मटेरियल, टेक्सटाइल और माइनिंग की सीटें घट रही, वजह छात्रों का झुकाव CS, AI की ओर

EV, ग्रीन एनर्जी और सेमीकंडक्टर सेक्टर पर टिकी कोर इंजीनियरिंग,

इंजीनियरिंग की कुछ पारंपरिक लेकिन खास ब्रांचेस में अच्छी संभावनाओं के बावजूद छात्रों की रुचि कम हो रही है। इसका असर कई IIT पर पड़ा है, जहां मटेरियल, टेक्सटाइल और माइनिंग की सीटें घटाई गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार IIT धनबाद में पिछले 10 साल में माइनिंग और मिनरल इंजीनियरिंग की सीटों में करीब 40% कटौती हुई है। यह बदलाव छात्रों की प्राथमिकताओं को दिखाता है। इनका झुकाव कंप्यूटर साइंस, AI और डेटा की ओर है। हालांकि, EV, ग्रीन हाइड्रोजन और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों के बढ़ने से कोर इंजीनियरिंग की मांग आगे बढ़ेगी।


इन 4 इंजीनियरिंग ब्रांचों में स्कोप और पैकेज

ग्रीन हाइड्रोजन, बायो-फ्यूल और फार्मास्युटिकल सेक्टर में केमिकल इंजीनियर्स की जरूरत बढ़ रही है। DRDO, ISRO,रिलायंस इंडस्ट्रीज, IOCL, BPCL और टाटा केमिकल्स में इनकी नियमित भर्ती होती है।

फ्रेशर को सालाना 5-6.3 लाख रु का वेतन मिलता है, जबकि अनुभवी इंजीनियर्स को 10- 23 लाख रु तक के पैकेज ऑफर होते हैं।

सस्टेनेबल माइनिंग, EV सेक्टर में खनिजों की मांग के कारण इसमें अवसर बढ़ रहे हैं। कोल इंडिया, NMDC, अडाणी, ONGC जैसी कंपनियां इनके प्रमुख नियोक्ता हैं।

इसमें 7 लाख रु सालाना से लेकर 34 लाख रुपए तक का पैकेज मिलता है। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी में अच्छे करिअर विकल्प हैं।

स्मार्ट फैब्रिक और सस्टेनेबल फैशन के चलते टेक्सटाइल इंजीनियरिंग में नए अवसर
पैदा हो रहे हैं। मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट सेक्टर में इस ब्रांच का खास महत्व है।

• इस क्षेत्र में शुरुआती स्तर पर 8 लाख रु तक का पैकेज मिल रहा है, जो अनुभव के साथ 25 से 30 लाख रु तक हो सकता है।

EV बैटरी, रिन्यूएबल एनर्जी, एयरोस्पेस और सेमीकंडक्टर सेक्टर में मटेरियल इंजीनियर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। टाटा स्टील, जिंदल ग्रुप, DRDO और ISRO प्रमुख रिक्रूटर हैं।
• फ्रेशर्स को सालाना 10 से 20 लाख रु का पैकेज मिल रहा है, जबकि IIT वालों का पैकेज 30 लाख रु तक पहुंच सकता है।
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