26 साल पहले भारत ने पोखरण में किया था परमाणु टेस्ट, अमेरीकी एजेसियों से बचने के लिए ताजमहल, कुंभकरण जैसे कोड नेम रखे थे

26 साल पहले भारत ने पोखरण में किया था परमाणु टेस्ट, अमेरीकी एजेसियों से बचने के लिए ताजमहल, कुंभकरण जैसे कोड नेम रखे थे

मई भारत की दो महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। इसी महीने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश होने का तमगा हासिल हुआ था। साल 1974, 18 मई को भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था। इसे ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा ; नाम से जाना जाता है। वहीं 26 साल पहले 11 व 13 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में ही भारत ने अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया था। इसकी याद में 11 मई को नेशनल टेक्नोलॉजी डे मनाया जाता है।

भारत ने इस ऑपरेशन का कोड नेम ऑपरेशन शक्ति रखा था। जब भारत अपना दूसरा परमाणु परीक्षण करने की तैयारी कर रहा था, तब पश्चिम के देश भारत पर नजर रख रहे थे। अमेरिकी सैटेलाइट्स की नजरों से बचने के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की टीमश रात में काम कर रही थी।

95-96 से सीख लेकर 

इससे पहले साल 1995-96 में भारत के परमाणु परीक्षण के बारे में अमेरिकी एजेंसियों ने पता लगा लिया था। ऐसे में इस मिशन को यथासंभव गुप्त रखा गया था। मिशन में शामिल वैज्ञानिकों और सैनिकों के परिवार वालों तक को इसकी भनक नहीं लगने दी। 

डीआरडीओ की गई थीं तैयारियाँ और भाभा रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक भेष बदलकर ही पोखरण में प्रवेश करते थे। यहां तक कि तत्कालीन डीआरडीओ चीफ डॉक्टर अब्दुलकलाम का नाम बदलकर मेजर जनरल पृथ्वीराज और राजगोपाल चिदंबरम का नामशनटराज रखा गया था।

कई कोड नेम बनाए गए

अमेरिकी एजेंसी कम्युनिकेशन लाइन की भी जासूसी कर सकती थी। इसलिए मिशन के दौरान बम दस्तों को व्हिस्की बुलाया जाता था, तो सीक्रेट चैंबर को कैंटीन नाम से जाना जाता था। भारतीय हाइड्रोजन बम का नाम व्हाइट हाउस रखा गया एक एटम बम दस्ते का नाम ताजमहल भी था। वैज्ञानिकों को सिएरा के नाम से पुकारा जाता था। डीआरडीओ की टीम को चार्ली, बार्क की टीम को ब्रावो और मिलिटीरी को माइक कहा जाता था। तीसरे बम दस्ते का नाम कुंभकरण रखा गया था। अपने नाम के अनुरूप यह बम लंबे समय तक निष्क्रिय पड़ा रहा था।

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