आठ साल के बच्चे को आठवी में एडमिशन…

आठ साल के बच्चे को आठवी में एडमिशन

हाल ही में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक 11 साल के बच्चे को 9वीं क्लास में पढ़ने की इजाजत दी। जबकि उसका स्कूल केंद्रीय विद्यालय शिक्षा बोर्ड (CBSE) और सरकार के नियमों के तहत इसकी अनुमति नहीं दे रहा था। सीबीएसई ने भी कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के क्लॉज 4.1 के तहत बच्चा 9 वीं कक्षा में पढ़ने के लिए न्यूनतम उम्र पूरी नहीं करता है। बोर्ड ने यहां तक कहा कि एनईपी 2020 में उम्र में छूट का कोई प्रावधान नहीं है।

लेकिन जस्टिस विशाल मिश्रा ने कहा, “‘उम्र सीमा की शर्त थोपकर किसी को शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। 19 अगस्त 2025 को कोर्ट ने बच्चे का 9 वी में दाखिला और रजिस्ट्रेशन का आदेश देते हुए कहा, ‘शुरुआत से ही बच्चा पढ़ाई में होशियार है। हमेशा असाधारण प्रतिभा दिखाई है। पहली कक्षा से 8वीं तक बिना किसी रुकावट पढ़ा है। जब 9वी में पहुंचा तो उम्र के कारण रजिस्ट्रेशन नहीं कर रहे। बच्चे को उम्र बदलने या स्कूल से ट्रांसफर लेने को कहा गया। डॉक्टर का भी कहना है कि बच्चे में कुछ असाधारण गुण हैं और वो ब्रिलियंट है।’

11 जनवरी 2024… जब पटना हाई कोर्ट ने 10 साल के बच्चे को कहा कि वह सभी सपोर्टिव डॉक्यूमेंट्स के साथ सीबीएसई चेयरमैन को क्लास 10 बोर्ड एग्जाम देने के लिए अपनी फरियाद भेजे। साथ ही CBSE अध्यक्ष को उसे मानने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा, ‘अगर बच्चा विद्वान(child Prodigy) है, विशेष रूप से मेधावी है, तो ऐसी परिस्थितियों में सीबीएसई बाई लॉज या सरकारी प्रावधान को सर्वोच्च मानना जरूरी नहीं। बच्चे को तय उम्र से कम में भी बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति मिलनी चाहिए।

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