गाजा पर कब्जे का ब्लूप्रिंट; अमेरिका इसे ‘कॉरपोरेट जोन’ में बदल डालेगा
गाजा पर कब्जे का ब्लूप्रिंट; अमेरिका इसे ‘कॉरपोरेट जोन’ में बदल डालेगा
गाजा पट्टी मिडिल ईस्ट में भूमध्य सागर के किनारे इजराइल और मिस्र की सीमा से घिरा महज 360 वर्ग किमी का क्षेत्र, जो लंबाई में करीब 41 किमी और चौड़ाई में 6-12 किमी है। 22 लाख की आबादी वाले इस इलाके को ‘क्लीन स्लेट’ यानी वर्तमान सत्ता, संरचना और आबादी से मुक्त कर कॉरपोरेट जोनशमें बदलने की बड़ी तैयारी है। जहां, इजराइली नियंत्रण में, अमेरिकी कंपनियां मुनाफा कमा सके।
गाजा क्यों अहम?
यूरोप-मिडिल ईस्ट को जोड़ने वाला ट्रेड रूट, सबसे बड़ा गैस भंडार है
अहम बंदरगाह व समुद्री व्यापारः गाजा से यूरोप, अफ्रीका व प. एशिया को जोड़ने वाला ट्रेड रूट बन सकता है। इजराइली-अमेरिकी पोर्ट कंपनियां अहम बंदरगाह विकसित कर सकती हैं।
आईटी-लॉजिस्टिक्स हबः गाजा में कब्जे के बाद यहाँ स्पेशल इकोनॉमिक जोन या फ्री ट्रेड जोन बन सकता है, जहाँ कर छूट, सस्ते मजदूर और वैश्विक कंपनियों के लिए सॉफट एंट्री पॉइंट बना सकते हैं।
गैस टर्मिनल्स और एनर्जी कॉरिडोर: गाजा पटटी के दक्षिण-पश्चिम में लेवियाथन और तामार जैसे प्राकृतिक गैस बके बड़े भंडार हैं। यहां गैस पाइप लाइनके टर्मिनल, एलएनजी प्लांट और प्रोसेसिंग यूनिट बना यूरोप को गैस पहुंचाना आसान हो सकता है।
टूरिज्ज और हॉस्पिटैलिटी इंफ़राः यहां होटल,रिसॉर्ट, शॉपिंग हब जैसी परियोजनाएं आ सकती हैं,जैसी तेल अवीव में हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प यहां पर रिजॉर्ट बनाने की इच्छा जता चुके हैं।
सैन्य खतरे कम होंगेः अमेरिका सहित पश्चिमी देशों के लिए सैन्य खतरे कम होंगे। अमेरिका गाजा से पूर्व और पश्चिम दोनों को कंट्रोल कर सकता है।
अमेरिका को क्या मिलेगा? निवेश के बड़े मौके और राजनीतिक प्रभुत्व का अवसर…
कंपनियों को अरबों की डीलः अमेरिकी कंपनियोंको अरबों डॉलर के पुनर्नि्माण कॉन्ट्रैक्ट मिल सकतेहैं। पेट्रो क्षेत्रेमे शेवरॉन और रिजॉर्ट सेक्टर में मैरिएटऔर हिल्टन जैसी कंपनियों को फायदा हो सकता है।वर्चस्व बढ़ाने में भी मददगारः अमेरिका गाजा मेंमित्र राष्ट्र इजराइल के जरिए वर्चस्व स्थापित करकेचीन व रूस को पश्चिम एशिया से दूर रख सकेगा।ऊर्जा रणनीतिः यूरोप को गैर-रूसी गैस दिलाने केलिए इजराइल की गैस अमेखिका के लिए रणनीतिकसंपत्ति है। इसके लिए गाजा का शांत होना जरूरी है।
बड़ी चुनौतियां? गाजावासी व विद्रोही गुट
गाजा में 22 लाख फिलिस्तीनी हैं। इजराइल के पीएम नेतन्याहू के आदेश पर उत्तरी गाजा से लगभग 10 लाख फिलिस्तीनी दक्षिणी गाजा आ गए थे। अब गाजा को खाली कराने के लिए ट्रम्प ने सभी 22 लाख को मिस्र या जॉर्डन में बसाने का प्लान बनाया है, लेकिन अरब देश इसका विरोध कर रहे हैं।हमास, हिजबुल्ला व हुती संगठन फिलिस्तीनियों के पक्षधर हैं। भले इन संगठनों का कैडर छिन्न-भिन्न हो गया है, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है।
गाजा पट्टी पर कब्जा करके गैस भंडार तक पहुंचना
