Aliens की खोज का दुनिया का अब तक का सबसे विस्तृत अभियान
न्यू डेवलपमेण्ट बैंक (ब्रिक्स बैंक)
“ब्रिक्स बैंक” (BRICS Bank) के नाम से प्रसिद्ध उस नवसृजित विकास बैंक का नाम क्या है जिसे औपचारिक रूप से 21 जुलाई 2015 को शंघाई (चीन) में खोला गयाl 5 ब्रिक्स (BRICS) देशों – ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका की विकास तथा मूलभूत संरचना सम्बन्धी परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान किए जाने के मुख्य उद्देश्य से संस्थापित न्यू डेवलपमेण्ट बैंक (New Development Bank – NDB) को लोकप्रिय भाषा में “ब्रिक्स बैंक” के नाम से जाना जाता है। इसका मुख्यालय चीन के सर्वप्रमुख व्यावसायिक शहर शंघाई (Shanghai) में स्थापित किया गया है तथा इसके प्रथम अध्यक्ष भारत के प्रमुख बैंकर के.वी. कामथ (K.V. Kamath) को बनाया गया है। उल्लेखनीय है कि हाल-फिलहाल में विश्व बैंक (World Bank) जैसी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था के विकल्प के रूप में स्थापित होने वाला NDB ऐसा दूसरा बैंक है। इससे पहले जून 2015 के दौरान ही एशियन इनवेस्टमेण्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर बैंक (Asian Investment Infrastructure Bank – AIIB) की आधिकारिक शुरूआत चीन की राजधानी बीजिंग (Beijing) में की गई। एक खास बात यह भी है कि इन दोनों नवसृजित वित्तीय संस्थाओं में चीन का वर्चस्व है। NDB की 100 अरब डॉलर की पूँजी में से चीन ने सर्वाधिक 41 अरब डॉलर का योगदान किया है जबकि ब्राज़ील, भारत और रूस की हिस्सेदारी 18 अरब डॉलर प्रत्येक की है और दक्षिण अफ्रीका की हिस्सेदारी 5 अरब डॉलर की है। इस बैंक में चीन की वोटिंग हिस्सेदारी भी सर्वाधिक 39.5% की है।
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अब तक के सबसे भारी क्रायोजेनिक इंजन (cryogenic engine) का सफल परीक्षण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 20 जुलाई 2015 को एक बड़ी उपलब्धि तब हासिल की जब उसने इस दिन भारत के अब तक के सबसे भारी क्रायोजेनिक इंजन (cryogenic engine) का सफल परीक्षण पूरा किया। पूरे 800 सेकेण्ड चले इस सफल परीक्षण से इसरो को अपने अब तक के सबसे भारी रॉकेट जीएसएलवी-मार्क तीन (Geo-synchronous Satellite Launch Vehicle Mark III – GSLV Mark-III), को प्रक्षेपित करने की क्षमता हासिल हो गई है जिससे आठ टन भार तक के उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा जा सकेगा। क्रायोजेनिक इंजन का यह महत्वपूर्ण परीक्षण महेन्द्रगिरि – Mahendragiri (तमिलनाडु किया गया )
क्रायोजेनिक इंजन का यह परीक्षण ISRO के महेन्द्रगिरी (तमिलनाडु) स्थित नोदर संकुल (Propulsion Complex) में किया गया जहाँ इसरो अपने नोदर आधारित प्रक्षेपणों का परीक्षण करता है। उल्लेखनीय है कि एक समय अमेरिका के दबाव में भारत को क्रायोजेनिक प्रौद्यौगिकी नहीं मिल पाई थी जिसके बाद भारतीय वैज्ञानिकों को इसको सिद्धहस्त करने में लगभग दो दशक का समय लगा। क्रायोजेनिक तकनीक में द्रव हाइड्रोजन (liquid hydrogen) तथा द्रव ऑक्सीजन (liquid oxygen) का प्रयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। 18 दिसम्बर 2015 को भी भारत ने महेन्द्रगिरी में GSLV मार्क III का सफल परीक्षण किया था। माना जा रहा है कि क्रायोजेनिक प्रौद्यौगिकी में महारथ हासिल कर भारत आने वाले वर्षों में स्वदेशी तकनीक से अंतरिक्ष में अपने अंतरिक्ष-यात्रियों को भेजने का अपना सपना GSLV जैसे रॉकेटों की मदद से पूरा कर लेगा।
