अमेरिका: मिंनटमैन-3 को ‘ड्रस डे’ मिसाइल क्यों कहा जाता है? |अमेरिका ने बच्चों के लिए फ्लोराइड सप्लीमेंट्स पर रोक क्यों लगाई?|नींद की दवा में मौजूद मेलाटोनिन से क्या हार्ट फेल्योर का खतरा है?
अमेरिका ने बच्चों के लिए फ्लोराइड सप्लीमेंट्स पर रोक क्यों लगाई?
दांतों की सड़न रोकने के लिए फ्लोराइड का उपयोग लंबे समय से हो रहा है। लेकिन अब अमेरिका में बच्चों के लिए इंजेक्टेबबल (खाने योग्य) फ्लोराइड सप्लीमेंट्स पर रोक लगा दी गई है।
• अमेरिका: फ्लोराइड सप्लीमेंट पर रोक क्यों?
खाद्य एवं ड्रग्स प्रशासन (एफडीए) ने बच्चों के लिए खाने योग्य फ्लोराइड सप्लीमेंट्स पर रोक लगाई है। अब 3 साल तक के बच्चों को फ्लोराइड टेबलेट, ड्रॉप्स आदि नहीं दे सकेंगे। एफडीए के अनुसार, फ्लोराइड के पेट के अंदर जाने पर गट माइक्रोबायोम (आंतों में जीवाणु) पर असर डालता है। इससे मोटापे का जोखिम है। बौद्धिक विकास में घातक है। हालांकि टूथपेस्ट, माउथवॉश या दांत के डॉक्टर की सलाह पर दिए जाने वाले फ्लोराइड पर रोक नहीं है।
• फ्लोराइड की कमी से कौन बीमारी होती है?
दांत और हंडियां कमजोर हो सकती हैं। फ्लोराइड की कमी से दांत सड़ने और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
• शरीर में ज्यादा फ्लोराइड से नुकसान क्या हैं?
फ्लोराइड के अत्यधिक सेवन से फ्लोरोसिस (जोड़ों में दर्द और जकड़न), रीढ़ में दिक्कत और कुछ मामलों में किडनी की क्षति जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए फ्लोराइड सप्लीमेंट्स का उपयोग डॉक्टर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए।
• भारत में क्या स्थिति है? क्या जानना चाहिए?
फ्लोराइड टेबलेट का उपयोग डेंटिस्ट की सलाह पर होता है। देश के कुछ हिस्सों में भूगर्भ जल में फ्लोराइड की मात्रा तय मानक से ज्यादा है। पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा 0.7 मिलीग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए, जो दांतों के सड़ने से बचाने और मौखिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
स्रोत: एफडीए और अमेरिकी डेंटल एसोसिएशन। समाचारों से प्राप्त जानकारी। ———-
अमेरिका: मिंनटमैन-3 को ‘ड्रस डे’ मिसाइल क्यों कहा जाता है?
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ‘न्यूक्लियर टेस्ट रीस्टार्ट’ आदेश के कुछ दिन बाद ही अमेरिका ने अपनी सबसे घातक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) मिंनटमैन-3 का सफल परीक्षणहकिया। इसे परमाणु हमले की स्थिति में ‘ड्रसडे वेपन’ यानी अंतिम प्रतिशोध हथियार क्यों कहा जाता है? जानिए…
* क्या है मिंनटमैन-3 मिसाइल?
5,500 किमी या उससे अधिक दूरी तक लक्ष्य भेदने में सक्षम आईसीबीएम प्रणाली के मिसाइल को 1970 केदशक में पहली बार तैनात किया गया था। यह अमेरिका की न्यूक्लियर ट्रायड (तीन-स्तरीय परमाणु प्रतिरोधक प्रणाली)का जमीनी हिस्सा है- 1. भूमि से दागी जाने वाली। 2. पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली और 3. एयरक्राफ्ट से छोड़ेजाने वाली। यह एक बार में कई निशाने भेद सकती है।
* मिंनटमैन-3 की खासियत क्या हैं? रेंज: लगभग 6,700 किलोमीटर। स्पीड: 24,140 किमी प्रति घंटे। वारहेड क्षमता: एक साथ कई लक्ष्यों को भेदनेवाले हथियार ले जा सकता है। सटीकता: आधुनिक गाइडेंस और प्रोपल्शन सिस्टम से लैस। अपग्रेड: इसे धीरेधीरे एलजीएम-35ए सेंटिनल मिसाइल से बदलने की तैयारी है, जो साइबर सुरक्षा से लैस और रेंज उन्नत होगी।
क्या यह मिसाइल केवल युद्ध के लिए है? अमेरिका रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह प्रतिरोध हथियार।है। इसका लक्ष्य परमाणु हमले से रोकना है, क्योंकि हमले में उपयोग नहीं होगा। ऐसी मिसाइल अमेरिका के अलावा रूस,।चीन, भारत और उत्तर कोरिया के पास ही है।
क्या दुनिया परमाणु टेस्ट की ओर बढ़ रही है ?
