हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन : जापानी तकनीक
पूरे उत्तर भारत में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गम्भीर रुख अपना लिया है सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह उत्तर भारत और दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए समाधान खोजने के लिए हाइड्रोजन आधारित ईंधन तकनीक का पता लगाए एवं वाहनों के लिए अब पेट्रोल के बजाय हाइड्रोजन आधारित जापानी तकनीक लाने पर विचार किया जाए हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन है. इसे तरल और जीवाश्म ईंधन के लिए एक सम्भावित विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है हाइड्रोजन एक रंगहीन एवं गंधनीन गैस है, जो पर्यावरणीय प्रदूषण से मुक्त भविष्य की ऊर्जा के रूप में देखी जा रही है, वाहनों तथा बिजली उत्पादन क्षेत्र में इसके नए अनुप्रयोग पाए गए हैं. हाइड्रोजन के साथ सबसे बड़ा लाभ यह है कि ज्ञात ईंधनो में प्रति इकाई द्रव्यमान ऊर्जा, इस सत्य में सबसे ज्यादा है और यह जलने के बाद उप उत्पाद के रूप में जल का उत्सर्जन करता है इसलिए यह न केवल ऊर्जा क्षमता से युक्त है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है वास्तव में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, हाइड्रोजन उर्जा के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित वृहत् अनुसंधान।विकास एवं प्रदर्शन (आरडीएडडी) कार्यक्रम में सहायता दे रहा है वर्ष 2005 में एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति तैयार की गई जिसका उद्देश्य हाइड्रोजन ऊर्जा के उत्पादन परिवहन सुरक्षा, वितरण एवं भंडारण अनुप्रयोगों से सम्बनिधित विकास के नए आयाम उपलब्ध कराना है हांलाकि हाइड़ोजन के प्रयोग सम्बन्धी मौजूदा प्रौद्योगिकियों के अधिकतम उपयोग और उनका व्यवसायीकरण किया जाना बाकी है, परन्तु इस सम्बन्ध में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। हाइड्रोजन पृथ्वी पर केवल मिश्रित अवस्था में पाया जाता है और इसलिए इसका उत्पादन इसके योगिकों की अपघटन प्रक्रिया से होता है यह एक ऐसी विधि है जिसमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
विश्व में 96 प्रतिशत हाइड्रोजन का उत्पादन हाइड्रोकार्बन के प्रयोग से किया जा रहा है लगभग 4 प्रतिशत हाइड्रोजन का उत्पादन जल के विद्युत् अपधटन के जरिए होता है. तेलशोधक संयत्र एवं उर्वरक संयत्र दो बड़े।क्षेत्र है, जो भारत में हाइड्रोजन के उत्पादक तथा उपभोक्ता है, इसका उत्पादन क्लोरो अल्कली उद्योग में उप उत्पाद के रूप में होता है हाइड्रोजन का उत्पादन तीन वर्गों से सम्बन्धित है, जिसमें पहला तापीय विधि. दूसरा विद्युत् अपधटन विधि और तीसरा प्रकाश अपघटन विधि है. कुछ तापीय विधियों में ऊर्जा संसाधनो की जरूरत होती है, जबकि अन्य में जल जैसे अभिकारकों से हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए बाद रासायनिक अभिक्रियाओं के साथ मिश्रित रूप में ऊष्णा का प्रयोग किया जाता है इस विधि को तापीय रासायनिक विधि कहा जाता है, परन्तु यह तकनीक विकास की प्रारम्भिक अवस्था में अपनाई जाती है ऊष्मा मिथेन पुनश्चक्रण, कोयला गैसीकरण और जैव मास गैसीकरण भी हाइड्रोजन उत्पादन की अन्य विधियाँ हैं कोयला और जैव ईंधन का लाभ यह है कि दोनों स्थानीय संसाधन के रूप में उपलब्ध रहते हैं तथा जैव ईंधन नवीकरणीय संसाधन भी है विद्युत अपघटन विधि में विद्युत के प्रयोग से जल का विघटन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में होता है तथा यदि विद्युत् संसाधन शुद्ध हो तो ग्रीन हाउस गेसो के उत्सर्जन में भी कमी आती है।
