कॉलेज स्टूडेंट्स वैदिक गणित और ब्रह्मा-विष्णु- शिववर्ष गणना पढ़ेंगे, पंचांग से मुहूर्त निकालना सीखेंगे
कॉलेज स्टूडेंट्स वैदिक गणित और ब्रह्मा-विष्णु- शिववर्ष गणना पढ़ेंगे, पंचांग से मुहूर्त निकालना सीखेंगे
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(UGC) ने राष्ट्रीय शिक्षा;नीति में लर्निंग आउटकम्स-बेस्ड करिकुलम फ्रेमवर्क के अनुरूप स्नातक स्तर पर आधूनिक गणित के साथ भारतीय परंपरा आधारित प्राचीन गणित का समावेश किया है। यूजीसी ने भारत के मूल प्राचीन गणित की तरफ वापसी कर स्नातक स्तर पर गणित पाठ्यक्रम में वैदिकगणित, बीज गणित, नारद पुराण के बुनियादी अंकगणित व ज्यामिति अवधारणाओं व तकनीकों, खगोल विज्ञान और काल गणना के साथ ही पंचांग गणना व मुहूर्त की गणनाओं को भी शामिल किया है। जिससे अब गणित केवल सुत्र-आधारित विषय न रहकर सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध और रोचक विषय बन पाएगा।
गणित शिक्षा में भारतीय परंपरा और संस्कृति का समावेश
1. काल गणना (पारंपरिक समय गणना): भारतीय विद्वानों द्वारा सूर्य, चंद्र, नक्षत्र और पृथ्वी के गति का उपयोग कर समय गणना की विधियों सिखाई जाएंगी। पंचांग और मुहूर्त का निर्धारण भी शामिल किया गया है। घटी और विघटी जैसी वैदिक समय इकाइयों की तुलना आधुनिक समय प्रणालियों जैसे ग्रीनविच मीन टाइम और भारतीय मानक समय से की जाएगी।
2. भारतीय बीज गणित, बीजगणित का इतिहास और विकास पढ़ाया जाएगा। इसमें परावत्य योजयात सुत्र जैसे पारंपरिक वैदिक तकनीकों का उपयोग होगा। शुल्ब सुत्रों की ज्यामिति और सूत्र-आधारित अंकगणित जैसी भारतीय गणितीय विधियों को शामिल किया गया है।
3. खगोल विज्ञान, विष्णु वर्ष और शिव वर्ष आदि का समावेश : पाठ्यक्रम में सूर्य सिद्धांत और आर्यभट्ट जैसे ग्रथों का अध्ययन का समावेश किया गया है। ब्रह्मांडीय समय संरचना जैसे युग, कल्प, ब्रह्मा वर्ष, विष्णु वर्ष और शिव वर्ष आदि का परिचय कराया जाएगा।
4. नारद पुराण, वेद और छंदशास्त्र : भारतीय परंपरा में’पुराणों’ का महत्व पढ़ाया जाएगा। नारद पुराण में पाई जाने वाली बुनियादी अंकगणितीय संक्रियाओं और ज्यामिति से संबंधित गणितीय अवधारणाओं को भी ड्राफ्ट में शामिल किया गया है। भारतीय गणित का दाशनिक दृष्टिकोण के वेद, दर्शन, पुराण, अर्थशास्त्र में गणित की भूमिका और व्यक्तित्व विकास का समावेश किया है।

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