क्या है भौगोलिक संकेत(Geographical Indication)

क्या है भौगोलिक संकेत(Geographical Indication)

एक भौगोलिक संकेत (Geographical Indication) किसी वस्तु हेतु उपयोग किया जाने वाला ऐसा चिह्न है जो उस वस्तु की विशिष्ट भोगोलिक उत्पत्ति को बताता है। सामान्य रूप से भौगोलिक संकेत वस्तुओं की उत्पत्ति के स्थान का नाम होता है। कृषि उत्पादों में मुख्यत: इस प्रकार की विशेषतायें होती है जो कि ्षेत्रीय स्तर पर विशिष्ट भौगोलिक तत्वों यथा जलवायु एव मृदा द्वारा प्रभावित होती है। कोई भी चिह्न यदि भौगोलिक संकेत के रूप में कार्य करता है तो यह राष्ट्रीय कानून अधवा उपभोक्ता के अनुभव के आधार पर होता है। कृषि उत्पादों हेतु भौगोलिक संकेतों को बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा सकता है यथा ‘आलिव आयल’ हेतु “टस्कनी’ जो कि इटली का एक विशिष्ट क्षेत्र है।

भौगोलिक संकेतों का उपयोग केवल कृषि उत्पादों तक ही सीमित नहीं है। इसके माध्यम से किसी ऐसे उत्पाद के विशिष्ट गुणों को रेखांकित किया जा सकता है जो कि कुछ मानवीय तत्वों यथा विशिष्ट विनिर्माण कुशलता परंपरा द्वारा प्रभावित होते हों तथा ये तत्व उत्पाद की उत्पत्ति किये जाने वाले स्थान पर पाये जाते हों। इस प्रकार का उत्पत्ति स्थान कोई भी गाव, कस्बा, क्षेत्र और देश हो सकता है। उत्पत्ति का नाम क्या है उत्पत्ति का नाम (Appellation of Origin) एक विशिष्ट प्रकार का भौगोंलिक संकेत है जो कि उन उत्पादों के लिये उपयोग में लाया जाता है जो ऐसे स्थानों पर उत्पादित होते हैं जहां केवल भौगोलिक पर्यावरण के कारण उत्पाद में विशिष्ट प्रकार की विशेषतायें पायी जाती हों। यह शब्द भौगोलिक संकेत, उत्पत्ति का नाम (Appellation of Origin) को स्वयं में सम्मिलित लिये हुये हैं। उदाहरणस्वरूप ‘Bordeavx’ जो कि वाइन हेतु उपयोग किया जाता है तथा यह वाइन फ्रांस के ‘Bordeavx क्षेत्र में उत्पादित कि जाती है।

ट्रेडमार्क और भौगोलिक संकेत में अन्तर

ट्रेडमार्क एक प्रकार का चिह्न है जिसके माध्यम से कम्पनी अपने उत्पादों एवं सेवाओं को दूसरी कम्पनियों के उत्पादों एवं सेवाओं से भिन्न करती है साथ ही किसी अन्य को उस ट्रेडमार्क का उपयोग न करने का अधिकार प्रदान होता है। जबकि भौगोलिक संकेत उपभोक्ता को इस बात की गारंटी देता है कि उत्पाद एक ऐसे विशिष्ट स्थान में उत्पादित किया गया है जिसके कारण उत्पाद में कुछ विशिष्ट विशेषतायें है।

भौगोलिक संकेतों की सुरक्षा

भौगोलिक संकेतों को राष्ट्रीय कानूनों के माध्यम से संरक्षित किया जाता है यथा उपभोक्ता सुरक्षा नियम, अनैतिक प्रतियोगिता के प्रति कानून, तथा भौगोलिक संकेतों के लिये बने विशिष्ट नियम आदि। अनाधिकृत् समूह द्वारा भौगोलिकसंकेतों का उपयोग करने संबंधी वादों में राशि, फाइन तथा गम्भीर केसों में जेल तक हो सकती है।

कॉपीराइट एवंसंबंधित अधिकारक्या हैं?

