मध्यप्रदेश से संबंधित वैकल्पिक प्रश्न-उत्तर
मध्यप्रदेश
1.पाषाण’ काल को किस नाम से जाना जाता है ?
(A) पत्थर उपकरणों के कारण
(B) खानाबदोश जीवन गुजारने के कारण
(C)बिना वैंट के औजारों
(D) उपर्युक्त सभी
2. मध्य प्रदेश में नव पाषाण के कारण काल का आरम्भ माना जाता है-
(A) 6000 BC
(B) 7000 BC
(C )8000 bc
(D) इनमें से कोई नहीं
3. “आदमगढ़” को जाना जाता है-
(A)होशंगाबाद में होने के कारण
(B) नर्मदा तट पर स्थित होने के कारण
(C ) गुफा शैल चित्रों के कारण
(D) उपयुक्त सभी कारणों से
4.भीमबेटका गुफाओं की संख्या है-
(A) 500 के आसपास
(C) 600 के आसपास
(B) 400 के आसपास
(D) 700 के आसपास
5. भारत के निम्न राज्यों में से सबसे अधिक शैलाश्रय हैं –
(A)कर्नाटक में
(B) मध्य प्रदेश में
(C) महाराष्ट्र में
(D)आन्ध्र प्रदेश
6. ताम्र पाषाण काल, समय माना जाता है-
(D) आध्र प्रदेश में
(A) 2000-900 ई. पू. तक
(B) 2000-800 3. 4.
(C) 2000-1000 ई. पू. तक
(D) इनमें से कोई नहीं
7. रीवा एवं सिवनी से प्राप्त विशाल पाषाण किस युग से सम्बन्धित
(A) लौह युगीन संस्कृति
(B) महा पाषाण युग
(C) वैदिक युग
(D) इनमें से कोई नहीं
8. लौह युगीन संस्कृति के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं –
A) भिंड
(B) मुरैना
(C) ग्वालियर
(D) ये सभी
9. ‘एतरेय ब्राह्यण’ में निम्न जाति का उल्लेख हुआ है-
(A) निषाद
(B) भील
(C) सहरिया
(D) कोल
10.’वराहमिहिर’ की जन्म भूमि मानी जाती है-
(A) एरण
(B) कार्यथा
(C) नवदाटोेली
(D) इनमें से कोई नहीं
11.नागदा’ से प्राप्त अवशेषों का सम्बन्ध है-
(A) ताम्र पाषाण युगीन सभ्यता से
(B) बौद्धकालीन सभ्यता से
(C) मौर्य कालीन सभ्यता से
(D) उपर्युक्त में से कोई नहीं
12.महाकवि भवभूति ने अपने नाटक में यहाँ संस्कृति का वर्णन किया है, वह जाना जाता है–
(A) पवाया (B) नागदा
(C) त्यौथर (D)बेस नगर
13.’कसरावदा’ प्राप्त लेख पर उत्कीर्ण भाषा है-
(A) पाली (B) प्राकृत
(C) हिन्दी (D) इनमें से कोई नहीं
14.’हेलियोडोरस’ का स्तम्भ प्राप्त हुआ हैं-
(A) कायथा से B. नागदा
(C) बेसनगर D. गुर्जरा से
15. ‘डॉगवाला’ कहाँ है ?
(A) उज्जैन में (B) जबलपुर में
(C) मन्दसौर में (D) विदिशा में
16.त्योंथर से किस सभ्यता के प्रमाण मिले हैं ?
(A) मौर्यकालीन C).बौद्धकालीन
(B) गुप्तकालीन D) वैदिक कालीन
17.’खेडीनामा’ किसे जिले में स्थित है ?
