भारत में चिप लाएंगी 10 लाख नौकरियाँ 

भारत में चिप लाएंगी 10 लाख नौकरियाँ 

2026 तक सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री से भारत में 10 लाख नौकरियां पैदा हो सकती हैं। यह बात एनएलबी सर्विसेज की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। जानते हैं कि कैसे भारत बन सकता है सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में आत्मनिर्भर?

20वीं सदी में जैसे दुनिया में तेल को लेकर होड़ थी, 21वींसदी में अब लड़ाई सेमीकंडक्टर व्यापार की है। सेमीकंडक्टर की चिप हर जगह हैं। हमारी कारों में हैं, हमारे मोबाइल फोन में हैं, कंप्यूटरों-लैपटॉप में हैं। यहां तक कि हथियारों में भी इनका उपयोग होता है। यानी कहा जाए तो भविष्य सेमीकंडक्टर चिप्स के बिना संभव नहीं है। अमेरिका और चीन के बीच तो ‘चिप वॉर’ तक शुरू हो गया है। अमेरिका कोशिश कर रहा है कि चीन को एआई चिप्स किसी भी कीमत पर ना मिले। आर्थिक इतिहासकार क्रिस मिलर ने ‘चिप वॉर’ पुस्तक लिखी है। इस किताब में वे कहते हैं, “सेमीकंडक्टर का उद्योग केवल एक तकनीकी क्षेत्र नहीं है। यह दुनिया में शक्ति के संतुलन को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण टूल बन चुका है।’ अमेरिका की कंपनियों जैसे ईंटेल, सैमसंग और एनवीडिया ने इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बड़े निवेश किए हैं। इस सेक्टर में भारत भी पीछे नहीं है। भारत भी सेमीकंडक्टर बनने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है। हमने 15 अरब डालर/(लगभग 1,26 लाख करोड़ रुपए) की लागत से तीन सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने की योजना बनाई है। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि सेमीकंडक्टर बाजार से भारत को कितना फायदा हो सकता है।

सेमीकंडक्टर के बाजार में हमारी दिलचस्पी क्यों?

2026 तक 10 लाख जॉब्स पैदा होंगी

एनएलबी सर्विसेज द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार सेमीकंडक्टरके क्षेत्र में भारत में 2026 तक लगभग 10 लाख नीकरियांपैदा होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है किभारत में एक कुशल वर्कंफोर्स की आवश्यकता होगी, जिसमेंइंजीनियर, ऑपरेटर और तकनीशियन शामिल होंगे। यहीवजह है कि भारत इस क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ा रहा हैं।

दूसरों पर निर्भरता कम करना

इंडिया ब्रंड इक्विटी फांडेशन के अनुसार भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार 2025 तक 400 अरब डॉलर (33लाख करोड़ रु.) तक पहंचने की उम्मीद है। इसके पीछे मुख्य कारण भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स की बढ़ती घरेलू मांग है। स्माटफोन, लैपटॉप और टीवी डिवाइसेज के बाजार में बढ़ोतरी की वजह से भारत सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में आत्मनिर्भर होना चाहता है। वर्तमान में भारत अपनी सेमीकंडक्टर जरूरतों का 80% से अधिक आयात करता है, जिसकी वार्षिक लागत लगभग 24 अरब डॉलर (2 लाख करोड़ रु.) है।

ग्लोबल डिमांड में हिस्सेदारी बढ़ाना

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में ‘सेमीकॉनइंडिया कॉन्फ्रेंस में कहा था कि भारत का सेमीकंडक्टरमिशन सिर्फ घरेलू मांग को पूरा करने के लिए नहीं है, बल्कि वह ग्लोबल डिमांड में अपना योगदान देना चाहता है। भारत ने 10 अरब डॉलर की प्रोत्साहन राशि का बजट भी इसषसेक्टर के लिए रखा है। इसमें इंटेल, टीएसएमसी और ग्लोबल फाउंड्रीज जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में निवेश पर विचार कर रही हैं। भारत खुद को चिप निर्माताओं के लिए चीन का एक आकर्षक विकल्प बन रहा है।फिलहाल भारत ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में सिर्फ 3 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है।

