परछाई का रंग काला ही क्यों होता है?

जिज्ञासा

जिसे हम काला रंग कहते हैं, असल में वह कोई रंग नहीं होता अर्थात रंगहीनता की स्थिति ही काला रंग होता है। जब किसी वस्तु से प्रकाश की किरणें टकराती हैं, तब वह प्रकाश के कुछ रंगों को अवशोषित कर लेती है, तथा कुछ रंगों को परावर्तित कर देती है |जिस रंग को वह परावर्तित करती है, वस्तु उसी रंग की दिखाई देती है। किसी वस्तु या इंसान की परछाई तब बनती है, जब वह उस पर पड़ने वाले प्रकाश को रोक देता है। इससे प्रकाश दूसरी ओर नहीं पहुंच पाता, जिस कारण परछाई वाले स्थान से किसी भी प्रकार का प्रकाश परावर्तित होकर हमारी आंखों तक नहीं पहुंच पाता है, इसलिए वह स्थान हमें काला दिखाई देता है।
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हमें सर्दी क्यों लगती है?

हमें सबसे पहले ठंड त्वचा (Skin) पर महसूस होती है। इसकी वजह से हमारे रोएं खड़े हो जाते हैं और कई बार उंगलियां भी सुन्न हो जाती हैं। तापमान के घटने – बढ़ने का अहसास सबसे पहले हमारी स्किन को होता है। हमारी स्किन के ठीक नीचे मौजूद थर्मो – रिसेप्टर्स नर्क्स (Thermo-receptors Nerves) दिमाग को तरंगों के रूप में ठंड लगने का संदेश भेजती हैं। त्वचा से निकलने वाली तरंगें दिमाग के हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) में जाती हैं। हाइपोथैलेमस शरीर के आंतरिक तापमान का संतुलन बनाने में मदद करता है। इस संतुलन की प्रक्रिया के कारण ही हमें ठंड का अहसास होता है। इस वजह से मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं और रौंगटे खड़े हो जाते हैं। हमारा शरीर तापमान का ज्यादा कम होना सहन नहीं कर पाता है। एक्सपर्ट्स के अनुसार अगर तापमान बहुत कम हो जाता है तो शरीर के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं। ज्यादा ठंड लगने को हाइपोथर्मिया कहा जाता है।
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