शरीर के अंदर शराब फैक्टरी
शरीर के अंदर शराब फैक्टरी
हाल में बीएमजे ओपन गैस्ट्रोएंटरोलॉजी नामक जर्नत में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार एक 46 वर्षीय व्यक्ति ‘आत्म-शराब उत्पादन सिंड्रोम’ (एबीएस) से ग्रस्त पाया गया। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंत में उपस्थित सूक्ष्मजीव कार्बोहाइड्रेट्स को नशीली शराब में बदल देते है गेहूं चावल, राकर. आलू वगैरह के रूप में कार्बोहाहडरेट हमारे भोजन का प्रमुख हिस्सा होते हैं। ऐसे में जब इस विकार से ग्रस्त व्यक्ति रहकर या अधिक कार्बोहाइड्रेट्स युक्त भोजन या पेय पदायों का सेवन करता है, तब उसकी हालत किसी नशेड़ी के समान हो जाती है।
वह व्यक्ति कार्य करने में काफी असमर्थ होता था खासकर भोजन करने के बाद इन लक्षणों की शुरूआात वर्ष 2011 में हुई थी जब उसे अंगूठे की चोट के कारण एंटीबायोटिक दवाइयां दी गई थीं डॉक्टरों ने ऐसी संभावना जताई है कि एंटीबायोटिक्स के सेवन से अंत के सूक्ष्मजीवों की आबादी (माइक्रोबायोम) को क्षति पहुंची होगी। उसमें निरंतर अस्वाभाविक रूप से आक्रामक व्यवहार देखा गया और यहां तक कि उसे नशे में गाड़ी चलाने के मामले में गिरफ्तारी भी झेलनी पड़ी जबकि उसने एक बूंद भर भी शराब का सेवन नहीं किया था। इसी दौरान उसके किसी रिश्तेदार को ओहायो में इसी तरह के एक मामले के बारे में पता चला और उसने ओहायो के डॉक्टरों से परामर्श किया। डॉक्टरों ने उस व्यक्ति के मल का परीक्षण शराब उत्पाद सूक्ष्मजीवों की उपस्थिति देखने के लिए किया।
इसमें सेकरोमायसेस बूलाडी (Sacchatremnyrrs Aoulardi) और सेकरोमायसेस सेरेविसी (Saccharomyces cerevisiae) पाए गए। दोनों शराब बनाने वाले खमीर हैं। पुष्टि के लिए डॉक्टरों ने उसे कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन करने को कहा। आठ घंटे बाद, उसके रक्त में अल्कोहल की सांद्रता बढ़कर 0.05 प्रतिशत हो गई जिससे इस विचित्र निदान की पुष्टि हुई। आखिरकार स्टेटन आइलैंड स्थित रिचमंड युनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर, न्यू यॉर्क में उपचार के दौरान डॉक्टरों ने उसे एंटीबायोटिक दवाइयां देकर दो महीने तक निगरानी में रखा। इस उपचार के बाद शराब उत्पादक सुक्ष्मजीवों की संख्या कम तो हुई लेकिन कार्बोहाइड्रेट युक्त खुराक लेने पर समस्या फिर बिगड़ गई। इसके बाद उसकी आंत में बैक्टीरिया को बढ़ावा देने के लिए प्रोबायोटिक्स दिए गए जो काफी सहायक सिद्ध हुआ और धीरे-धीरे वह आहार में कार्बोहाइड्रेट्स शामिल कर सका ।