भारत विश्व के प्राचीनतम देशों में से एक है। यह एक विस्तृत एवं विशाल देश है। इसके आकार की विशालता इतनी प्रभावशाली है कि इसका वर्णन प्रायः ‘उपमहाद्वीप’ के रूप में किया जाता है। हिन्द महासागर और हिमालय की गोद में बसे इस देश का नामकरण भारतवर्ष प्राचीन काल से ही होता आया है। वैदिक आर्यों के भारत नाम की शाखा के नाम पर ‘भारतवर्ष’ हुआ। वैदिक आर्यों का निवास सिन्धु घाटी में था, जिसे इरानियों ने ‘हिन्दू’ नदी तथा इस देश को हिन्दुस्तान कहा। यूनानियों ने सिन्धु को ‘इण्डस’ तथा इस देश को ‘इण्डिया’ कहा। रोम वासियों ने भी सिन्धु नदी को इण्डस (Indus) तथा इस देश को इण्डिया कहा है। साधारण रूप से, इस देश का नामकरण में सिन्धु नदी का अतुलनीय योगदान रहा है।
भारत पूर्णतया एशिया महाद्वीप व उत्तरी गोलाद्ध में स्थित है। भारत विश्व का एक मात्र ऐसा देश है जिसके नाम के पर्यावाची ‘हिन्दुस्तान’ पर एक महासागर (हिन्द महासागर) का नामकरण हुआ है। हिन्द महासागर दक्खिन में विश्व का अत्यधिक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके सामरिक महत्व का अनुमान अल्फ्रेड टी० म… के इस भविष्यवाणी से लगाया जा सकता है। उनके अनुसार, “जो हिन्द महासागर पर नियन्त्रण रखेगा उसका एशिया पर प्रभुत्व होगा क्योंकि यह महासागर साल में विश्व के भाग्य का निर्णय हिन्द महासागर पर ही निर्भर होगा।
भारत की स्थिति एवं विस्तार (Location and Extent of India)
सम्पूर्ण भारत उत्तरी तथा पूर्वी गोलाद्ध में स्थित है। भारत की मुख्य भूमि
8° 4′ उत्तरी अक्षांश से लेकर 37° 6′ उत्तरी अक्षांश
के बीच स्थित है। यह विस्तार लगभग 30° अक्षांशीय विस्तार के बराबर है जो भूमध्य रेखा के करीब स्थित है। भारत की स्थलीय विस्तार
68° 7′ पूर्वी देशान्तर से 97° 25′ पूर्वी देशान्तर
तक फैला है। भारत का यह अक्षांशीय विस्तार के बराबर है जो प… ध्रुवी परिधि का बारहवां भाग है। इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण तक 3214 कि०मी० और पूर्व से पश्चिम तक 2933 कि०मी० तथा
कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि०मी० है ।
यह विश्व का सातवां बड़ा देश है । भारत क्षेत्रफल के मापन में 9 गुणा, ब्रिटेन से 13 गुणा, पाकिस्तान से 4 गुणा तथा बांग्लादेश से रूस साडे पांच गुणा तथा चीन, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका तीन गुणा बड़े आकार का होकर न तो विशालकाय है और न ही छोटा। विश्व में भारत की जनसंख्या पहले स्थान पर है। यहाँ विश्व के केवल 2% भाग पर विश्व की 17% जनसंख्या निवास करती है। वर्तमान समय में भारत की जनसंख्या एक सौ चालिस करोड़ से कुछ ज्यादा हो चुकी है ।
भारत की सीमाएँ (Indian Boundaries)
भारत की भौगोलिक स्थिति के अनुसार भारत की सीमाओं का वर्णन दो प्रकार से किया जाता है।
1. स्थलीय सीमाएँ, 2. जलीय सीमाएँ
इन दोनों का प्रथक -प्रथक वर्णन निम्न प्रकार से है।
1. स्थलीय सीमाएँ :
भारत की स्थलीय सीमाओं का वर्णन भी इनको दो भागों में विभाजित कर किया जाता है।
