भारत में आणविक ऊर्जा

भारत में आणविक ऊर्जा

देश में ऊर्जा की बढ़ती हुई मॉंग और सीमित संसाधनों को देखते हुए परमाणु ऊर्जा का विकास किया गया है । यह ऊर्जा रेडियोधर्मी परमाणुओं के विखण्डन से प्राप्त की जाती है। प्राकृतिक विखण्डन जटिल एवं खर्चीला होता है। परन्तु इससे प्राप्त विद्युत पर्याप्त सस्ती पड़ती है। इसका कारण है कि एक किलोग्राम युरेनियम से जितनी विद्युत पैदा की जा सकती है उसके के लिये 20 से 25 लाख किलो ग्राम कोयले की आवश्यकता होती है। भारत में परमाणु ऊर्जा का विकास अन्य देशों की तुलना में अभी कम है। यहाँ देश के कुल ऊर्जा का तीन प्रतिशत भाग परमाणु ऊर्जा से सम्बन्धित है। देश में परमाणु ऊर्जा के विकास करने के लिये 1954 में परमाण् ऊर्जा विभाग स्थापित किया गया है।

परमाणु शक्ति के स्रोत

परमाणु शक्ति के लिये रेडियो धर्मिता युक्त विशिष्ट प्रकार के खनिजों,यूरेनियम, थोरियम, बरेलियम, ऐल्मेनाइट, जिरकन, ग्रेफाइट और एन्टीमनी का प्रयोग किया जाता है। भारत में इस प्रकार के खनिजों की उपलब्धि का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है- 

(1) यूरेनियम 

बिहार के सिंहभूमी और राजस्थान की धारवाड़ एवं आर्कियन चट्टानों,उत्तरी बिहार, आन्ध प्रदेश के नैल्लर, राजस्थान के अभ्रक के क्षेत्रों में पैग्मेटाइट चट्टानें में, केरल के समुद्र तटीय भार्गों में मोनोजाइट निक्षेपों में, हिमाचल प्रदेश के कुल्लु, चमोली जिलों की चट्टाने में यूरेनियम प्राप्त किया जाता है।

(2) थोरियम

केरल की समुद्र तटीय रेत में 8-10 प्रतिशत तथा बिहार के रेत में 10 प्रतिशत तक मोनोजाइट खनिज प्राप्त होता है। जिससे थोरियम प्राप्त किया जाता है।

(3) इल्मेनाइट

भारत के पश्चिमी तट पर कुमारी अन्तरीप, नर्मदा नदी के एस्चूरी,महानदी की रेत से प्राप्त किया जाता है। केरल की रेत में इल्मेनाइ़ट के 93 प्रतिशत भण्डार उपलब्ध है।

(4) बेरिलियम

राजस्थान, बिहार, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाड़ के अभ्रक खनन क्षत्रों से बेरिलियम प्राप्त किया जाता है।

(5 ग्रेफाइट

उड़ीसा में कालाहाण्डी, गंजाम, कोरापुट जिलों, आन्ध्र प्रदेश में वारंगल,विशाखाप्टनम, पश्चिमी गोदावरी, तमिलनाड् में तीरूनवेली,कर्नाटक में मैसूर, राजस्थान में जयपुर, अजमेर, मध्य प्रदेश में बेतूल,बिहार में भागलपुर, सिक्किम में सुंचताग्ग जिलों से प्राप्त किया जाता है ।

ग्रेफाइट के कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत उड़ीसा, 20 प्रतिशत बिहार,18 प्रतिशत आन्ध्र प्रदेश से प्राप्त होता है।

परमाणु शक्ति का विकास

भारत में परमाण् कार्यक्रम के शुभारम्भ कर्ता डॉ. होमी जहांगीर भाभा थे।

1948 में परमाण ऊर्जा आयोग की स्थापना हई। 1954 में परमाणु ऊर्जा संस्थान ट्रॉम्बे में स्थापित किया गया।

जिसे 1967 में भाभा अनुसंधान केन्द्र नाम दिया गया। 1987में भारतीय परमाणु विद्युत निगम की स्थापना की गई। जिसके अधीन दस परमाण् शक्ति गृह है। जिनकी कुल स्थापित विद्युत क्षमता 2770 मेगावाट है। वर्तमान में देश में 17 परमाणु रिएक्टर संचालित हो रहे है जिनकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 4800मेगावाट है। भारत में स्थापित परमाणु ऊर्जा केन्द्रों का विवरण इस प्रकार है –

You may also like...

error: Content is protected !!