भारत का पहला परमाणु रिएक्टर था अप्सरा
भारत का पहला परमाणु रिएक्टर था अप्सरा
भारत ने 4 अगस्त 1956 को परमाणु अनुसंधान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की। इस दिन परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान, टॉम्बे में पहला परमाणु रिएक्टर अप्सरा चालु किया गया। यह भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का भी पहला परमाणु रिएक्टर था। इसे भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वदेशी रूप से विकसित किया था। यह कोई बम बनाने वाला रिएक्टर नहीं था, बल्क ऐसा रिएक्टर था जो वैज्ञानिक प्रयोगों और रिसर्च के लिए इस्तेमाल होता था। इसमें यूरेनियम ईंधन का इस्तेमाल होता था और जब इसके परमाणु टूटते थे तो न्यूट्रॉन और ऊर्जा निकलती थी,जिसका इस्तेमाल रेडियोधर्मी आइसोटोप बनाने, वैज्ञानिक प्रयोग करने और मशीनों की अंदरूनी संरचना की जांच जैसे कार्यों में होता था। अप्सरा ने भारत को न केवल वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया, बल्कि देश को एक सशक्त परमाणु राष्ट्र की दिशा में मजबूत नींव भी दी। यह रिएक्टर दशकों तक काम करता रहा और 2009 में इसे स्थायी रूप से बंद दिया गया।
अप्सरा परमाणु रिएक्टर की क्षमता एक मेगावॉट थी। इसमें ईंधन के रुप में यूरेनियम-235 का इस्तेमाल होता था।

स्विमिंग पूल के आकार का था
इस रिएक्टर को भारत के पहले प्रथानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने । नाम दिया था। उन्होंने इसे अप्सरा कहकर देश को समर्पित किया और कहा कि यह नाम बिलकुल उपयुक्त है, क्योंकि यह जल की अप्सरा की तरह है। दरअसल, यह एक स्विमिंग पूल जैसा वॉटर-कूल्ड रिएक्टर था,जिसमें पानी अहम भूमिका निभाता था। इस रिएक्टर का डिजाइन मशहुर वैज्ञानिक डॉ. होमी जहांगीर भाभा और उनकी टीम ने तैयार ।किया था।
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