भारत में पर्यावरणीय संस्थाए

बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Bombay Natural History Society-BNHS) , भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India-BSI) , भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (Zoological Survey of India- ZSI)

भारत  में पर्यावरणीय संस्थाए (Environmental Institutes in India)

पर्यावरण संरक्षण एवं वन्यजीव संरक्षण के लिये भारत के विभिन्न पर्यावरणविदों ने निजी तौर पर एवं सरकार की सहायता से पर्यावरण संस्थानों की स्थापना की, जिसके अंतर्गत विशिष्ट जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों के संरक्षण हेतु संसाधनों की आपूर्ति सुनिश्चित की जाती  है इन संस्थानों द्वारा जीवों पर सर्वेक्षण कराए जाते हैं और उनकी

संख्या का आकलन कर उनके लिये केन्द्र-सरकार एवं राज्यों द्वारा संरक्षण के आवश्यक कदम उठाने हेतु रिपोर्ट भेजी जाती है। ये संस्थाएँ जीव-जंतुओं के सर्वेक्षण के माध्यम से सरकार को इनकी स्थिति से अवगत भी कराती हैं। भारत की पर्यावरण से संबंधित संस्थाएँ जो पर्यावरण संरक्षण एवं जैव-विविधता के लिये अनुसंधान का कार्य भी करती हैं, निम्नलिखित हैं-

बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Bombay Natural History Society-BNHS)

यह जैव-विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण के लिये अनुसंधान कार्य करने वाला भारत का सबसे बड़ा गैर-सरकारी संगठन है। यह कई अनुसंधान कार्य प्रयासों को अनुदान के माध्यम से सहायता करता है। बॉम्बेनेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) 15 सितम्बर, 1883 को बम्बई में आठ प्रकृतिवादियों द्वारा शुरू किया गया। यह एक गैर- व्यावसायिक शोध संगठन था, जिसमें आत्माराम पांडुरंग और डॉ. सखाराम अर्जुन।नामक दो भारतीय भी शामिल थे। यह बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटीनामक जर्नल भी प्रकाशित करता है। कई प्रसिद्ध प्रकृतिवेत्ता जैसे पक्षी विज्ञानी सलीम अली और एस. डिल्लन रिप्ले इससे जुड़े रहे। BNHS हॉर्नबिल नामक मैगजीन का प्रकाशन करता है। ‘हॉनबिल हाउस मुम्बई’ के नाम से प्रसिद्ध इस संस्था का उद्देश्य प्राथमिक रूप से जैव विविधता की रक्षा हेतु शोध, ज्ञान और जनजागरूकता को बढ़ावा देना है। BNHS (Bombay Natural History Society) ने सलीम अली की पक्षियों पर आधारित हैंडबुक को भी प्रकाशित किया। BNHS का लोगो ग्रेट हॉर्नबिल का है, जो विलियम द्वारा दिया गया था।

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India-BSI)

1890 में स्थापित भारतीय वनस्पति सर्वे क्षण (BSI) का शुरुआती उद्देश्य देश के पादप संसाधनों का अन्वेषण और आर्थिक महत्त्व की पादप प्रजातियों की भारतीय बनस्पति सर्वक्षण (Botanical Survey of India) पहचान करना था। भारत सरकार द्वारा 29 मार्च, 1954 को सर्वेक्षण के पुनर्गठन की योजना का अनुमोदन हुआ। बीएसआई का मुख्यालय कोलकाता में है तथा इसके निम्न उद्देश्य हैं- गहन सर्वेक्षण के आधार पर देश के पादप संसाधनों के वितरण, पारिस्थितिकी और आर्थिक उपयोगिता पर सुनिश्चित एवं विस्तृत जानकारी एकत्र करना। शैक्षणिक एवं शोध संस्थानों के लिये उपयोगी सामग्री का संग्रह, अभिनिर्धारण (Identify) एवं वितरण।
सुव्यवस्थित पादपालयों (Herbarium) में विश्वसनीय संग्रह के अभिरक्षण (Custody) तथा स्थानीय, जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय वनस्पतिजात (Flora) के रूप में पादप संसाधनों का प्रलेखन (Documentation) वर्तमान में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) पर्यांवरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार प्रलेखन और संरक्षण के माध्यम से देश के वन्य पादप संसाधनों संबंधी वर्गिकी और पुष्पण अध्ययन करने के लिये एक शीर्ष अनुसंधान संगठन है।

