवा घिसे हुए टिश्यूज (ऊतकों) की मरम्मत या प्रतिस्थापना करते हैं। जबकि कुछ अन्य अंगों जैसे हृदय और अग्नाशय (पैन्क्रियाज) में स्टेम सैल कुछ विशेष परिस्थितियों में ही विभाजित होते हैं। स्टेम सेलों में जीवन शुरूआती एवं बढ़ते हुए काल में शरीर के भीतर अलग-अलग प्रकार के कई सैलों के रूप में विकसित होने की अद्भुत संभावना होती है। इसके।साथ साथ, कई टिश्यूज में ये आंतरिक मरम्मत तंत्र के रूप में कार्य करते हैं, जहां ये असीमित रूप से विभाजित होते रहते हैं ताकि अन्य सैलों को तब तक जीवित करते रहे जब तब कोई व्यक्ति या पशु जीवित रहता है। जब कोई स्टैम सैल विभाजित होता है तब प्रत्येक नए सैल में यह संभावना होती है कि (यह स्टेम सैल की तरह ही रहे अन्यथा दूसरे प्रकार के सैल के रूप में परिवर्तित हो जाए जिसकी विशेष प्रकार की कार्यक्षमता हो जैसे लाल रक्त सैल, मस्तिष्क सैल या मांसपेशी सैल।
स्टेम सैल के प्रकार
अभी तक वैज्ञानिकों ने मानव वा पशुओं से मिलने।वाले मूल रूप से दो प्रकार के स्टेम सेलों पर काम।किया है ये हैं एम्ब्रियानिक (भ्रूणीय) स्टैम सैल और नॉन ऐम्ब्रियानिक सोमैटिक या ऐडल्ट (वयस्क) स्टैम सैल। वैज्ञानिकों ने 1981 में एक चूहे से ऐम्बियानिक स्टेग सैल निकालने के तरीके खोजे थे। इसके बाद इस पर अध्ययन किया।गया और 1900 में मानव रेबियोन से स्टेम सेल निकालने और उन्हें।लैबोरेटरी में विकसित करने का तरीका खोजा गया। ये सैल मानव।ऐम्बियानिक स्टेम सैल कहलाते हैं ऐत्रियोनिक स्टेम सैलों को एक बार या पांच दिन पुराने मानव ऐम्बियो से निकाला जाता है जो विकास के जलास्टोस्टि फेज में होता है। ये एम्बियोस सामान्यः आई.वी.एफ. (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, कलीनिक्स में बनाए गए अतिरिक्त ऐम्नियो होते हैं जहाँ कई अंडे एक टेस्ट ट्रयेव में फर्टिलाइन किए जाते है लेकिन केवल एक ही स्त्री के गर्भ में इम्प्लांट किया जाता है।
ब्लास्टोसिस्ट किसे कहते हैं
जब एक पुरुप के स्पर्म एक स्त्री के अंडों को फर्टिलाइज करके एक सैल का गठन करते हैं तब इसे जाइगोट कहा जाता है। एकमात्र जाइगोट सेल।में फिर कई सारे विभाजन होने लगते हैं जिनसे 2,4,8,16 आदि सैल बनते जाते हैं। चार से 5 दिनों के बाद, गर्भाशय में इम्प्लांट किए जाने से पहले, सैलों के इस पिंड को ब्लास्टोसिस्ट कहा जाता है। लास्टोसिस्ट में एक आंतरिक सैल पिंड होता है जिसे एम्ब्रियो ब्लास्ट कहते हैं और एक बाहरी सैल पिंड होता है जिसे ट्रोफो ब्लास्ट कहते हैं। बाहरी सैल पिंड प्लेसेंटा (बीजांडासन) का भाग बन जाता है और आंतरिक सेल पिंड सैलों का समूह होता है जो विभाजित होकर अलग-अलग अंगों के रूप में विकसित होकर एक वयस्क ढांचे में रूपांतरित होता है। यह पिंड ऐम्बियोनिक स्टेम सैलों का स्रोत है। एक सामान्य गर्भधारण प्रक्रिया में यही ब्लास्टोसिस्ट स्टेप तब तक चलाती रहती है जब तक ऐम्ब्रियो का इम्प्लांटेशन यूट्रस (गर्भाशय में नहीं हो जाता है, जहां पर ऐम्ब्रियो को फीटस गर्भ कहा जाता है यहां आम तौर पर 10वें सप्ताह के अंत में होता है, जब शरीर के सभी प्रमुख अंग विकसित हो चुके होते है।
ऐडल्ट (वटास्क) स्टेम सेल
ऐडल्ट या सोमैटिक स्टेग सैल ऐम्ब्रियोनिक विकास के बाद पूरे शरीर में मौजूद होते हैं और ये अलग-अलग प्रकार टिश्यूज में पाए जाते हैं। ये स्टेम सैल मस्तिष्क, बोनमैरो, रक्त, रक्तवाहिनी नलियों, स्केलेटल मांसपेशियों, त्वचा और लीवर के टिश्यूज में पाए जाते हैं। ये कई वर्षों तक शांत (निष्क्रिय) या अविभाजित स्थिति में रहते हैं जब तक इन्हें किसी बीमारी या टिश्यूइंजरी से सक्रिय ना बना दिया जाता है। ऐडल्ट स्टेम सेल विभाजित हो सकते हैं या अनगिनत रूप से स्वयं नवनिर्मित हो सकते हैं।