इससे सम्बन्धित तकनीकी के वृहत व्यवसायीकरण की दृष्टि से परिवहन के लिए हाइड्रोजन का भंडारण सभी तकनीकियों में से चुनौतीपूर्ण तकनीक है गैसीय अवस्था में भंडारण करने का सबसे आम तरीका सिलेंडर में उच्च दबाव पर रखना है हांलाकि यह सबसे हल्का तत्व है जिसे उच्च दाब की आवश्यकता होती है इसे द्रव अवस्था में क्रायाजनिक प्रणाली में रखा जाता है, लेकिन इसमें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसे धाल्विक हाईड्राइड द्रव कार्बनिक हाईड्राइड, कार्बन सूक्ष्म संरचना तथा रासायनिक रूप में ठोस अवस्था में भी रखा जा सकता है. इस क्षेत्र में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय अनुसंधान एवं विकास सम्बन्धी परियोजनाओं में मदद कर रहा है उद्योगों में रासायनिक पदार्थ के रूप में इस्तेमाल के अलावा इसे वाहनों में ईंधन के तौर पर भी प्रयोग किया जा सकता है आंतरिक ज्वलन इंजनों (Intemal comhustion engines) और ईंधन सैलों के जरिए बिजली उत्पादन के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है हाइड्रोजन के क्षेत्र में देश में आन्तरिक ज्वलन इजनों, हाडोजनयुक्त सीएनजी और डीजल के प्रयोग के लिए अनुसंधान और विकास परियोजनाओं तथा हइड़ोजन ईंधन से चलने वाले वाहनों का विकास किया जा रहा है,
हाइड्रोजन ईंधन वाली मोटर साइकिलों और तिपहिया स्कूटरों का विनिर्माण और प्रदर्शन किया गया है हाइड्रोजन ईंधन के प्रयोग वाले उत्प्रेरक ज्वलन कुकर (Catalytic combustion cooker) किया गया है बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय ने वाणिज्यिक लाभ वाली मोटर साइकिलों और तिपहिया वाहनों में सुधार किया है ताकि वे हाइड्रोजन ईंधन से चलाए जा सके वाहनों के लिए हाइडोजनयुक्त सीएनजी उपलब्ध कराने के लिए नई दिल्ली में द्वारका में एचसीएनजी स्टेशन खोला गया है जिसके लिए आर्थिक सहायता भी दी है प्रदर्शन और परीक्षण वाहनों के लिए इस स्टेशन से 20 प्रतिशत तक हाइड़रोजनयुक्त सीएनजी गैस दी जाती है हाइड्रोजनयुक्त सीएनजी (एचसीएनजी) को कुछ किस्म के वाहनों बसों, कारों और तिपहिया वाहनों में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए विकास सह प्रदर्शन परियोजना को भी लागू किया जा रहा है बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और भारतीय प्रौद्योगिकी सस्थान (आईआईटी) दिल्ली हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाला जनरेटर सेट भी विकसित कर रहे हैं .
हाइड्रोजन का एक और उपयोग ईंधन सैल के रूप में है, जो एक इलेक्ट्रोकेमिकल उपकरण है, जिससे हाइड्रोजन की रासायनिक ऊर्जा को बिना ज्वलन के सीधे बिजली में बदला जा सकता है बिजली उत्पादन की यह एक स्वच्छ और कुशल प्रणाली है इसका इस्तेमाल यूपीएस प्रणालियों यानी बेरोक टोक बिजली आपूर्ति वाली प्रणालियों में बैटरियों और डीजल जनरेटरों के स्थान पर किया जा सकता है वाहनों और बिजली उत्पादन में ईंधन सैलों की उपयुक्तता को देखते हुए दुनिया भर में कई संगठन इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास कार्य कर रहे है इन ईंधन सेलों को एक स्थान से दूसरा स्थान तक ले जाकर इस्तेमाल करने के बारे में भी प्रयोग हो रहे हैं इस समय ईंधन सैल की लागत कम करने और इसके इस्तेमाल की अवधि को बढ़ाने पर ध्यान दिया जा रहा है।
ईंधन के रूप में हाइड्रोजन के उपयोग से लाभ
हाइड्रोजन द्रव्यमान के मामले में सबसे ज्यादा ऊर्जा सामग्री (120-7 mj / KG) के साथ एक स्वच्छ ईंधन है। हाइड्रोजन ऊर्जा उत्पादन के लिए तथा ऑटोमोबाइल में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा हाइड्रोजन का अंतरिक्ष यान में ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है सकता है। हाइड्रोजन का उपयोग आईसी इंजन, डीजल और सीएनजी के मिश्रण के साथ तथा फ्यूल सेल में करके बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। जब हाइड्रोजन को जलाया जाता है, यह उप उत्पाद के रूप में पानी का उत्पादन करता है. इसलिए यह न केवल एक कुशल ऊर्जा वाहक, परन्तु एक स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल ईंधन के रूप में जाना जाता है। हाइड्रोजन पेट्रोल और डीजल का विकल्प बन सकता है, इसलिए यह, आयात पर, हमारी निर्भरता कम कर सकता है ।