आठ साल के बच्चे को आठवी में एडमिशन…
आठ साल के बच्चे को आठवी में एडमिशन
नियम तोड़कर प्रवेश : पढ़ने लिखने के लिए उम्र की इतनी पाबंदी क्यों ?
क्लास 1 में एडमिशन के लिए बच्चे की उम्र कम से कम 6 साल होनी ही चाहिए। 10 वीं बोर्ड परीक्षा देने के लिए स्ट्डेंटकी उम्र 16 साल से कम न हो…। ऐसे नियम तो आपने भी देखे-सुने ही होंगे। बच्चा स्कूल में एडमिशन के लिए तय एजलिमिट से एक महीना भी छोटा हो, तो उसे दाखिला नहीं मिल पाता। भले ही उसने सारे सवालों के जवाब क्यों न दे दिए हों। क्या आपके मन में कभी ये सवाल उठा कि भला पढ़ने लिखने के लिए उम्र की इतनी पाबंदी क्यों है? खासकर अगर बच्चा इंटेलिजेंट है। अपनी उम्र से ऊंची क्लास में पढ़ने के लायक है। कुछ लोगों ने ऐसे सवाल उठाए… कोर्ट में… और उन्हें फल भी मिला।
हाल ही में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक 11 साल के बच्चे को 9वीं क्लास में पढ़ने की इजाजत दी। जबकि उसका स्कूल केंद्रीय विद्यालय शिक्षा बोर्ड (CBSE) और सरकार के नियमों के तहत इसकी अनुमति नहीं दे रहा था। सीबीएसई ने भी कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के क्लॉज 4.1 के तहत बच्चा 9 वीं कक्षा में पढ़ने के लिए न्यूनतम उम्र पूरी नहीं करता है। बोर्ड ने यहां तक कहा कि एनईपी 2020 में उम्र में छूट का कोई प्रावधान नहीं है।
लेकिन जस्टिस विशाल मिश्रा ने कहा, “‘उम्र सीमा की शर्त थोपकर किसी को शिक्षा के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। 19 अगस्त 2025 को कोर्ट ने बच्चे का 9 वी में दाखिला और रजिस्ट्रेशन का आदेश देते हुए कहा, ‘शुरुआत से ही बच्चा पढ़ाई में होशियार है। हमेशा असाधारण प्रतिभा दिखाई है। पहली कक्षा से 8वीं तक बिना किसी रुकावट पढ़ा है। जब 9वी में पहुंचा तो उम्र के कारण रजिस्ट्रेशन नहीं कर रहे। बच्चे को उम्र बदलने या स्कूल से ट्रांसफर लेने को कहा गया। डॉक्टर का भी कहना है कि बच्चे में कुछ असाधारण गुण हैं और वो ब्रिलियंट है।’
11 जनवरी 2024… जब पटना हाई कोर्ट ने 10 साल के बच्चे को कहा कि वह सभी सपोर्टिव डॉक्यूमेंट्स के साथ सीबीएसई चेयरमैन को क्लास 10 बोर्ड एग्जाम देने के लिए अपनी फरियाद भेजे। साथ ही CBSE अध्यक्ष को उसे मानने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा, ‘अगर बच्चा विद्वान(child Prodigy) है, विशेष रूप से मेधावी है, तो ऐसी परिस्थितियों में सीबीएसई बाई लॉज या सरकारी प्रावधान को सर्वोच्च मानना जरूरी नहीं। बच्चे को तय उम्र से कम में भी बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति मिलनी चाहिए।
8 साल का जीनियस बच्चा…..
ये बात है साल 2022 की । जब हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने एक 8 साल के बच्चे को आठवीं कक्षा में दाखिले की अनुमति दी। शिमला के मेडिकल बोर्ड ने उस बच्चे का आईक्यू 128 टेस्ट किया था, जो एक जीनियस के हाईएस्ट IQ लेवल से थोड़ा ही कम था। लेकिन IQ टेस्ट के बाद कोर्ट के आदेश पर स्कूल ने बच्चे को क्लास ৪th में एडमिशन दिया।
2021…में मद्रास हाई कोर्ट ने16 साल की लड़की को नीट यूजी परीक्षा में बैठने की मंजूरी दी थी। जबकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम के अनुसार नीट यूजी के लिए न्यूनतम उम्र 17 साल है। हालांकि इस बच्ची का IQ 143 था और उसे सीबीएसई स्कूल में डबल प्रमोशन मिला था, जिसके कारण वो 7वीं से सीधा 9वीं क्लास मैं प्रमोट हुई थी। कम उम्र के बावजूद उसे सीबीएसई बोर्ड 10वीं 12वीं परीक्षा में बैठने की भी अनुमति मिली थी।
तब कोर्ट ने कहा था कि ‘जब सीबीएसई ने बच्ची को 12th बोर्ड एग्जाम में बैठने दिया, तो अब उसकी उम्र में छूट के आवेदन को नामंजूर करके उसे नीट देने से रोकने का कोई तर्क नहीं है। CBSE और MCI दोनों भारत सरकार के अधीन हैं। नीट एग्जाम से रोककर एमसीआई स्टूडेंट की वैध उम्मीद उससे छीन नहीं सकता। ऐसा करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत मिला अधिकार छीनना है ।
NEP: स्कूल एडमिशन की एज लिमिट का नियम क्या है?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति और नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क केअनुसार स्कूली शिक्षा में उम्र का फॉर्मूला 5+3+3+4 है। इसे चार स्टेज में बांटा गया है-
फाउंडेशन (उम्र 3 से 8, कुल 5 साल)- 3 साल आंगनवाड़ी या प्री स्कूलऔर 2 साल प्राइमरी स्कूल (क्लास 1 और 2) में।
प्रिपरेटरी (उम्र 8 से 11 साल)- क्लास 3 से 5 तक।
मिडल स्टेज (उम्र 11 से 14 साल)- क्लास 6 से 8 तक।
सेकंडरी (उम्र 14 से 18 साल)- क्लास 9 से 12 तक।
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