प्राकृतिक और कृत्रिम दो प्रकार की होती है :
भारत की उत्तरी सीमा प्राकृतिक रूप से हिमालय पर्वत श्रेणी द्वारा बनायी गई है। भारत की स्थलीय सीमाएँ उत्तर में चीन, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान तथा पूर्व में बांग्लादेश से मिलती है। हिमालय पर्वत श्रेणी भारत को चीन, तिब्बत, नेपाल, म्यनमार आदि देशों से अलग करती है। भारत की कुल स्थलीय सीमा 15,200 कि०मी० लम्बी है, में से अधिकतर विश्व की उच्चतम पर्वतीय मेखला हिमालय द्वारा निर्धारित की गई है।
मैकमोहन रेखा 4224 कि०मी० लम्बी है और यह भारत और चीन के मध्य स्थलीय सीमा बनाती है।
नदियाँ तथा पर्वतों द्वारा निर्धारित यह एक प्राकृतक सीमा है।
रेडक्लिफ रेखा भारत और पाकिस्तान की मध्य स्थलीय सीमा रेखा है।
भारत और म्यनमार के मध्य हिमालय की लुशाई, पटकोई, अराकन आदि श्रेणियों भारत की प्राकृतिक सीमाएँ बनाती हैं।
भारत-बांग्लादेश की स्थलीय सीमा पूर्णतः कृत्रिम है, जो पश्चिमी बंगाल, असम, मेघालय तथा त्रिपुरा द्वारा बनायी गई है। भारत की उत्तरी सीमा हमारे दो छोटे देश और भूटान के द्वारा भी बनती है।
जलीय सीमाएँ
जलीय सीमाएँ: जिस प्रकार हिमालय पर्वत भारत की अधिकांश थलीय सीमा को बनाता है उसी प्रकार हिन्द महासागर भारत की जलीय सीमा का निर्धारक है। वर्तमान समय में आर्थिक कारणों के कारण थलीय सीमा की अपेक्षा जलीय सीमा भारत के लिए अधिक महत्वपूर्ण है। भारत की कुल जलीय सीमाओं की लम्बाई 7517 किoमी०है। भारत की मुख्य भूमि की तट रेखा की लम्बाई 6100 किoमी० है और शेष रेखा भारतीय परिधि के अन्त्तर्गत अण्डमान, निकोबार तथा लक्षादीप आदि द्वीपों की तट रेखाएँ हैं। वर्तमान काल में तकनीकी विकार के कारण जलीय सीमाओं की महत्वपूर्णता दिन- प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । भारत के व्यापार मे व द्विपक्षीय का प्रमुख कारण ये जलीय सीमाएँ ही हैं। भारत में मत्स्य उद्योग के विकास का कारण भी यही जलीय रेखाएँ ही है। जल परिवहन का प्रयोग भी इन्हीं सीमाओं के कारण रहा है।
भारत के पड़ोसी देश(Neighbouring Country)
भारतीय, जलीय तथा स्थलीय सीमाओं का निर्धारण अधिकतर प्रकृति द्वारा किया गया है। यही प्राकृतिक सीमाएँ हमारे पड़ोसी देशों से मिलाती है। भारत तीन ओर (दक्षिण, पूर्व एवं पश्चिम) से हिन्द महासागर, खाड़ी बंगाल तथा अरब सागर से घिरा हुआ है। शेष उत्तर तथा पूर्व में इसकी सीमाओं को हिमालय पर्वत की मेखलाएँ निर्धारित करती हैं भारत की मुख्य भुमि के अलावा खाड़ी बंगाल में अण्डमान निकोबार तथा अरब सागर मे लक्ष्यदीप समूह हैं, जो भारत का ही अंग है और भारत के प्रभाव क्षेत्र में आते हैं। समुद्र पार भारत का निकटतम पड़ोसी देश श्रीलंका हैं, जो भारत के दक्षिण में स्थित है और पाक जलडमरू सन्धि द्वारा भारत से अलग किया गया है। हमारा दूसरा निकटतम समुद्री पड़ोसी देश इण्डोनेशिया है । यह निकोबार द्वीप समूह के दक्षिण में स्थित है। भारत के पूर्व में बंग्लादेश, म्यानमार, लाओस, कम्पूचिया, थाइलैण्ड, इण्डोनेशिया, तथा वियतनाम आदि देश हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान इराक, इरान, आदि देश भारत की पश्चिमी सीमा पर रिथित है। पाकिस्तान देश तो वास्तव मे भारत का ही अंग था जो 1947 के विभाजन मे भारत से अलग हो गया।