इस तरह ये मूल अंग से सभी प्रकार के सैल जनरेट करने में सक्षम होते है या ये संपूर्ण मूल अंगों को ही पुनर्निर्मित करने की क्षमता रखते हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि ऐडल्ट स्टेम सेलों में अलग-अलग रूप से विभाजित होने की क्षमता सीमित रहती है जो उनके मूल टिश्यू पर आधारित होते हैं लेकिन ऐसे भी कुछ प्रकाण मिले हैं जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि वो विभाजित होकर अन्य सैलटाइप में परिवर्तित हो सकते हैं। ऐम्ब्रियोनिक एवं ऐडल्ट स्टेम सैलों में अंतर हैं :
1.ऐम्बियोनिक स्टेम सैल शरीर के सभी प्रकार के सैलों में परिवर्तित हो सकते हैं जबकि ऐडल्ट स्टेम सेल कुछ सीमित प्रकार के सैलों में ही परिवर्तित हो सकते हैं।
2. ऐम्बियोनिक स्टेम सैल आसानी से कल्वर में विकसित किए जा सकते हैं जबकि ऐटल्ट स्टेम सैलों को एक ऐडल्ट टिश्यू से अलग करना काफी कठिन कार्य होता है। (यह एक महत्वपूर्ण अंतर है क्योंकि स्टेम सैल प्रत्यारोपण चिकित्सा में बड़ी संख्या में सैलों की जरूरत पड़ती है।
स्टेम सैल
की शक्ति
एवं चिकित्सा
प्रणाली में
उनका महत्व
अब तक
हम जान
चुके हैं
कि स्टेम
सैल हमारे
शरीर की
नींव में
मौजूद होते
हैं। हम
कह सकते
हैं कि
हमारे शरीर
के प्रत्येक
भाग जैसे
त्वचा, हड्डियों,
मांसपेशियों और
सभी अंग
प्रत्यंग स्टेम
सैल से
ही बने
हैं। जब
कोई बच्चा
मां की
कोख में
आकार ले
रहा होता
है, तब
यह केवल
स्टेम सैलों
का एक
पिंड ही
होता है।
ये स्टेम
सेल धीरे-धीरे
विभाजित होकर
विशिष्ट प्रकार
के रोल
जैसे त्वचा
सैल, रक्त
सैल आदि
में रूपांतरित
होते हैं
ताकि शरीर
के अंगों
का निर्माग
हो सके।
आधुनिक चिकित्सा
में स्टेम
सैलों की
तीन विशेषताओं
का महत्व
दिन प्रतिदिन
बढ़ता जा
रहा है।
स्टेम सेलों में शरीर के किसी भी प्रकार के सैल में रूपांतरित झेने की क्षमता होती है। ये स्टेग सैल अनगिनत रूप से अपनी प्रतिलिपि या अपने जैसे अन्य सैलों का निर्माण कर सकते हैं। समय समय पर हमारे शरीर में पुराने सैल नए सैलों से प्रतिस्थापित होते रहते हैं। स्टेम रील ही हमारे शरीर के भीतर इस प्रकार के मरम्मत एवं पुनर्निर्माण के कार्य के लिए जिम्मेदार होते हैं। उपयुक्त कारणों से स्टेम सेल आजकल चिकित्सा क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे है । शोध से प्रमाणित हुआ कि स्टेम सैलों का प्रयोग कई प्रकार की चिकित्सकीय परिस्थितियों में किया जा सकता है। पिछले ५० वर्षों में लाखों लोग स्टेम सेल की अद्भुत शक्ति से लाभान्वित हुए हैं और एक नया जीवन जी रहे हैं।
रोगों के निवारण में स्टेम सैल का प्रयोग
स्टेम सैल बोन मैरो में बनते हैं और इन्हें विभिन्न प्रकार के सैलों के रूप में विकसित किया जा सकता है। स्टेम सैलों को ट्रांसप्लांट करने से लोगों की रक्त संबंधित या रोग प्रतिरोधी तंत्र संबंधी रोगों को दूर किया जा सकता है। स्टेम सैल कुछ नान-कैंसरस रोग जैसे इम्यून हेफिशिएंसी समस्याएं, ऑटो इम्यून रोगों या रक्त संबंधी विकार (थैलेसीमिया या स्किल सैल डिजीज आदि) में भी मदद करते हैं। आज स्टेम सैल ट्रांसप्लांट थेरेपी से कैंसर, ट्यूमर जैसे असाध्य रोगों का भी इलाज संभव होता जा रहा है। इनके अलावा स्टेम सैलों का प्रयोग डायबिटीज और हृदय रोगों के उपचार के लिए भी किया जा रहा है। स्टेम सैलों पर शोध।अभी चल रहा है और किस प्रकार से एक सैल से एक पूरा अंग विकसित हो सकता है या कैसे स्वस्थ्य सैल खराब या अस्वस्थ सैलों को वयस्क अंगों में प्रतिस्थापित कर सकता है, इन सबके बारे में ज्ञानवर्धन किया।जा रहा है। समकालीन प्राणीविज्ञान के क्षेत्र में स्टेम सैल शोध एक आकर्षक विषय बनता जा रहा।