विशेषज्ञों का मानना है कि रूस, चीन, उत्तर कोरिया भी ऐसा कर सकते हैं। 1996 की परमाणु प्रतिबंध संधि टूट सकती है। भारतीय रक्षा विश्लेषक मानते हैं कि एशिया- प्रशांत में रणनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी अब अधिकारों को परमाणु परीक्षण की तैयारी के आदेश दिए हैं।
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नींद की दवा में मौजूद मेलाटोनिन से क्या हार्ट फेल्योर का खतरा है?
अमेरिका की एक स्टडी ने नींद की दवाओं में मौजूद मेलाटोनिन सप्लीमेंट को लेकर हंगामा मचा दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, लंबे समय तक मेलाटोनिनसलेने वालों में हार्ट फेल्योर का खतरा 90% तक बढ़ा मिला। लेकिन क्या वाकई मेलाटोनिन से दिल को नुकसान होता है या यह आंकड़ों की गलत व्याख्या है?
भारत में इस पर क्या कहना है डॉक्टरों का , मेलाटोनिन है क्या और क्यों लिया जाता है?
मेलाटोनिन एक प्राकृतिक हार्मोन है। जो हमारा दिमागरात में नींद लाने के लिए बनाता है। इसे ‘स्लीप हार्मोन’ कहा जाता है। जब शरीर में मेलाटोनिन कम बनता है या नींद बिगड़ जाती है, तब लोग टेबलेट या गम के रूप में इसे सप्लीमेंट की तरह लेते हैं। भारत में यह बिना डॉक्टर की पर्ची के मिल जाता है। कई लोग इसे ट्रेवल जेट लैग या अनिद्रा (इंसोम्निया) में राहत के लिए लेते हैं।
• नए अध्ययन में क्या कहा गया है?
अमेरिका के डाउनस्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 1.3 लाख अनिद्रा के रोगियों के डेटा का विश्लेषण किया। इसमें पता चला कि जिन लोगों ने 1 साल या उससे ज्यादा समय तक मेलाटोनिन लिया, उनमें हार्ट फेल्योर का जोखिम 4.6% पाया गया। जो लोग मेलाटोनिन नहीं ले रहे थे, उनमें यह आंकड़ा 2.7% था। यानी मेलाटोनिन लेने वालों में औसतन90% अधिक खतरा दिखा। हालांकि स्टडी में सिर्फ एसोसिएशन (संबंध) दिखाया गया है, कारण नहीं।
• क्या मेलाटोनिन दिल के लिए नुकसानदेह है?
नहीं। ड्यूक हेल्थ के डॉ. सुजय कंसाग्रा कहते हैं, ‘यह अध्ययन ज्यादा सवाल छोड़ता है, जवाब कम देता है।’ विशेषज्ञों का कहना है कि अनिद्रा या स्लीप एप्निया जैसी स्थितियों भी हार्ट फेल्योर का कारण बन सकती हैं। ऐसे में मेलाटोनिन को ही नुकसानदेह मान लेना वैज्ञानिक सोच नहीं है।
• भारत में क्या स्थिति है?
भारत में मेलाटोनिन नींद सुधारने के सप्लीमेंट के रूप में बड़े पैमाने पर ऑनलाइन और फार्मेसी में उपलब्ध है। दिल्ली एम्स की नींद विशेषज्ञ डॉ. रश्मि शर्मा कहती हैं, ‘मेलाटोनिन को चमत्कारी दवा समझना गलती है। यह सिर्फ स्लीप टाइमिंग एडजस्ट करता है, नींद गहरी नहीं करता।’ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश ट्रेहन के अनुसार, ‘अगर किसी को हार्ट की पहले सेसमस्या है, तो बिना डॉक्टर की सलाह मेलाटोनिन लेना जोखिम भरा हो सकता है।’ —————-