मिडिल ईस्ट का गाजा पट्टी, जो कभी जीवंत तटीय क्षेत्र था, आज खंडहर बन गया है। 7अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद से शुरू इजराइल-हमास युद्ध ने गाजा को कब्रिस्तान में बदल दिया है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, युद्ध में 61 हजार से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए। इनमें आधे से ज्यादा महिलाएं व बच्चे हैं। लाखों लोग भुखमरी का शिकार हैं। स्कूल,अस्पताल सहित 90% इमारतें नष्ट हो गई हैं। दूसरी ओर इजराइल इसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई बताता है। गाजा पर पूरे कब्जे की घोषणा के साथ इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा,”हम इसे हमास के कब्जे से खाली करवा रहे हैं। हालांकि यह केवल हमास के खिलाफ युद्धन हीं, बल्कि इसके पीछे गाजा पर कब्जे की गहरी साजिश है, जिसमें अमेरिका की मिली भगत और अरब देशों की चुप्पी शामिल है।

अमेरिका-इजराइल की साठगांठः
अमेरिका ने हमास को आतंकी संगठन घोषित किया। 2023 से 2025 के बीच इजराइल को 27 हजार बम और 50 एफ-15 जेट दिए, जो हमास के खिलाफ इस्तेमाल हुए। इससे हमास और भड़क गया।
अरब देश यूएन, नाटो चुप क्योंः
सऊदी अरब, मिस्त्र और जॉर्डन जैसे अब देशों के शासक किसी भी जन-प्रदर्शन को सत्ता के लिए खतरा मानते हैं। कोलबिया विवि की रिसर्च पफेलो मरीना कैलकली कहती हैं- ‘अरब शासन फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शनों से डरते हैं, क्योकि ये उनकी राजशाही के खिलाफ विरोध भड़का सकते हैं। 2020 के अब्राहम समझोते के बाद यूएई, बहरीन व मोरक्को ने इजराइल से रिश्ते सुधारे। ये देश फिलिस्तीन को अपने रणनीतिक हितों से कम महत्व देते हैं।
यहूदी मानते हैं ,फिलिस्तीन ऐतिहासिक व धार्मिक मातृभूमि है
यहूदी समुदाय मानता है कि फिलिस्तीन (इजराइल, गाजा, वेस्ट बैंक) उनकी ऐतिहासिक व धार्मिक मातृभूमि है, जो बाइबिल में ‘इजराइल की भूमि’ दर्ज है। प्राचीन काल (जैसे डेविड और सोलोमन के शासन) में यहूदी राज्यों का हिस्सा था, लेकिन रोमन काल (70 ईसवी)के बाद उन्हें बेदखल कर दिया गया। 19 वीं सदी के अंत में, यूरोप में यहूदियों पर बढ़ते अत्याचारों के कारण जायोनी आंदोलन हुआ।1897 में थियोडोर हर्जल ने विश्व जायोनी संगठन बनाया, जिसका लक्ष्य फिलिस्तीन में यहूदी राज्य बनाना था।
1917: अंग्रेजों ने फिलिस्तीन में यहूदी बस्तियाँ बसा फूट डाली
साल 1917 में ब्रिटेन ने बाल्फोर घोषणा करके यहूदियों को फिलिस्तीन में ‘राष्ट्रीय गृह’ देने का ऐलान किया। यह क्षेत्र अरब बहुसंख्यक था। नतीजा 1920 और 1930 के दशक में अरब-यहूदी हिंसा भड़की। 1930-40 के दशक में नाजी जर्मनी ने 60 लाख यहूदियों को मार डाला। इससे ‘अलग यहूदी राज्य’ की मांग ने और जोर पकड़ लिया।
1947: यूएन ने फिलिस्तीन को बांटा, 1948 में इजराइल जन्मा
1947 में यूएन फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांटने की योजना लाया। एक यहूदी (इजराइल)और दूसरा अरब। पड़ोसी अरबश देश (मिस्त्र, इराक, जॉर्डन,सीरिया) भड़क गए। इजराइल ने 14 मई 1948 को स्वतंत्रता की घोपणा की। अगले ही दिन मिस्र,इराक आदि ने हमला कर दिया। इजराइल जीता, पर गाजा पट्टी मिस्र के नियंत्रण में चला गया।