(A) रीवा (B) होशंगाबाद C) उज्जैन
(D) राजगढ़
18.’ऑवरा (मध्य प्रदेश) में निम्न के द्वारा उत्खनन करवाया गया-
(A) एच. डी. सांकलिया द्वारा B)त्रिवेदी
(C) प्रो. वाकडकर द्वारा D) बी.वी. मिश्रा
19.निम्नांकित सिक्के विदिशा से प्राप्त हुए हैं-
(A) 49 आहत सिक्के
(C) 7 कलचुरि
(B) 1 सातवाहन
(D) ये सभी
20. मध्य प्रदेश में सबसे प्राचीन सभ्यता के प्रमाण मिले हैं-
(A) आदमगढ़ (B) बेसनगर(C) त्रिपूरी (D) दशपुर
21.राष्ट्रकूट नत्रप का शिलालेख प्राप्त हुआ
(A) महेश्वर तथा नवदाटोली (B) इन्द्रगढ़
(C) ग्यारसपुर (D) दशपुर से
22. सती प्रथा का पहला अभिलेखीय प्रमाण मिला है-
(A) त्रिपुरी से B) एरण C) दशपुर (D) नवदाटोली से
23. महेश्वर व नवदा का उत्खनन कार्य करवाया गया-
(A) एच. डी. सांकलिया द्वारा (B) मैक ब्राउन द्वारा
(C) सुपेकर द्वारा (D) (A) और (B) द्वारा
Answer
1. (D) पाषाण काल वह काल है, जब मनुष्य ने पत्थरों के ही उपकरण और औजार निर्मित किए और वह खानाबदोश जीवन गुजारता रहा. इस काल को पाषाण काल के नाम से जाना गया. मध्य प्रदेश में पाषाण कालीन मानव विचरता था, इसके साक्ष्य यहाँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं. यहाँ बिना वेंट के औजार थे जिनमें हस्त कुठार प्रमुख था. चम्बल, बेतवा, नमंदा आदि घाटियों में ऐसे औजार बहुतायत में मिले हैं.
2. (B) नव पाषाण युग भारत की तरह मध्य प्रदेश में लगभग 7000 इ.पू. के आस पास प्रारम्भ माना जाता है. इस काल के सेल्ट, कुल्हाड़ी, बसुला, रचक तथा घन जैसे औजार मिले है. मनुष्य ने इसी काल में कृषि, पशुपालन, गृह निर्माण और अग्नि प्रयोग जैसे क्रांतिकारी कार्यों को अपनाया. एरण, गठी मोरेला, जतकारा, बहुलई बुसीगा, मुनई, अर्तुजी जबलपुर, दमोह, नाँदगाव, हटा तथा होशंगाबाद से इस युग के साक्ष्य इन स्थानों से प्राप्त हुए है.
3. (D) आदमगढ़, जिला होशंगाबाद में है. यह मध्य पाषाण कालीन है. होशंगाबाद के निकट नर्मदा तट पर स्थित आदमगढ़ प्रागैतिहासिक मानव की क्रीड़ा स्थली रहा है. यहाँ की प्रमुख विशेषता है- गुफा शैल चित्र , जो प्रागैतिहासिक काल के हैं.
4. (A) भीमबेटका, जिला रायसेन मैं भोपाल से 40 कि.मी. दूर पर स्थित है. यहाँ प्रागैतिहासिक मानव की कलात्मक अभिव्यक्ति के साक्ष्य दूर विन्ध्य पर्वतों में स्थित भीमबेटका के शैलाश्रय है. भीमबेटका में ऊँचे पत्थर के टीलों के मध्य गुफाएँ निर्मित हैं जिनकी संख्या 500 के आसपास है.
5. (B) भारत में जितने शैलाश्रय प्राप्त हैं , उनमें मध्य प्रदेश में पाए जाने वाले शैलाश्रयों की संख्या सबसे अधिक है. होशंगाबाद, सागर, रीवा, मन्दसौर, जबलपुर, रायगढ़, सीहोर, रायसेन, ग्वालियर, पूर्वी निमाड़, शिवपुरी, छिंदवाड़ा, छत्रपुर, दमोह, पन्ना तथा नरसिंहपुर जिलों में चित्रित शैलाश्रय मिले हैं.अधिकांश गुफा चित्रों में लाल, स्फेद, काले, नीले, पीले रंग का उपयोग किया गया है. इन गूफा चित्रों :-पक्षियों का शिकार, जानवरों की लड़ाई, मानवों का पारस्परिक युद्ध, पशुओं की सवारी, नृत्य, पूजन, मधु संचय तथा घरेलू जीवन सम्बर्धी अनेक दृश्य हैं.
