बिग बैंग (Big Bang)

प्रारंभिक स्वरूप
आज से 14 अरब वर्ष पूर्व ब्रह्मांड का कोई अस्तित्व नहीं था। पूरा ब्रह्मांड एक छोटे से अति सघन बिंदु में सिमटा हुआ था। अचानक एक जबर्दस्त विस्फोट – बिग बैंग (Big Bang) हुआ और ब्रह्मांड अस्तित्व में आया। महाविस्फोट के प्रारंभिक क्षणों में आदि पदार्थ (Proto matter) व प्रकाश का मिला-जुला गर्म लावा तेजी से चारों तरफ बिखरने लगा। कुछ ही क्षणोंमें ब्रह्मांड व्यापक हो गया। लगभग चार लाख साल बाद फैलने की गति धीरे-धीरे कुछ धीमी हुई। ब्रह्मांड थोड़ा ठंडा व विरल हुआ और प्रकाश बिना पदार्थ से टकराये बेरोकटोक लम्बी दूरी तय करने लगा और ब्रह्मांड प्रकाशमान होने लगा। तब से आज तक ब्रह्मांड हजार गुना अधिक विस्तार ले चुका है।
ब्रह्मांड का व्यापक स्वरूप
आकाशगंगाओं में केवल अरबों-खरबों तारे ही नहीं बल्कि धूल व गैस के विशाल बादल बिखरे पड़े हैं। सैकड़ों प्रकाशवर्ष दूर तक फैले इन बादलों में लाखों- तारों के पदार्थ सिमटे हुए हैं। इन्हें निहारिकाएँ (nebule) कहते हैं। ये सैकड़ों भ्रूण तारों को अपने गर्भ में समेटे रहती हैं। हमारी अपनी आकाशगंगा में भी हजारों निहारिकाएं हैं, जिनसे हर पल सैकड़ों तारे पैदा होते हैं। तारों की भी एक निश्चित आयु होती हैै। सूर्य जैसे मध्यम आकार के तारों की जीवन यात्रा लगभग 10 अरब वर्ष लम्बी है। सूर्य के आधे आकार के तारों की उम्र इससे भी दुगुनी होती है। पर भारी-भरकम तारों की जीवन-लीला कुछ करोड़ वर्षों में ही समाप्त हो जाती है। तारों का अंत सुपरनोवा विस्फोट के रूप में होता है।
आधुनिक खगोलशास्त्र का उदय
सन् 1929 में एडविन हब्बल और मिल्टन हुमासान ने एक महत्वपूर्ण खोज की। उन्होंने पाया कि दूरस्थ आकाशगंगाओं के प्रकाश में विशेष रहस्य छिपे हैं। हब्बल व हुमासान ने आकाशगंगाओं की दूरी और इनकी गति का तुलनात्मक अध्ययन किया। जिससे पता चला कि सुदूर अंतरिक्ष में बिखरी पड़ी अनगिनत आकाशगंगाएँ हमसे जितनी दूर हैं उतनी ही अधिक तेजी से वह और दूर भाग रही हैं। इस खोज ने यह स्पष्ट कर दिया कि हमारी आकाशगंगा से परे न सिर्फ पूरा ब्रह्मांड व्यापक जाँच-पड़ताल की प्रतीक्षा में है बल्कि यह लगातार फैलता जा रहा है। इस खोज ने ब्रह्मांड की उत्पत्ति की जड़ तक पहुँचने में सफलता दिलाई और यह तथ्य उभरकर सामने आया कि पूरा का पूरा ब्रह्मांड कभी एक अति सघन छोटे से बिंदु में सिमटा हुआ था। इसकी महाविस्फोट से शुरुआत हुई और तभी से यह लगातार फैलता जा रहा है। नजदीकी तारों का प्रकाश कुछ वर्षों में हम तक पहुँचता है और दूरस्थ आकाशगंगाओं का प्रकाश हम तक पहुँचने में अरबों साल लग सकते हैं। हम आकाशगंगाओं का जो दृश्य देखते हैं वहकरोड़ों-अरबों साल पहले का होता है क्योंकि प्रकाश इतने ही वर्षों में हम तक पहुँचता है।इस लंबी दूरी को व्यक्त करने के लिए प्रकाश वर्ष एक प्रचलित पैमाना है।