अपवाह तन्त्र (Drainage System)
भारत की सभ्यता, संस्कृत एवं आर्थिक विकास में नदियों का विशेष एवं महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारतीय नदियाँ सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, मत्स्योत्पादन, जल परिवहन एवं व्यापार का महत्वपूर्ण साधन रही हैं। प्राचीन काल से ही उत्तरी भारत की नदियों की उर्वरक घाटियाँ व डेल्टा तथा दक्षिणी भारत की नदियों के डेल्टा प्रदेश सघन जनसंख्या के निवास स्थान रहे हैं। नदी अपने उद्गम स्थल से लेकर अपने मुहाने तक अपनी सहायक नदियों सहित जल का निर्माण करती है, उसे नदी का “अपवाह तन्त्र” (Drainage System) कहा जाता है।
किसी देश अथवा प्रदेश का अपवाह तन्त्र धरातलीय रचना, भूमि के ढाल, संरचनात्मक नियंत्रण, शैली के स्वभाव, विकर्तनिक क्रियाओं, जल की प्राप्ति तथा अपवाह क्षेत्र के भूगौलिक इतिहास पर निर्भर करता है। भारत नदी विकास की एक लम्बी प्रक्रिया का परिणाम है। भुतल की बनावट तथा नदियों के उद्गम के दृष्टिकोण से भारत के अपवाह तन्त्र को दो भागों में विभाजित किया गया है : (1) हिमालय की नदियों (The Himalayan Rivers) (2) प्रायद्वीपीय नदियाँ (The Peninsular Rivers)
हिमालय की नदियाँ (The Himalayan Rivers)
हिमालय पर्वत का अपवाह मुख्यतः तीन नदी तन्त्रों में विभाजित किया गया है : (1) सिन्धु अपवाह (2) गंगा अपवाह (3) ब्रह्मपुत्र नदी अपवाह ।
सिन्धु अपवाह (The Indus Drainage System):
सिन्धु अपवाह क्षेत्र में पश्चिमी हिमालय से निकलने वाली नदियों में सिन्धु, झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलज आदि नदियाँ आती हैं। इनमें से अकेले सिन्धु नदी 2,50,000 वर्ग कि०मी० क्षेत्र को अपवाहित करती है। ये सभी नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं।
(1) सिन्धु नदी (Indus River)- सिन्धु नदी लद्दाख श्रेणी के उत्तरी भाग में 5180 मीटर की ऊँचाई से तिब्बत में मानसरोवर झील के पास से निकलती है। यह उत्तरी कश्मीर में गिलगित की दुर्गम श्रंखलाओं को पार करती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है। अटक के निकट यह पुनः पहाड़ियों से होकर बहने लगती है। अटक से लेकर मुहाने तक पाकिस्तान में सिन्धु नदी की लम्बाई 1610 कि०मी० है। सिन्धु नदी की कुल लम्बाई 2880 कि०मी० तथा अपवाह क्षेत्र 9.6 लाख वर्ग कि०मी० है। भारत में यह 1134 कि०मी० की लम्बाई में बहती है तथा 1,17844 वर्ग कि०मी० क्षेत्र का जल प्रवाहित कर ले जाती है।