6. (A) ताम्र पाषाण युग से तात्पर्ये उस कालखण्ड से है, ज ने पत्थर के साथ तांबा धातु का भी उपयोग आरम्भ लियासमध्य प्रदेश में मालवा और उसक निकट ताम्र पाषाण कालीरसस्थलों में कायथा, एरण एवं नवदा्यली एवं अवरा प्रम्य थे. यह काल 2000-900 ई. पू. तक माना जाता है.
7. (B) दक्षिण-भारत के कुछ स्थलो से प्राप्त विशाल पाषाणससमाधियों को महा पाषाण स्मारक (मंगालिथ) कहा जातासहै. मध्य प्रदेश के सिवनी तथा रीवा जिलों में ऐसे स्मारकसउत्खनित किये गए हैं. यहाँ पाषाण युग 1700-1000 ई. पू.सतक माना जाता है.
৪. (D) लौह युगीन संस्कृति काल 1000 B.C. माना जाता है. मध्यसप्रदेश में इस काल के साक्ष्य भिण्ड, मुरैना एवं ग्वालियर क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं.
9. (A) वैदिक युग 1500-600 ई.पू. माना जाता है. वस्तुत:सऋवैदिक काल 1500-1000 ई. पू. में आर्य संस्कृति उत्तर।तक सीमित थी और उत्तर -वैदिक 1000-600 ई.पू. समयहमें ही उसने विध्याचल को पार कर मध्य प्रदेश में कदम रखा. ऐतरेय ब्राह्मण में जिस निषाद जाति का उल्लेख हुआ है. वह मध्य प्रदेश के जंगलों में निवास करती थी.
10. (B) कारयथा (कापिस्थ) काली सिन्ध नदी पर स्थित है. यहसवराहमिहिर की जन्म भूमि होने के लिए भी जाना जाता हैं. सन् 1965-66 में’ श्री बाकणकर’ के नेतृत्व में विक्रम विश्वसविद्यालय के पुरातत्व एवं संग्रह्मलय विभाग द्वारा ‘कायथा मे उत्खनन का कार्य प्रारम्भ करवाया गया. कायथा में ताम्रपाषाण युगीन सभ्यता’ के प्रमाण मिले हैं. कायथा में ताम्र उपकरणों का एक बड़ा संग्रह है. यहाँ मोहनजोदड़ो के समान मालाएं भी यहाँ प्राप्त हुई हैं. रेडियों कार्बन तिथि द्वारा इस सभ्यता का अस्तित्व 2200-2000 B.C. के मध्य पाया गया है. इस काल के लोग जिन मृदभाण्डों का प्रयोग करते थे. उन्हें मालवा भाण्ड कहा जाता है.
11 (A) नागदा (उज्जैन) चम्बल नदी के तट पर बसा हुआ है. यहाँ 1955-56 में उत्खनन कार्य करवाया गया. यहाँ से प्राप्त अवशेषों का सम्बन्ध ताम्र -पाषाण युगीन सभ्यता से है.
12 (A) ‘पवाया’ (ग्वालियर) ‘पद्यपादाय’ जो पार्वती तथा सिन्ध नदी के संगम पर बसा हुआ है. पवाया को प्राचीन काल में ‘पद्यावती’ नाम से जाना जाता था नाग शासकों की तीन राजधानियों में से ‘पदमावती’ एक राजधानी थी. महाकवि भवभूति ने अपने प्रसिद्ध नाटक ‘मालती माधव’ में इस नगर की भौगोलिक व सामाजिक स्थिति तथा संस्कृति का वर्णन किया है.
13. (B) “कसरावदा’ (खरगौन) महेश्वर के निकट है. यहाँ से प्राप्त बौद्ध अवशेष बौद्धकालीन सभ्यता से मिलते -जुलते हैं. यहाँ से प्राप्त अवशेषों में मृदभाण्डों पर कुछ लेख उत्कीर्ण हैं, जिनकी भाषा प्राकृत है. कसरावदा की सभ्यता को बौद्धकालीन सभ्यता माना जाता है.
14. (C) प्राचीन जैन तथा ब्राह्मण ग्रथों में विदिशा का नाम ‘बेसनगर’ मिलता है. 1913-14 में श्री डी. आर. भण्डारकर ने यहाँ उत्खनन करवाया. बेसनगर में ‘हेलियोडोरस’ का स्तम्भ प्राप्त हुआ जो वैष्णव धमर्म से सम्बन्धित है. यहाँ मौर्य कालीन सभ्यता के भी प्रमाण मिले हैं. बेसनगर गुप्त शासकों के समकालीन माना जाता है.
