श्वेत क्रांति के जनक की 104वीं जयंती : अमूल यानी ‘आणंद मिल्क यूनियन लिमिटेड

श्वेत क्रांति की मदद से भारत को दुनिया में मजबूत दुग्ध उत्पादक के रूप में खड़ा करने का श्रेय डॉ. वर्गीज कुरियन को जाता है। उन्होंने गुजरात के एक छोटे से गांव से ऐसा मॉडल दिया, जिसका लोहा आज भी देशभर में माना जा रहा है। कुरियन का जन्म 26 नवंबर 1921 को केरल के कोट्टिकोड में हुआ था। उनके पिता एक सिविल सर्जन थे, जबकि उनकी पियानो वादक थीं। पारंपरिक परंपरा के अनुसार वर्गीज का नाम उनके चाचा के नाम पर रखा गया था। उनकी जयंती पर जानते हैं उनसे जुड़े कुछ किस्से…

कॉलेज में वर्गीज की रूचि स्पोर्ट्स में थी। 1943 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद वे भारतीय सेना में इंजीनियर बनना चाहते थे, लेकिन रास्ता बदल गया। टाटा स्टील में अप्रेंटिस रहते हुए उन्हें स्कॉलरशिप के लिए आवेदन किया और डेयरी इंजीनियरिंग की स्कॉलरशिप मिल गई। बेंगलुरु में ट्रेनिंग के बाद वे अमेरिका गए और मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया। 1948 कुरियन ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एम.एस. पूरा किया।

कुरियन 1949 में पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटे। उनकी सरकारी छात्रवृत्ति के बदले में डेयरी डिविजन के अधिकारी के रूप में पांच साल बिताने थे। उनकी वैज्ञानिक गुजरात के खेड़ा जिले के आनंद में हुई। उस समय एक रूढीवादी गांव था। कुरियन को कुंवारा और मांसाहारी होने के कारण घर नहीं मिल सका । इससे उन्हें गाँव के एक गेराज में रहकर गुजारा करना पड़ा। वहाँ पानी तक की व्यवस्था नहीं थी । हालांकि कुछ समय बाद उन्हें उसने लोग मिलने लगे।

इस दौर में आनंद और आसपास के दुग्ध उत्पादकों को सही दाम नहीं मिल रहा था। तब कुरियन स्थानीय नेता त्रिभुवनदास से मिले, जो इस समय शोषण के खिलाफ काम काम कर रहे थे। उन्हें एक ऐसे मैनेजर की आवश्यकता थी जो कि किसानों के संघ को संभाल सके। खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ आगे चलकर अमूल यानी ‘आणंद मिल्क यूनियन लिमिटेड’ बना। 1955 में अमूल बटर गुणवत्ता के चलते बॉम्बे में लोकप्रिय हुआ ।

पीएम लाल बहादुर शास्त्री 1964 में आनंद पहुंचे। वे कुरियन के काम से इतने प्रभावित हुए और इस मॉडल को पूरे देश में दोहराने की बात कही। यहीं से नेशनल डेयरीज डेव्हलपमेंट बोर्ड का जन्म हुआ। 1965 में कुरियन इसके पहले चेयरमैन बने। 1970 में ऑपरेशन फ्लड शुरू हुआ, जिसने कुरियन को देशभर में मिल्कमेन के नाम से मशहूर किया। कुरियन के बारे में कहा जाता है कि उन्हें दूध के स्वाद से नफरत थी, वे इसे पीना पसंद नहीं करते थे।
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