(2) झेलम (Jhelum)- पूर्व की ओर से आने वाली सिन्धु की सहायक नदियों में झेलम नदी कश्मीर में शेषनाग झील से निकलकर 112 कि०मी० उत्तर-पश्चिम दिशा में बहती हुई वुलर झील में मिलती है। इस मार्ग में यह महान हिमालय और पीरपंजाल श्रेणियों के बीच बहती है। आगे श्रीनगर में नीचे इसमें सिन्धु नदी मिलती है। बारामूला के आगे यह 2,130 मीटर गहरी घाटी में बहती है जिसमें आगे चलकर किशनगंगा नदी मिल जाती है। जम्मू से आगे बड़ने पर त्रिनमु नामक स्थान पर यह चिनाब से मिलती है। काश्मीर राज्य में आवागमन एवं व्यापार में झेलम नदी से बड़ी सहायता मिलती है। श्रीनगर में इस पर ‘शिका’ या ‘बजरे’ अधिक चलाये जाते हैं। नावों में फल, सब्जियाँ और फूलों की खेती की जाती है। किशनगंगा, लिद्दर (Lidder) व सिन्धु झेलम की सहायक नदियाँ है। काश्मीर घाटी में इसकी कुल लम्बाई 400 कि०मी० तथा प्रवाह क्षेत्र 28,490 वर्ग कि०मी० है।
(3) सतलज नदी (Sutlej)- यह मानसरोवर झील के निकट शाहताल से निकलती है। तिब्बत में यह बहुत तंग मार्ग से बहती है। रोपर के निकट यह शिवालिक श्रेणियों का चक्ककर काटकर मैदान में उतरती है। यहीं भाखड़ा नागल बाँध बनाया गया है। यह करनपुरला के निकट व्यास से मिल जाती है। भारत में इसकी लम्बाई 1050 कि०मी. तथा अपवाह क्षेत्र 24,087 वर्ग कि०मी० है।
(4) चिनाब नदी (Chenab)- इस नदी का जन्म 4,900 मीटर ऊँचे लाहौल नामक स्थान से बारालाचा दर्रे के विपरीत दिशा में होता है। काश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में प्रवाहित होने वाली यह नदी भारत में 1180 कि०मी० लम्बाई रखती है तथा प्रवाह क्षेत्र 26,755 वर्ग कि०मी० है।
(5) रावी नदी (Ravi)- यह पंजाब की सबसे छोटी नदी है। इसमें धौलाधार पर्वत माला के उत्तरी तथा पीर पंजाल श्रेणी के दक्षिणी ढालों का जल बहकर आता है। बसरोली के निकट यह मैदान भाग में उतरती है। इसकी लम्बाई 725 कि०मी० तथा अपवाह क्षेत्र 5,957 वर्ग कि०मी० है। यह माधोपुर के निकट पाकिस्तान में प्रवेश करती है।
(6) ब्यास नदी (Beas)- रावी के स्रोत के निकट ही यह नदी भी निकलती है। लार्जी से तलवाड़ा तक गहरी कन्दरा में प्रवाहित होती हुई हरीके नामक स्थान पर सतलज नदी से मिलती है। इसकी कुल लम्बाई 470 कि०मी० तथा गंगा अपवाह (The Ganga Drainage System) इस नदी अपवाह का निर्माण हिमालय एवं प्रायद्वीपीय उच्च भागों में निकलने वाली नदियों तथा भागों से गंगा, यमुना, काली, करनाली, रामगंगा, गंडक व कोसी एवं प्रायद्वीपीय उच्च भागों आदि नदियों निकलकर गंगा नदी अपवाह का निर्माण करती है।
गंगा अपवाह (The Ganga Drainage System)
इस नदी अपवाह का निर्माण हिमालय एवं प्रायद्वीपीय उच्च भागों में निकलने वाली नदियों से होता है। हिमालय के हिमाच्छादित मार्गो से गंगा, यमुना, काली, करनाली, रामगंगा, गंडक व कोसी एवं प्रायद्वीपीय उच्च भागों में चंबल, बेतवा, टोंस, केन, सोन आदि नदियाँ निकलकर गंगा नदी अपवाह का निर्माण करती हैं।
