अपोलो-11 मिशन के 51 वर्ष
अपोलो-11 मिशन के 51 वर्ष
पृथ्वी के इतर किसी आकाशीय पिंड पर मानव द्वारा कदम रखने की 50वीं वर्षगांठ 20 जुलाई, 2019 को मनायी गयी। उल्लेखनीय है 20 जूलाई, 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अपोलो-11 मिशन ने चंद्रमा के धरातल को स्पर्श किया था वैसे अपोलो-11 चंद्रमा के लिए पहला मानव मिशन नहीं था। पहला मानव युक्त चंद्र मिशन अपोलो-8 था जो 24 दिसंबर, 1968 को चंद्रमा का चक्कर लगाया परंतु यह उसके धरातल पर उतरा नहीं था। इस मिशन के साथ तीन लोगों ने भी चंद्रमा का चक्कर लगाया। ये थे: फ्रैंक बोरमैन, बिल एंडर्स एवं जिम लोवेल। चूंकि अपोलो-8 कि चंद्रमा के धरातल को स्पर्श को नहीं किया इसलिए ये लोग भी चंद्रमा पर नहीं उतरे। अपोलो-11 के क्रू सदस्य नील आर्मस्ट्रॉन्ग, माइकल कॉलिन्स एवं बज एल्ड्रिन थे। इनमें से नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चद्रमा पर पहला कदम रखा और उनका यह कथन कि ‘आदमी के लिए यह एक छोटा कदम, मानव जाति के लिए विशाल छलांग है,’ आज भी मानव की बड़ी उपलब्धि को इंगित करता है।
मिशन इतिहास व पृष्ठभूमि
अपोलो-11 मिशन बस्तुत: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. केन्नेडी द्वारा 25 मई, 1961 को घोषित राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुरूप था जिसका उद्देश्य चंद्रमा के धरातल पर उत्तरकर पृथ्वी पर वापस आना था। इसी लक्ष्य के अनुरूप अपोलो -11 को केप केनेडी अंतरिक्ष केंद्र फ्लोरिडा से 16 जुलाई, 1969 को सैटर्न-5 एएस-S06 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया अपोलो ।
अंतरिक्षयान कमांड मॉड्यूल कोलबिया व लूनर मॉड्यूल ईंगल से युक्त था। मिशन के यात्रियों को पृथ्वी से 240,000 मील की दूरी 76 घंटे में तय करनी पड़ी। 20 जुलाई, 1969 को जब लूनर मॉड्यूल ईगल को कोलॉबिया से अलग किया गया तब माइकल कॉलिन्स कोलोंबिया में रह गये। आर्मस्ट्रॉन्ग एवं एल्डरिन को लेकर ईगल चंद्रमा के ‘सी ऑफ ट्रांक्विलिटो’ वाले हिस्से पर उतरा। ये दोनों चंद्रमा की धरातल पर 21 घंटे, 36 मिनट तक तक रूके। 24 जुलाई, 1969 को वापस यह यान प्रशांत महासागर में उतरा जिसे यूएसएस हॉर्नेट से रिकवर किया गया।
पृथ्वी पर लाए गए नमूने अपोलो-11 पृथ्वी पर चंद्रमा से प्रथम भूगर्भिक नमूने लेकर आया। इनमें कुल 22 किलोग्राम की सामग्रियां शामिल थीं जिनमें 50 चट्टानें, महीन चंद्र मृदाएं तथा दो कोर ट्यूब भी शामिल थीं जिनमें चंद्रमा के धरातल से 13 सेंटीमीटर नीचे से ली गई सामग्रियां भी शामिल थीं। चंद्रमा से जो नमूने पृथ्वी पर लाए गए थे उनमें न तो पानी के साक्ष्य थे न ही कोई सजीव था। अपोलो-11 चंद्रमा के जिस जगह पर उतरा था वहां बेसाल्ट व ब्रेस्सियस प्राप्त हुए थे।
अपोलो-11 मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों ने चंद्रमा से जो नमूने लेकर आए थे, उसको लेकर भी चिंताएं विद्यमान थीं वैज्ञानिक यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि इन नमूनों को पृथ्वी पर भंडारित रखना सुरक्षित है या नहीं। इसके लिए नासा के वैज्ञानिकों को कई तरह का परीक्षण करना पड़ा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि संक्रमण हो रहा है या नहीं। यही वजह हैं
नील आर्मस्ट्रॉन्ग
चंद्रमा पर कदम रखने वे पहले व्यक्ति थे। वे दो बार अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके थे। उन्होंने पहली अंतरिक्षयात्रा 1966 में जेमिनी-8 से की थी। वहीं दूसरी यात्रा अपोलो-11 से की थी। नील आर्मस्टरॅनग अमेरिकी नौसेना में भी सेवा दे चुके थे और कोरिया यूद्ध के दौरान वे नेवी पायलट भी थे। 25 अगस्त, 2012 को 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
मचंद्रमा पर चलने वाले प्रथम दो इंसानों आर्मस्ट्रॉग एवं एल्ड्रिन को चंद्रमा से लौटने के पश्चात कई सप्ताह तक अलग-थलग रखा गया।।उनके साथ चुहा भी अतिथि बनकर रहा। इन चूहों में चंद्रमा के नमूने डाले गये थे जिससे कि यह पता चल सके कि उन्हें कोई नुकसान नहीं हो रहा है। चूहा के अलावा कुछ अन्य जानवरों को भी उनके साथ रखा गया था। इन जानचरों में से केवल कस्तूरी (उस्टर) की ही मौत हुयी परंतु इसके कुछ अन्य कारण थे। चंद्रमा से लंए गए नमूनों का पौधों पर प्रतिक्रिया जानने के लिए अमेरिको कृषि विभाग से संपर्क किया गया। चंद्रमा से लाई मिट्टी पर बीज उगाए गए तथा टमाटर, प्याज, फर्न, पत्तागोभी एवं तंबाकू का परीक्षण किया गया। इनमें से किसी भी प्रकार का माइक्रोबियल विकास नहीं देखा गया। क्रू के सदस्यों में भी किसी प्रकार का संक्रमण नहीं देखा गया।
चंद्रमा पर कदम रखने वाले मानव
वर्ष 1969 से वर्ष 972 के बीच कुल 12 अंतरिक्षयात्री चंद्रमा पर कदम रख चुके हैं। मानव ने अंतिम बार 1972 में चंद्रमा पर कदम रखा। चंद्रमा पर कदम रखने वाले 12 अंतरिक्षयात्री इंस प्रकार हैं
व्यक्ति वर्ष
1. नील आर्मस्ट्रॉंग 1969
2. एडविन बज एल्डिन 1969
3. चाल्ल्स पीटर कांनरैड 1969
4. एलन बीन 1969
5. एलन बी. शेफर्ड जूनियर 1971.
6. एडगर डी. मिशेल 1971
7. डेविड आर. स्कॉट 1971
৪. जेम्स बी. इरविन 1971
9. जॉन डब्ल्यू. यंग 1972
10. चार्ल्स एम. ड्यूक 1972
11. यूजीन करनैन 1972
12; हैरिसन एच. श्मिट 1972
उपर्युक्त 12 अंतरिक्षयात्रियों में से जॉन डब्ल्यू यंग एवं यूजीन करनैन दो ऐसे अंतरिक्षयात्री थे, जो दो बार चंद्र मिशन पर जा चुके हैं। एक बार उन्होंने चंद्रमा का चक्कर लगाया जबकि दूसरी बार चंद्रमा के है धरातल को स्पर्श किया।