कॉपीराइट कानून लेखकों, आर्टिस्टों और अन्य सृजनकर्ताओं को उनके साहित्यिक एवं कलात्मक रचनाओं, जिन्हें सामान्यतः उनके कार्य कहा जाता है, के प्रति सुरक्षा प्रदान करते हैं । सम्बन्धित अधिकार’ कॉपीराइट अधिकारों से निकटता रखते हैं ये स्वयं में उन अधिकारों को शामिल किये हाते हैं जो कॉपीराइट के समान अथवा उनके जैसे हो, भले ही कुछ सोमा में अथवा कुछ अवधि के लिये। ‘संबंधित अधिकारों’ के लाभार्थी हैं: कलाकार (एक्टर संगीत निर्देशक, म्यूजिशियन) अपने प्रदर्शन में। फोनोग्राम के उत्पादक (साउंड रिकार्डिंग) रेडियो एवं टेलीविजन कार्यक्रमों के माध्यम अधिकारों से बराडेकास्टिंग संस्थाएं कॉपीराइट के अन्तर्गत आने वाले कार्य हैं: उपन्यास, कविता, नाटक, अखबार, विज्ञापन, कम्प्यूटर प्रोग्राम, डाटाबेस, फिल्म, पेंटिंग्स, टेक्चर, नक्शा और तकनीकी ड्राइंग।

भारत में पेटेन्ट के नियम

भारत में सर्वप्रथम पेटेन्ट का नियम वर्ष 1856 में आया था। समय के साथ इसमें परिवर्तन
गता रहा। स्वतन्त्रता के पश्चात ‘इन्डियन पेटेन्ट एक्ट, 1970′ के रूप में नया एक्ट 1 जनवरी, 1995 से क्रियाशील हुए TRIPS (Agreement on Trade Related Aspect of Intellectual Property) के प्रावधानों के साथ अनुवर्ती बनाये रखने हेतु”इन्डियन पेटेन्ट एक्ट, 1970’ में वृहद रूप से संशोधन किया गया। सबसे नवीन संशोधन वर्ष नवीन पेटेन्ट एक्ट बनाया 2005 में किया गया तथा इससे पहले वर्ष 2000 एवं 2003 में भी संशोधन किये जा चुके हैं। जब इन संशोधनों की प्रक्रिया चल रही थी, भारत ‘पेरिस कनवेंशन’, ‘पेटेन्ट सहयोग सन्धि’ तथा ‘बुडापेस्ट सन्धि’ का सदस्य बना। संशोधित एक्ट 1 जनवरी, 2005 से लागू हुआ। पेटेन्ट एक्ट, मुख्य प्रावधान निम्न प्रकार से हैं: उत्पाद के पेटेन्ट हेतु उसमें अविष्कार का तत्व पूर्ण रूप से होना चाहिये।

अविष्कार की नवीनता का प्रदर्शन तथा उपयोग संपूर्ण विश्व में पहले कभी नहीं हुआ होना चाहिये। संशोधित एक्ट में ‘अविष्कारक कदम (Inventive Step)’ को पुनः परिभाषित किया गया है जिसके अनुसार अविष्कार तकनीकी रूप से इतना आगे हो जिसकी तुलना पहले से विद्यमान ज्ञान और आर्थिक मूल्य से करने पर भिन्न हो तथा जिसकी सम्भावना तकनीकी क्षेत्र में सिद्धहस्त व्यक्ति द्वारा न की जा सके।

पेटेन्ट के अन्तर्गत दवाइयां रसायन, कृषि, खाद्य एवं नवीन माइक्रो आर्गेनिस्म उत्पादों का पेटेन्ट संभव है जबकि गणितीय तरीके, व्यापार तरीके, कम्प्यूटर प्रोग्राम और गणित के सवालों को हल करने के नियमों की प्रणाली, (Algorithms) का पेटेन्ट नहीं किया जा सकता। एक्ट के अनुसार भारत में रहने वाले सभीभारतीय एवं गैर भारतीय अविष्कारों को पेटेन्ट हेतु आवेदन विश्व में कहीं भी करने से पूर्व भारत में करना होगा। इस प्रकार कोई भी पेटेन्ट आवेदन, जिस हेतु सम्मिलित रूप से अनुसंघान कार्य भारत में किया गया है, आवेदन विश्व में अन्यत्र करने से पूर्व भारत में करना होगा।

किसी भी पेटेन्ट उत्पाद का आयात, विक्रिय एवं पेर्टन्ट प्रक्रिया द्वारा उस उत्पाद का निर्माण यदि पेटेन्ट मालिक की अनुमति के बगैर किया गया तो इसे पेटेन्ट का उल्लंघन माना जायेगा।