चिप खरीदी की लागत कम करना

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में निवेश भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स व्हीकल्स,5जी और अन्य इमेजिंग टेक्नोलॉजी के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। सेमीकंडक्टर नई इलेक्ट्रॉनिक्स लिए आवश्यक हैं, जो स्मार्टफोन से लेकर कारों तक, हर फील्ड्स में इस्तेमाल होते हैं। उदाहरण के लिए भारत 5जी का रोल आउट कर रहा है, ऐसे में सेमीकंडक्टर की मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है। घरेलू सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग टेलीकॉम कंपनियों के लिए खरीदी की लागत को कम कर सकता है। ऐसा अनुमान है कि 2030 तक भारत की आधी आबादी 5जी का उपयोग कर रही होगी।

आखिर दुनिया के लिए सेमीकंडक्टर इतना जरूरी क्यों?

सेमीकंडक्टर चिप को इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स का दिल माना जाता है। स्मार्टफोन्स से लेकर कार तक में इन चिप्स का इस्तेमाल होता है। सेमीकंडक्टर चिस सिलिकॉन से बनाई जाती है, जिसे इलेक्ट्रिसिटी का अच्छा कंडक्टर कहते हैं। इन चिप्स की मदद से ही कई आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स को पावर मिलती है।

चिप की कमी से 20 लाख करोड़ का नुकसान हो चुका

सेमीकंडक्टर ग्लोबल अर्थव्यवस्था के लिए कितना जरूरी है, इसे आंकड़ों से समझते हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2021 में सेमीकंडक्टर की कमी के कारण लगभग 240अरब डॉलर (20 लाख करोड़ रु.) का नुकसान हुआ था। चिप की कमी के दौर मेंव2021 के पहले नौ महीनों में वैश्किक ऑटों उत्पादन 26% तक गिर गया था। जानते हैंशकि चार बड़ी कंपनियों को इससे कितना घाटा हुआ थाः

चिप शॉर्टेज से दिग्गज कंपनियों को ऐसे हुआ था नुकसान

1. एपलः 2021 की चौथी तिमाही मेंकरीब 6 अरब डॉलर (करीब 50 हजारकरोड़) के रेवेन्यू का नुकसान हुआ था।कंपनी का प्रोडक्शन गिर गया था।3. सैमसंगः चिप की करमी ने स्मार्टफोनऔर अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन मेंकमी ला दी थी, जिसकी वजह से 2021की तीसरी तिमाही में सैमसंग के लाभ में17 फीसदी तक की गिरावट देखी गई थी।भविष्यः अमेरिका-चीन में चिप वॉर से भारत के पास मौका!अमेरिका-चीन में चिप को लेकर जंग जारी है। अमेरिका नै ताजा निर्देश में ताइवान कीकंपनी टीएसएमसी को निर्देश दिया है कि वह चीन के साथ चिप का विजनेस रोक दे।2022 में भी अमेरिका ने एनवीडिया और एएमडी को चौन को एआई चिप्स ना बेचनेको कहा था। ‘चिप वॉँर’ किताब के लैखक क्रिस मिलर कहते हैं कि चिप कंपनियांअब समानांतर योजना बना रही हैं। एक योजना चीनी बाजार के लिए और दूसरी बाकीदुनिया के लिए। । 2023 में सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में चीन का मार्केट 1793 अरब डॉलरथा, जिसका बड़ा हिस्सा भारत के पास आ सकता है।

2. सोनी: 2021 में कंपनी प्लेस्टेशन5बना रही थी। लेकिन जितना कंपनी नेप्रोडेक्शन का लक्ष्य रखा था, उससे कंपनी30 लाख यूनिट कम बना पाई थी।4. फोर्ड; कंपनी को अपने कई प्रो जेक्टसको अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था,जिसके चलते फोर्ड ने 2021 में अपनेलाभ में 2.5 अरब डॉलर के नुकसान काअनुमान लगाया था।

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