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भारत में घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट (first class cricket) की एक प्रमुख दुलीप ट्रॉफी बाहर करने की घोषणा
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने 20 जुलाई 2015 को घरेलू क्रिकेट से सम्बन्धित दुलीप ट्रॉफी (Duleep Trophy) 5 दशक से अधिक पुरानी प्रतिष्ठित ट्रॉफी को बाहर करने की घोषणा कीl दुलीप ट्रॉफी भारत में घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट (first class cricket) की एक प्रमुख ट्रॉफी है तथा इसका आयोजन पहली बार 1961-62 में किया गया था। इस ट्रॉफी में क्षेत्रों के आधार पर बाँटी गई 5 टीमें हिस्सा लेती थी। इस ट्रॉफी की प्रतिष्ठा इसी तथ्य से समझी जा सकती है कि पिछले साल तक भारतीय टीम में चयन के लिए इस ट्रॉफी को भी प्रमुख आधार माना जाता था। यहाँ तक की पिछले साल इसी ट्रॉफी में अपने शानदार प्रदर्शन के लिए के.एल. राहुल ऑस्ट्रेलिया जाने वाली भारतीय टीम में स्थान बना पाए थे। BCCI ने इस ट्रॉफी को मुख्यत: घरेलू क्रिकेट सत्र की व्यस्तता को कम करने के लिए समाप्त किया है। दूसरी तरफ घरेलू क्रिकेट के कुछ सीमित ओवर वाले टूर्नामेण्टों का प्रारूप भी बदलने की BCCI ने घोषणा की है – जैसे देवधर ट्रॉफी (Deodhar Trophy) तथा विजय हजारे ट्रॉफी (Vijay Hazare Trophy)।
Aliens की खोज का दुनिया का अब तक का सबसे विस्तृत अभियान
दिग्गज भौतिकविद सर स्टीफन हाकिंग (Stephen Hawking) ने 20 जुलाई 2015 को हमारे ब्रह्माण्ड में परग्रहियों (Aliens) की अब तक की सबसे बड़ी खोज से सम्बन्धित एक परियोजना को लांच किया जिसमें रूस के इंटरनेट उद्यमी यूरी मिल्नर निवेश करेंगे। 10-साल लम्बी इस परियोजना पर 100 मिलियन डॉलर खर्च किए जायेंगे। इस महात्वाकांक्षी परियोजना का नाम ब्रेक्थ्रू लिसेन” (“Breakthrough Listen”) रखा गया है l इस महात्वाकांक्षी परियोजना को परग्रहियों (Aliens) की खोज का दुनिया का अब तक का सबसे विस्तृत अभियान माना जा रहा है। यह अभियान जहाँ सर स्टीफन हाकिंग की देख-रेख में संचालित किया जायेगा वहीं NASA के एमेस रिसर्च सेण्टर (Ames Research Center) के निदेशक रहे पीटर वॉर्डन (Peter Worden) जैसे वैज्ञानिक इसका नेतृत्व करेंगे। “ब्रेक्थ्रू लिसेन” के तहत विश्व के कुछ सबसे बड़े रेडियो टेलीस्कोप्स (Radio Telescopes) का प्रयोग कुछ विशिष्ट रेडियो सिग्नल की मौजूदगी का पता लगाने के लिए किया जायेगा। वैज्ञानिकों का दल पृथ्वी के आस-पास स्थित लाखों तारों तथा निकटस्थ स्थित लगभग 100 आकाशगंगाओं (galaxies) से प्राप्त रेडियो सिग्नल्स का अध्ययन करेगा। हालांकि इसमें वापस रेडियो सिग्नल भेजने का काम नहीं किया जायेगा। इस महात्वाकांक्षी अभियान में 100 मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता रूसी इंटरनेट उद्यमी यूरी मिल्नर (Yuri Milner) करेंगे जिन्होंने फेसबुक (Facebook) जैसी कम्पनियों के शुरूआती दौर में निवेश कर अरबों की सम्पत्ति कमाई है। उल्लेखनीय है कि परग्रहियों के बारे में जानने को लेकर पृथ्वी में हमेशा उत्सुकता रही है तथा यह उत्सुकता अब और बढ़ गई है क्योंकि ऐसे कई संकेत मिले हैं कि हमसे दूर जीवन की मौजूदगी वाले तमाम स्थान हो सकते हैं।