सेमी कंडक्टर में भारत बनेगा सुपर पावर

भारत ने हाल ही में अपनी पहली स्वदेशी चिप ‘विक्रम’ लॉन्च की है।इससे वर्ष 2030 तक भारत की चिप्स और प्रोसेसर्स के लिए अन्य देशों पर निर्भरता घटने की उम्मीद लगाई जा रही है।अब नजरें 728 अरख डॉलर के वैश्विक बाजार पर भी रहेगी।

भारत ने हाल ही में अपनी पहली स्वदेशी चिप ‘विक्रम’लॉन्च की है। यह सेमी कंडक्टर उद्योग में भारत के लिए ऐतिहासिक क्षण है। पहली बार देश ने प्रोसेसर डिजाइन से लेकर सिलिकॉन तक, पूरी प्रक्रिया घरेलू स्तर पर ही यह ने सिर्फ डिजाइन क्षमता, बल्कि पूरी प्रोड़क्शन को भी दर्शाता है। इससे भारत को’सॉवरेन कंप्यूटिंग सिस्टम’ बनाने का आत्मविश्वास मिलेगा। भले ही प्रतीकात्मक तौर पर ही सही, लेकिन कम से कम इसके जरिए दर्शाया है कि अब भारत भी सेमीकंडक्टर क्षेत्र का गंभीर खिलाड़ी है। आखिर यह उपलब्धि भारत के लिए कितनी अहम है।

चिप सप्लाई चेन पर कम होगी निर्भरता

मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी के अनुसार भारत का सेमी कंडक्टर आयात बिल 2022-23 में 23 अरब डॉलर रहा। ऐसे में स्वदेशी चिप का विकास आयात में भारत की निर्भरता को कम कर सकता है। मिशन-क्रिटिकल चिप्स का घरेलू उत्पादन कर भारत सप्लाई चेन में आने वाली रुकावटों व निर्यात प्रतिबंधों से बच सकता है। जैसे-जैसे घरेलू फैब्स (चिप निर्माण फैक्ट्रियां) सक्रिय होंगी, आयात पर भारत की निर्भरता घटेगी।वैश्विक परिदृश्य में बदलेगी स्थिति अब तक भारत को केवल डिजाइन सेवाओं के केंद्र बतौर देखा जाता था। लेकिन विक्रम जैसी स्वदेशी चिप, पैकेजिंग सुविधाओं का विस्तार और निर्माणाधीन फैब्स के साथ भारत एक उभरते मैन्युफैक्चरिंग खिलाड़ी की तरह दिख रहा है। यह भारत को भू-राजनीतिक रूप से संवेदनशील उद्योग में एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में स्थापित करेगा।

मैनयफैक्चरिंग इकोसिस्टम में अवसर

इससे हर स्तर पर नए अवसर खुल सकते हैं। अब हम स्टार्टअप्स चिपलेट्स, डोमेन-स्पेसिफिक एक्सेलरेटर और RISC-V आधारित IP ( मेमोरी कंट्रोलर, USB इंटरफेस,GPU यूनिट आदि) का विकास एवं निर्माण कर सकते हैं। रसायन, उपकरण और ऑटोमेशन आपुर्ति करने वाले नए व्यवसाय सेमी कंडक्टर वैल्यू चेन में उभर सकते हैं। रक्षा और अतरिक्ष के लिए अहम ‘विक्रम’ की जड़ें ‘स्पेस-ग्रेड’ से जुड़ी हैं, इसलिए यह एयरोनॉटिक्स और सुरक्षित कम्युनिकेशन के लिए उपयुक्त है। रक्षा क्षेत्र में यह भरोसेमंद कंप्यूटिंग उपलब्ध कराता है, जिसमें बैकडोर का खतरा नहीं होगा। हालांकि एआई के लिए यह इतना हाई-एंड एक्सेलरेटर तो नहीं है।

क्यों बढ़ रहा है दुनिया में सेमीकंडक्टर का बाजार? एआई और रोबोटिक्स

ईवी और आटोमोबाइल

नए जमाने के वाहनों जैसे इलेक्ट्रिक कारों की वजह से भी सेमीकंडक्टर और चिप्स के बाजार में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।वाइसगाइस की रिपोर्ट के अनुसार केवल 2024 में जहां ईवी के लिए सेमीकंडक्टर का बाजार 6 अरब डॉलर था, वहीं इसके 2035 तक बढ़कर 25 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है।

कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स

स्मार्टफोन, लैपटॉप और अन्य स्मार्ट डिवाइसेस के फीचर्स में बढ़ोतरी हो रही है। हर नए मॉडल में अधिक चिप्स की जरूरत उदाहरणार्थ स्मार्टफोन सेमीकंडक्टर का जो बाजार 2025 में लगभग 37 अरब डॉलर है, उसके 2030 तक बढ़कर 64 अरब डॉलर होने की उम्मीद है।

1. ताइवान: सबसे बड़ा मैन्युफैक्वर

यह सेमीकंडकटर मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा केंद्र। दुनिया की बड़ी कंपनियों में से एक ताइवान सेमीकंडक्टर मैनुफैक्वरंग कंपनी का मुख्यालय यहीं है। आईसी इनसाइट्स के अनुसार इसके पास अकेले ही ग्लोबल फाउंड्रीमार्केट का 60% हिस्सा है। यह एपल, क्वालकॉम जैसी बड़ी कंपनियों द्वारा डिजाइन चिप्स का निर्माण करती है।

2. द. कोरिया : मेमोरी चिप्स में लीडर

मेमोरी चिप्स के निर्माण मेंदक्षिण कोरिया वर्ल्ड लीडर है।नई तकनीक और रिसर्च इसकी बढ़त के प्रमुख कारक हैं। यह देश एडवांस प्रोसेसिंग और मेमोरी इनोवेशन, दोनों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सेमीकंडक्टर रेवेन्यू के मामले में यहां की सैमसंग कंपनी 229 अरब डॉलर के साथ दुनिया की नंबर वन कंपनी है।

3.अमेरिका : रिसर्च में सबसे आगे

सेमीकंडक्टर और चिप्स के अनुसंधान तथा डिजाइन में यह सबसे आगे। मार्केट कैप के हिसाब से दुनिया की नंबरवन कंपनी एन्वीडिया (4.25ट्रिलियन डॉलर ) यहीं की है। इसके अलावा इंटेल,क्वालकॉम और एएमडी भी वे अमेरिकी कंपनियां हैं, जो दुनिया की शीर्ष 10 कंपनियों में शामिल हैं।

4. चीन : सबसे अधिक खपत यहीं

सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉपोरेशन इसकी सबसे बड़ी कंपनी है। यह ग्लोबल चिप्स का लगभग 20 फीसदी उत्पादन करता है। हालांकि यहयह विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। 2024 में चीन ने लगभग 190 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर आयात किए। यह वैश्विक खपत का 30 फीसदी है।

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