भारत एक कृषि-प्रधान देश है. भारत में कृषि अनादि काल से की जा रही है. कृषि के क्षेत्र से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 64. प्रतिशत लोग जुड़े हुए हैं. कृषि केवल पारम्परिक किसानों के लिए ही नहीं है, बल्कि इस क्षेत्र से आजकल युवाभी अपना कैरियर बना सकते हैं. इस क्षेत्र में रोजगार के लिए आप नए व आधुनिक तरीके से फसलों की खेती करके तथा कृषि उत्पादों की मार्कटिंग करके भी अपना बेहतर भविष्य बनाकर अच्छी आय कमा सकते हैं.
कृषि विज्ञान, विज्ञान की ही एक प्रमुख विधा है, जिसमें कृषि उत्पादन, खाद्य।पदार्थों की आपूर्ति, फार्मिंग की क्वालिटी सुधारने, क्षमता बढ़ाने आदि के बारे में बताया जाता है, इसका सीधा लॉजिकल साइंस से है. इसमें बायोलॉजी,फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स के सिद्धान्तों को शामिल करते हुए कृषि क्षेत्र की समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जाता है. प्रोडक्शन टेक्निक को बेहतर बनाने के लिए रिसर्च एवं डेवलपमेंट को इसके सिलेबस में शामिल किया गया है.
इसकी कई शाखाएँ जैसे प्लांट साइंस, फूड साइंस, एनिमल साइंस व सॉईल साइंस आदि है, जिनमें स्पेशलाइजेशन कर इस क्षेत्र का जानकार बना जा सकता है.
कृषि विज्ञान में कैरियर बनाने के इच्छुक छात्रों को बॉटनी, फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स की जानकारी होना बहुत जरूरी है, ऐसे कई अंडरग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा व डॉक्टरल कोर्स हैं, जो एग्रीकल्चर साइंस की डिग्री प्रदान करते हैं. इसके बैचलर कोर्स में दाखिले के लिए साइंस स्ट्रीम में 50 प्रतिशत अंकों के साथ 10 + 2 पास होना जरूरी है, कोर्स की अवधि चार वर्ष हैं. दो वर्षीय मास्टर प्रोग्राम के लिए बीएससी अथवा बीटेक की डिग्री आवश्यक है. मास्टर डिग्री (एमएससी/एमटेक) के बाद पीएचडी की राह मिल जाती है. कई ऐसे संस्थान हैं, जो पीजी डिप्लोमा कोर्स कराते है कृषि विज्ञान में निम्नलिखित कोर्स किए जा सकते है :
1. बीएससी इन एग्रीकल्चर (ऑनर्स) 2. एमएससी इन एग्रीकल्चर 3. एमएससी इन एग्रीकल्वर इंजीनियरिंग 4. एमएससी इन एग्रीकल्चर (बायोटेक्नोलॉजी) 5. एमएससी केमिस्ट्री/इकोनॉमिक्स) 6. एमटेक इन एग्रीकल्चर वॉटर मैनेजमेंट 7. पीएचडी इन एग्रीकल्चर इकोनॉमिक्स 8. पीजी डिप्लोमा इन एग्री बिजनेस मैनेजमेंट 9.एग्रीकल्चर (बायो- पीजी डिप्लोमा इन एग्री मार्केटिंग मैनेजमेंट)10. पीजी डिप्लोमा इन एग्री वॉटर मैनेजमेंट
कृषि विज्ञान के क्षेत्र में प्रोफेशनल्स का वेतन उनकी योग्यता, संस्थान और कार्य अनुभव पर निर्भर करता है. सरकारी क्षेत्र में कदम रखने वाले ग्रेज़ुएट प्रोफेशनल्स को प्रारम्भ में 20-25 हजार प्रति माह मिलते हैं कुछ साल के अनुभव के बाद यह राशि 40-50 हजार प्रतिमाह हो जाती है, जबकि प्राइवेट सेक्टर में प्रोफेशनल्स की स्किल्स हिसाब से वेतन दिया जाता है. यदि आप अपना फर्म या कंसल्टेंसी सर्विस खोलते हैं, तो आमदनी की रूपरेखा फर्म के आकार एवं स्वरूप पर निर्भर करती है. टीचिंग व रिसर्च के क्षेत्र में भी पर्याप्त सैलेरी मिलती है कृषि विज्ञान में डिग्री/डिप्लोमा कोर्स करने के पश्चात् निम्नलिखित पदों पर नियुक्ति प्राप्त हो सकती है-
इन सभी कोर्सों में दाखिला प्रवेश प्रक्रिया के बाद मिलता है. प्रवेश परीक्षाएं सम्बन्धित इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर). नई दिल्ली द्वारा कराई जाती है. कुछ चुनिंदा संस्थान आईसीएआर के अंक को आधार बनाकर प्रवेश देते हैं. आईसीआर पोस्ट ग्रेजुएट के लिए फेलोशिप भी प्रदान करता है. कृषि वैज्ञानिक बनने के लिए छात्रों के पास विज्ञान की अच्छी समझ संस्थान, यूनिवर्सिटी अथवा होनी चाहिए, उसे फसलों, मिट्टी के प्रकार तथा प्रमुख केमिकल्स के बारे में जानकारी होनी चाहिए. साथ ही, उसके पास तार्किक दिमाग, धैर्य, शोध का गुण. घण्टों काम करने का जज्बा, लिखने-बोलने का कौशल. प्रजेंटेशन क्षमता आदि गुणों का होना जरूरी आजकल इस सेक्टर में भी बायोलॉजिकल केमिकल, प्रोसेसिंग कन्ट्रोल करने व डाटा आदि निकालने का प्रयोग होने लगा है, इसलिए कम्प्यूटर का ज्ञान होना बहुत जरूरी है.
वैश्विक समस्या का रूप ले रहे कम्प्यूटर खाद्यान्न संकट इस क्षेत्र को शोध संस्थाओं की प्राथमिकता का केन्द्र बना दिया है. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् सहित देश की तमाम कृषि शोध संस्थाएँ कृषि उत्पादकता बढ़ाने वाली तकनीकों और फसलों की ज्यादा उपज देने वाली प्रजातियाँ विकसित करने में जुटी हैं. निजी क्षेत्र की कई कम्पनियाँ कृषि उत्पादों का ज्यादा समय तक उपभोग सुनिश्चित करने के लिए, बड़े पैमाने पर, फूड प्रोसेसिंग शुरू कर चुकी हैं. डिब्बा बंद जूस, आइसक्रीम, दुग्ध उत्पाद और चिप्स जैसे उत्पाद प्रोसेस्ड फूड के उदाहरण है. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कृषि विज्ञान में केंरियर बनाने के अच्छे विकल्प मौजूद हैं.
● रविन्द्र नरवरिया करियर काउंसलर ravindranarwriya@gmail.com what app 9406822273