15. (A) ‘डॉगवाला’ उज्जैन जिले में है. यहाँ से उत्खनन में 1800 ई. पू. के मृदभाण्ड मिले हैं.
16. (C) त्योथर (रीवा) से बौद्धकालीन सभ्यता के प्रमाण मिले हैं.
17. (B) ‘खेडीनामा’ स्थल होशंगाबाद जिले में है. यहाँ से उत्खनन में प्राप्त अवशेषों से 3500 (साढ़े तीन हजार ) वर्ष पुरानी ताम्रयुगीन सभ्यता के प्रमाण मिले हैं.
18. (B) ‘ऑवरा’ प्राचीन ‘अपरा’ ग्राम में स्थित है. चम्बल बाँध में आवरा की अधिकांश चीजें जलमग्न हो चुकी हैं. शेष कुछ स्थान खण्डहर के रूप में है. मध्य प्रदेश प्रातत्व विभाग के त्रिवेदी’ द्वारा यहाँ का उत्खनन करवाया गया है. यहोँ पाषाण से लेकर गुप्त काल तक के अवशेष प्राप्त हुए है.
19.(D) बेसनगर (विदिशा) से ताम्र पाषाण युग, शुंग, सातवाहन काल, नाग, कुषाण युग तथा पूर्व मध्ययुगीन सिक्के मिले हैं। जिनमें 49 आहत सिक्के, 1 सातवाहन तथा 7 कलचुरे सिक्के प्रमुख हैं.
20. (A) ‘ आदमगढ़’ (होशंगाबाद) में 1960-61 में हुए उत्खनन में गुफाओं में शैलचित्र बने हुए हैं, जो नव पाषाणकालीन हैं. मध्य प्रदेश में सबसे प्राचीन ताम्र सभ्यता के प्रमाण भी आदमगढ़ में मिले हैं. यहाँ से पूर्व-पाषाण कालीन औजार भी मिले हैं.
21. (B) इन्द्रगढ़ (मन्दसौर) में हुए उत्खनन से एक अभिलेख प्राप्त हुआ है. यह अभिलेख राजपूत शासकों के समकालीन है. इन्द्रगढ़ में खुदाई के पश्चात् 10वीं से 12वीं शताब्दी के मध्य के अवशेष प्राप्त हुए हैं. यहाँ से “राष्ट्रकूट नत्रप’ का शिलालेख भी मिला है.
22. (B) सागर से 47 किमी दूर ‘एरिकिंण’ का खुदाई कार्य प्रो. कृष्ण दत्त वाजपेयी ने करवाया. ऐरिण वीना नदी से घिरा हुआ है. यहाँ से ताप्रपाषाण कालीन अवशेष तथा औजार प्राप्त हुए हैं. उत्खनन में एक रक्षा दीवार भी मिली है. इस।काल में तांबे के स्थान पर लोहे का प्रयोग होने लगा. सती प्रथा का पहला अभिलेख प्रमाण ऐरण में मिलता है, जो 512 ई. का है यहाँ से ‘हण’ नरेश तोरमाण की मुद्राएं भी प्राप्त हुई हैं.
23. (D) नवदाटोली, महेश्वर में नर्मदा तट पर है. बौद्धगर थों में इसे अवंतिका जनपद की दूसरी राजधानी भी कहा गया है. इसका।ताम्र पाषाणिक अस्तित्व 1660 ई. पू. के मध्य माना जाता है. पुणे स्थित दक्कन कॉलेज अनुसंधान संस्थान के संचालक।एच. डी. सांकलिया तथा उनके सहयोगी मेक ब्राउन द्वारा यहाँ उत्खनन कार्य करवाया गया. यहाँ से झोपड़ीनुमा मिट्टीहके घर के साक्ष्य मिले हैं, जो चौकोर, गोल या आयताकार होते थे. चूलहे, परिवहन की गाड़ी, काला-लाल मृदभाण्ड, गेंहू-चना, मटर, मसूर की खेती, तांबे और पत्थर के औजारों के साथ विदेशियों के अप्रवास के साक्ष्य भी मिले हैं.
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