क्रमिक योजनागत अवधि के दौरान, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के कार्यात्मक आधार को और विस्तार दिया गया जिससे कि देशज, दुर्लभ और संकटापन्न पादप प्रजातियों को सूचीबद्ध करने, संरक्षण से संबंधित कार्यनीतियाँ विकसित करने, संवेदनशील जैवप्रणालियों, पारितंत्रों और अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों तथा जैवमण्डल आगार संबंधी अध्ययन करने, वनस्पति उद्यानों तथा ऑर्किडो का संवर्द्धन तथा अनुरक्षण, पादपों के बारे में पारंपरिक ज्ञान का प्रलेखन तथा पादपालयों संबंधी राष्ट्रीय डाटाबेस का विकास, पादप वितरण एवं नामकरण, वनस्पति चित्रण, पादपों के प्रयोग आदि जैसे विभिन्न नए क्षेत्र शामिल किये जा सकें। 1954 में विभिन्न उद्देश्यों को पूरा करने के लिये BSI को फिर से संगठित किया गया- के अधीन सर्वेक्षण, संरक्षण की आवश्यकता वाली रेड लिस्ट की प्रजातियों, प्रजाति समृद्धि क्षेत्रों की पहचान, वानस्पतिक बागानों में विशेष रूप से संकटापन्न पादपवार्गिकी का स्थानेतर संरक्षण।

BSI के लिये सभी टास्क को पूरा करने के लिये सहायता हेतु 4 सर्किलों का निर्माण किया गया है। वे इस प्रकार हैं-

(i) बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया दक्षिणी सर्किल ,(कोयम्बटूर-) 10 अक्तूबर, 1955।

(ii) बाॅटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया, पूर्वी सर्किल (शिलॉन्ग)-,1 अप्रैल, 1956।

(iii) बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया, पश्चिमी सर्किल (पुणे)-12 दिसंबर, 1955।

(iv) बाँटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया, उत्तरी सर्किल (देहरादून)- 1 अगस्त, 1956।

BSI के अन्य उद्देश्य

  • चुनिन्दा पादप समूहों का प्रबंधनात्मक अध्ययन ।
  • नृजातीय-खाद्य पदार्थों एवं आर्थिक दृष्टि से उपयोगी अन्य पादप प्रजातियों के पौष्टिक मूल्यों का गुणात्मक विश्लेषण।
  • अध्ययन हेतु सौंपे गए क्षेत्रों का पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन ।
  • वानस्पतिक उद्यानों, संग्रहालयों एवं औषधीय बागानों (हरबेरियम) ।
  • भारतीय पादपों के बीज, पराग और बीजाणु एटलस तैयार करना। का विकास एवं अनुरक्षण करना।

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (Zoological Survey of India- ZSI)

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की स्थापना 1 जुलाई, 1916 को की गई थी। जिसका उद्देश्य विभिन्न असाधारण एवं प्राकृतिक का में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण जानवरों के जीवन के विषय में सर्वे, अन्वेषण एवं अनुसंधान द्वारा जानकारी इकट्ठा करना है। जिसके अंतर्गत में कलकत्ता में भारत म्यूजियम के अंतर्गत जूलॉजिक प्रभाग को जोड़ा गया। सर्वेक्षण अतीत की चुनौतियों से निपटने और भविष्य की मांगों पूरा करने के लिये अपने रास्ते पर अग्रसर है। इसने अपनी स्थापना के समय से अपने प्राथमिक उद्देश्यों को अपरिवर्तित रखा है।


उद्देश्य
1. जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ZSI) या भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की स्थापना सूचना प्राप्त करने के उद्देश्य से की गई थी। इसके द्वारा निर्धारित किये गए उद्देश्य निम्नलिखित हैं- देश के प्राणिजात संसाधनों का अन्वेषण, सर्वेक्षण और प्रलेखीकरण करना।
2. प्राणिजात संबंधी सर्वेक्षण के दौरान एकत्र की गई प्राणि विज्ञान संबंधी सामग्रियों का वर्गीकरणात्मक अध्ययन करना। देश के प्राणि जगत की संकटापन्न प्रजातियों की सूची बनाना तथा उनकी निगरानी करना।
3. राष्ट्रीय जन्तु विज्ञान संग्रह का अनुरक्षण और विकास करना।

4. ‘भारत का प्राणिजात’ एवं विभागीय पत्रिकाओं का प्रकाशन ।

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