(1) गंगा : गंगा नदी उत्तरी भारत की सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी है। यह भागीरथी और अलकनन्दा नदियों का सम्मिलित रूप है। इसका उद्गम स्रोत उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री ग्लेशियर पर 7,010 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। अलकनन्दा नदी तिब्बत की सीमा के निकट 7,800 मीटर की ऊँचाई से निकलती है। भागीरथी और अलकनन्दा का संगम देवप्रयाग में होता है। यहीं से यह नदी ‘गंगा’ के नाम से पुकारी जाती है। 250 कि.मी. की दूरी तय करने के पश्चात् गंगा नदी ऋषिकेश-हरिद्वार में पहाड से नीचे उतरती है। उद्गम स्थल से मुहने तक गंगा नदी की सम्पूर्ण लंबाई 2,525 कि.मी० है जिसमें सह 1,450 कि.मी० उत्तर प्रदेश में 445 कि.मी० बिहार में तथा 520 कि.मी० पश्चिमी बंगाल में बहती है। इसका प्रवाह क्षेत्र 8,61,404 वर्ग कि.मी० है जो आठ राज्यों में विस्तृत है। गंगा बेसिन का भौगोलिक क्षेत्रफल भारत का लगभग एक चौथाई से अधिक (26.3) है। गंगा नदी तट पर उत्तर की ओर से 7, दक्षिण की ओर से 6 तथा मुहाने के निकट भागीरथी तथा हुगली सहित पांच प्रमुख सहायकनदियाँ हैं।
(2) रामगंगा- यह मुख्य हिमालय के दक्षिणी भाग से नैनीताल के समीप से निकलती है। की यात्रा में तेज़ी से बहती है। बिजनौर जिले में कालागढ़ के निकट मैदान में प्रवेश करती है। 596 कि०मी० लम्बाई रखने वाली यह नदी कन्नौज के निकट गंगा से मिल जाती है। इसका अपवाह क्षेत्र 32,493 वर्ग कि०मी० है। सोह, गंगन, अरिल, कोसी तथा गरु इसकी सहायक नदियाँ हैं।
(3) गोमती- यह उत्तर प्रदेश की पीलीभीत जिले के लगभग 3 कि०मी० पूर्व से 200 मीटर की ऊँचाई से निकलती है।
(4) घाघरा: इसका उद्गम स्रोत मानसरोवर झील के निकट है। इसकी लम्बाई का 55% भाग नेपाल में तथा 45% भाग भारत में आता है। इसका सम्पूर्ण प्रवाह क्षेत्र 127950 वर्ग कि.मी. है। शारदा, चौका, सरयू, राप्ती व छोटी गण्डक इसकी सहायक नदियाँ हैं। यह बिहार में छपरा के निकट गंगा से मिलती है। इसकी कुल लम्बाई 1,180 कि.मी० है।
(5) गण्डक: इसे नेपाल में नारायणी नदी के नाम से जाना जाता है। यह तिब्बत में 7,260 मीटर की ऊँचाई से निकलती है। इसका प्रवाह क्षेत्र 45,800 वर्ग कि.मी० है, जिसका 9,540 वर्ग कि.मी० भाग भारत में मिलता है। यह पटना के निकट गंगा से मिल जाती है। इसकी कुल लम्बाई 425 कि.मी० है।
(6) कोसी: यह गंगा की प्रथम पूर्वी सहायक नदी है। इसका सम्पूर्ण प्रवाह क्षेत्र 86,900 वर्ग कि.मी० है। इस नदी की तीन सहायक नदियाँ हैं। प्रवाह क्षेत्र का 44% भाग सून कोसी, 37% भाग अरूण कोसी तथा 19% भाग तामुर कोसी द्वारा बनाया गया है। यह भारत में हनुमाननगर के निकट प्रदेश करती है। यहाँ भारत व नेपाल की सीमा पर बाँध बनाकर इस नदी के दोनों ओर नहरें निकाली गई हैं। यह नदी अपना मार्ग बदलती रहती है। कुरैला के निकट कोसी नदी गंगा से मिल जाती है।
(7) यमुना: यमुना गंगा नदी तन्त्र की प्रमुख नदी है। गंगा के दाहिनी ओर बही हुई यह इलाहाबाद में गंगा से मिल जाती है। इसका उद्गम स्रोत टिहरी गढ़वाल जिले में 6,330 मीटर की ऊँचाई पर यमुनोत्री ग्लेशियर पर है। पर्वतीय भाग में क्रिषिंगा, उमा, हनुमान गंगा, गिरि तथा टोंस यमुना की सहायक नदियाँ हैं। मैदानी भाग में दायीं और चम्बल, सिन्ध, बेतवा व केन तथा बादी और करन, सागर व सिन्ध सहायक नदियाँ हैं। यमुना की सम्पूर्ण लम्बाई 1,376 कि.मी० तथा प्रवाह क्षेत्र 3,66,223 वर्ग कि.मी० है।