अंतरिक्षीय विकिरण
अंतरिक्षीय विकिरण के रूप में एक महत्वपूर्णखोज सन् 1964 में विल्सन व पेनजिऑस द्वारा की गई जिसने ब्रह्मांड को खंगालने की एक नई विधा हमारे हाथ में पकड़ा दी। विकिरण की सर्वव्यापकता व निरंतरता इस बात की गवाह है कि आकाशगंगाओं, इनके झुण्डों और ग्रहों आदि जैसी संरचना निर्मित होने के भी बहुत पहले अतीत काल से ही विकिरण चला आ रहा है। इस सहज प्रवाह के कारण हम विकिरण के गुणों की प्रामाणिक पहचान कर सकते हैं। इस कार्य को ठीक से करने के लिए सन् 1989 में पृथ्वी की कक्षा में एक कॉस्मिक बैकग्राउंड एक्सप्लोरर उपग्रह भेजा गया। यह प्रारंभिक ब्रह्मांड द्वारा उत्सर्जन का परीक्षण करनेमें सफल रहा। ब्रह्मांड का लगातार प्रसार हो रहा है और शुरुआती समय की अपेक्षा यह विकिरण सतरंगी पट्टी के सूक्ष्म तरंगीय हिस्से में दिखाई देने वाले तरंगदैध्र्य के परे लाल रंग की तरफ झुका था। विल्सन व पेनजिऑस द्वारा अन्वेषित सूक्ष्म तरंगीय आकाश हमारी अपनी आकाशगंगा के स्तर को छोड़कर पूरी तरह शांत था। लेकिन इस स्तर के ऊपर व नीचे के विकिरण में कोई उतार-चढ़ाव नहीं था। कॉस्मिक बैकग्राउंड एक्सप्लोरर यानि कोबे (ष्टह्रक्चश्व) उपग्रह ने बहुत हल्का उतार-चढ़ाव दर्ज किया है। फिर भी सूक्ष्म तरंगीय विकिरण हलचल मुक्त ही है। यह उतार-चढ़ाव- एक लाख में एक भाग-बिग बैंग के लगभग चार लाख साल बाद प्रारंभिक ब्रह्मांड के तापमान में हुए बदलाव का प्रभाव है। सन् 2001 में कोबे से 100 गुना अधिक संवेदनशील उपग्रह के सहारे वैज्ञानिकों ने अधिक आँकड़ों को समेटे एक सूक्ष्म तरंगीय आसमान का मानचित्र तैयार किया। इसमें भी बहुत हल्का उतार-चढ़ाव पाया गया, जो नवजात ब्रह्मांड में पदार्थों के इकट्ठे होने की ओर संकेत करता है। अरबों साल में ये पदार्थ सघन हुए और गुरुत्व बल के प्रभाव से चारों तरफ के अधिकाधिक पदार्थों को अपनी ओर खींचने लगे। यह प्रक्रिया आगे बढ़ते हुए आकाशगंगाओंतक जा पहुँची। नजदीकी आकाशगंगाओं के समूह से अन्तहीन जाल जैसी संरचनाएं बन गई। यह बीज ब्रह्मांड के जन्म के समय ही पड़ा और काल के प्रवाह में अरबों-खरबों आकाशगंगाओं का वटवृक्ष खड़ा हुआ जिन्हें आज हम देख रहे हैं।उपग्रहीय अवलोकन ने कुछ और अज्ञात, अनजाने तथ्यों के साथ-साथ अदृश्य पदार्थ के अस्तित्व को भी प्रमाणित किया।

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