कोचिंग संस्थानों पर निर्भर होने से रोकना और स्कूली शिक्षा प्रणाली की कमियों की पहचान के लिए केंद्रीय कमेटी गठित

कोचिंग संस्थानों पर निर्भर होने से रोकना और स्कूली शिक्षा प्रणाली की कमियों की पहचान के लिए केंद्रीय कमेटी गठित

देश में स्कूली छात्रों की कोचिंग संस्थानों पर बढ़ती निर्भरता, डमी स्कूलों के चलन और प्रवेश परीक्षाओं की निष्पक्षता जैसे अहम मुद्दों की समीक्षा के लिए केंद्र सरकार ने 9 सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी की अध्यक्षता में बनाई गई है। इसे 9 पहलुओं पर मंथन कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।

शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कमेटी का मुख्य उहदेश्य छात्रों को कोचिंग संस्थानों पर निर्भर होने से रोकना और स्कूली शिक्षा प्रणाली की कमियों की पहचान करना है। विशेष कर तर्क शीलता, आलोचनात्मक सोच,विश्लेषणात्मक क्षमताओं और नवाचार जैसे जरूरी कौशलों के बजाय रटकर सीखने की प्रवृत्ति पर कमेटी गहराई से विचार करेगी।

यह डमी स्कूलों के उभरने के कारणों की जांच करेगी, जहां छात्र औपचारिक स्कूली शिक्षा से कट कर सिर्फ कोचिंग करते हैं। कमेटी यह भी देखेगी कि कैसे ये डमी स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं

9 सदस्यीय कमेटी, 9 बिंदुओं पर मंथन

>स्कूली शिक्षा में कोचिंग पर निर्भयता के कारणों की पहचान

>डमी स्कूलों की भूमिका और उनके नकारात्मक प्रभाव का अध्ययन
>प्रवेश परीक्षाओं की निष्पक्षता और उनके डिजाइन की समीक्षा

>स्कूली और उच्च शिक्षा स्तर पर फॉर्मेंटिव असेसमेंट की भूमिका
>छात्रों की वैचारिक समझ और परीक्षा तैयारी पर असर

>उच्च शिक्षा में सीटों की सीमित संख्या और उसका प्रभाव
>करियर विकल्यों की जानकारी की कमी का आकलन

>स्कूलों और कॉलेजों में करियर गाइडेंस की स्थिति की समीक्षा

>कोचिंग उद्योग पर नियंत्रण और वैकल्पिक व्यवस्थाओं के सुझाव।

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