पेटेन्ट दवाइयों के सन्दर्भ में आवश्यक लाइसेन्स का प्रावधान है। एक्ट के अनुसार सभी प्रकार के आविष्कार हेतु पेटेन्ट फाइल करने से लेकर 20 वर्षों तक की अवधि तक पेटेन्ट सुरक्षा प्राप्त होती है। पेटेन्ट आवेदन के समय को घटाकर प्रथम जाँच रिपोर्ट (First Examination Report-FER) की तिथि से लेकर 6 माह तक कर दिया गया है जिसमें 3 माह का और अतिरिक्त विस्तार भी प्रदान किया जा सकता है। पूर्व में यह अवधि 12 माह की थी। ऐसे पेटेन्ट आवेदन जिनके हेतु ‘प्रथम जांच रिपोर्ट’ 1 जनवरी, 2005 से पूर्व प्रकाशित हो चुकी है, उनके लिये अवधि 12 माह ही है।

भारत व बौद्धिक संपदा अधिकारः


विश्व व्यापार संगठन का एक संस्थापक सदस्य होने के नाते व्यापार संबंधी बौद्धिक संपत्ति अधिकारों से संबंधित करार का अनुसमर्थन किया है। इस करार के अनुसार भारत सहित सभी सदस्य देश परस्पर वार्ता से निर्धारित किए गए प्रतिमानों और मानकों का पालन अनुबंधित समयmसीमा के अंतर्गत करेंगे। तदनुसार, भारत ने एक बौद्धिक संपत्ति अधिकार प्रणाली स्थापित की है, जो विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप है और सभी स्तरों पर चाहे वह सांविधिक, प्रशासनिक अथवा न्यायिक हो, भली भांति स्थापित है। सरकार ने बौद्धिक संपत्ति के भारी महत्व को देखते हुए देश में इसके प्रशासन को कारगर बनाने के लिए व्यापक उपाय किए हैं। वाणिज्य एवं उद्योग। मंत्रालय में, औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के अधीन ‘महानियंत्रण, पेटेण्ट, डिजाइन और ट्रेड मार्क (सीजीपीडीटीएम) के कार्यालय का गठन किया गया है।

यह पेटेण्ट, डिजाइन, ट्रेडमार्क और भौगोलिक संकेत से संबंधित सभी मामलों को प्रकाशित करता है और निम्नलिखित के कार्यों का संचालन एवं निरीक्षण करता है; पेटेंट कार्यालय (डिजाइन विंग सहित) पेटेण्ट सूचना प्रणाली (पीआईएस) ट्रेडमार्क रजिस्ट्री (टीएमआर), और भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री (जीआईआर) इसके अलावा, कॉपीराइट्स और इससे संबंधित अधिकारों के पंजीकरण सहित सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा विभाग में एक कॉपीराइट कार्यालय की स्थापना की गई है। जहा तक एकीकृत परिपेथों ले आउट डिजाइन तैयार करने से संबंधित मुद्दों का संबंध है, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग एक नोडल संगठन है ।

जबकि कृषि मंत्रालय पौष की सुरक्षा, किस्मों की सुरक्षा और कृषक अधिकार प्राधिकारी पौध की किस्मों से संबंधित सभी उपायों और नीतियों को प्रशासित करता है । प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने के लिए कई प्रकार के वैधानिक उपाय किए गए हैं। इनमें ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999, वस्तुओं का भौगोंलिक संकेत ( पंजोकरण एवं सुरक्षा) अधिनियम, 1999, डिजाइन अधिनियम, 2000, पेटेण्ट अधिनियम, 1970 और इसमें वर्ष 2002 और 2005 में किए गए संशोधन, भारतीय कॉपीराइट अधिनियम, 1957 और इसका संशोधन कॉपीराइट (संशोधन) अधिनियम, 1999, अर्द्धचालक एकीकृत परिपथ ले आउट डिजाइन अधिनियम, 2000, तथा वर्ष 2001 की पौधों की किस्मों और कृषक अधिकारों का संरक्षण अधिनियम।।

विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार संगठन (WIPO )


(World Organisation-WIPO) का मिशन संतुलित व प्रभावी अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा प्रणाली के द्वारा सभी देशों के आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विकास के लिए नवाचार व सृजनात्मकता का संवर्द्धन है। यह संयुक्त राष्ट्र संगठन की एक एजेंसी है जो कि नवाचार व सृजनात्मकता के उत्प्रेरक के रूप में बौद्धिक संपदाओं (पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, डिजाईन इत्यादि) के उपयोग को समर्पित है । यह विभिन्न सेवाओं, कानूनों, आधारिक संरचना इत्यादि के  द्वारा अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा प्रणाली के विकास व प्रयोग का संवद्द्धन करता है। संगठन की स्थापना वर्ष 1967 में हुई थी तथा फिलहाल इसके 185 सदस्य हैं। Intellectual Property इसका मुख्यालय जनवा (स्विटजरलैंड) में हैं।

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