नैनो मिशन
नैनो मिशन
मिशन इस (नैनो) तकनीक के क्षेत्र में अध्ययन, अनुसधान और नवाचार के जरिये संपूर्ण विकास के लिए भारत सरकार का एक व्यापक कार्यक्रम है। नैनो तकनीक का उपयोग चिकित्सा, अंतरिक्ष, दूरसंचार. खाद्य प्रसंस्करण और पर्यावरण सुरक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों में होता है। इसकी व्यापक संभवानाओं को समझते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने 2001 में नैनो विज्ञान और
तकनीक कार्यक्रम (एनआईएसटी) शुरू किया। नैनो मिशन इस कार्यक्रम की अगली कडी है। सरकार ने 2007 में 1000 करोड़ रुपये के शुरुआती आवंटन के साथ नैनो मिशन को मंजूरी दी इस मिशन का ढांचा इस तरह । तैयार किया गया है. ताकि नैनो विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न एजेंसियों की तरफ से किए जा रहे प्रयासों के बीच समन्वय हासिल किया जा सके और संगठित रूप से नए कार्यक्रमों की शुरुआत की जा सके। इसके अलावा, जरूरत पड़ने पर शोध की दिशा में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयासों को बढ़ावा दिया जाएगा। आज वैज्ञानिक प्रकाशनों के मामले में भारत का स्थान दुनियाभर में छठा है। तकरीवन 1 000 अनुसंधानकर्ताओं का सक्रिय समुदाय उभरकर सामने आया है। इसके अलावा, देश में कुछ पहले ही दिलचस्प प्रयोग सामने आ चुके हैं।
नैनो मिशन का मकसद
अनुसंधान को बुनियादी स्तर पर बढ़ावा देना- निजी तौर पर वैज्ञानिकों या वैज्ञानिकों के समूह द्वारा बुनियादी स्तर पर अनुसंधान के लिए धन मुहैया कराना। साथ ही. अनुसंधान के लिए उत्कृष्ट केंद्रों की स्थापना करना। नैनो विज्ञान और तकनीक अनुसंधान के लिए आधारभूत संरचना का विकास-महंगी और परिष्कृत प्रणाली के अधिकतम उपयोग के लिए देशभर में सहभागी केंद्रों की श्रृंखला तैयार करना। नैनो के उपयोग और तकनीकी विकास से जुड़े कार्यक्रम-
मिशन का लक्ष्य उपयोग आधारित शोध और विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देना. नैनो के उपयोग और तकनीकी विकास से जुड़े केंद्रों और नैनो-तकनीक विजनेस इनक्यूबेटर की स्थापना आदि हैं। सीधा अनुसंधान और विकास या सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) उपक्रमों के जरिये नैनो तकनीक को औद्योगिक क्षेत्र से जोड़ने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।
मानव संसाधन विकास: मिशन विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधानकर्ताओं और पेशेवरों को प्रभावकारी शिक्षा और प्रशिक्षण मुहैया कराने पर फोकस करेगा। इसकी योजना एमएससी/एमटेक कोर्स शुरू करने, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फेलोशिप लागू करने, विश्वविद्यालय में इसके लिए प्रयास करने की है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग. वैज्ञानिकों के अनुसंधान संबंधी दौरे. संयुक्त कार्यशाला और सम्मेलन व संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के अलावा विदेश में मौजूद अनुसंधान के बेहतरीन केंद्रों की उपलब्धता सुनिश्चित करने, उत्कृष्ट मानकों वाले संयुक्त केंद्रों की स्थापना और जरूरत के हिसाब से अकादमिक और उद्योग जगत की साझेदारी की भी योजना है।
नैनो मिशन को लागू करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी
विभाग प्रमुख एजेंसी है। सर्वांच्च स्तर पर इसका संचालन नैनो मिशन परिषद द्वारा किया जाता है। फिलहाल इसके चंयरमैन प्रोफेसर सी एन आर राव है, जो जवाहर लाल नेहरू एडवांस वैज्ञानिक शांश्र केद्रे (जेएनसीएएसआर), बेंगलुरु से जुड़े हैं। नैनो मिशन के लिए तकनीकी कार्यक्रमों का निर्देशन दो सलाहकार समूहों द्वारा किया जा रहा है- नैनो विज्ञान सलाहकार समूह (एनएसएजी) और नैनो उपयोग और तकनीक सलाहकार समूह (एनएटीएजी)। नैनो विज्ञान और तकनीक में अब तक डीएसटी की गतिविधियां बुनियादी वैज्ञानिक अनुसधान को लंकर काम कर रहे वैज्ञानिकों की तकरीबन 130 परियोजनाओं को अब तक मदद दी गई है। इन परियोजनाओं के महत्वपूर्ण नतीजे देखने का मिले हैं।
देशभर में नैनो विज्ञान पर 11 इकाइयो/कोर ग्रुप को मंजूरी दी गई है। उत्कृष्टता के इन केंद्रों में संबंधित क्षेत्र के अन्य वैज्ञानिकों के लिए ज्यादा बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं और इससे वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। विशेष उपयोगों के लिए प्रयास की खातिर नैनो तकनीक के 7 केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, जेएनसीएएसआर. बेंगलुरु में ‘कंप्यूटेशनल मटीरियल विज्ञान’ के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट केंद्रं स्थापित किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग से जुड़े कार्यक्रम हाल में विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग के लिए हुए सभी समझौतों में नैनो विज्ञान और तकनीक की प्रमुखता से उपस्थिति रही है। कई देशों के साथ पहले से संयुक्त अनुसंधान और विकास गतिविधियां चल रही हैं।
उदाहरणस्वरूप अमेरिका के साथ डीएसटी-एनएसएफ कार्यक्रम के तहत कई परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराया गया है। कई भारत-अमेरिकी कार्यशालाएं भी हुई हैं। जर्मनी के साथ नैनो संयोजन पर आधारित कार्यक्रम शुरू हुआ हे, जिसके तहत मुख्य रूप से चुंबकीय गुणों, चुंबकीय अंत:क्रिया, गैस-ठोस अंत:क्रिया आदि पर ध्यान दिया जाएगा। इस सिलसिले में इटली, यूरोपीय यूनियन के साथ भी कार्यक्रम चल रहे हैं और ताइवान के साथ भी सहयोग की तैयारी है। एआरसीआई, हैदराबाद विज्ञान और तकनीक विभाग के तहत स्वायत संस्थान है । इस संस्थान की रूस, यूक्रेन, जापान, जर्मनी और अमेरिका के संस्थानों के साथ नैनो मिशन के क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी है।