आरक्षक भर्ती-2025: 7500 पदों पर भर्ती, रोजगार पंजीयन की शर्त हटाई , ट्रेड आरक्षक के लिए वैकेंसी नहीं

कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) ने पुलिस भर्ती 2025 का नोटिफिकेशन जारी किया है। इसबार 7500 पदों पर भर्ती होगी। इधर नोटिफ्केशन जारी होते ही विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, सरकार ने रोजगार पंजीयन की अनिवार्यता हटा दी है।

युवाओं का कहना है कि इस शर्त के हटने से बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों को लाभ मिलेगा और मप्र के युवाओं के अवसर कम होंगे। 2017 से अब तक तृतीया- चतुर्थ श्रेणी भर्तियों में जीवित रोजगार पंजीयन की शर्त अनिवार्य थी। समूह-2 और उपसमूह-3 की भर्ती में भी यही शर्त लागू थी। ESB का कहना है कि उसे पुलिस मुख्यालय से जो नियम मिले हैं, उसमें रोजगार पंजीयन की शर्त का प्रवधान नहीं है।

24 घंटे में 1.50 लाख रूल बुक डाउनलोड:
नोट्रिफिकेशन जारी होने के 24 घटे में 1.50 लाख से अधिक उम्मीदवार रूलबुक डाउनलोड कर चुके हैं। इस बार 10 लाख से ज्यादा आवेदन आने की संभावन है। पिछली भर्ती (2023) में 9.68 लाख आवेदन आए थे।

ट्रेड आरक्षक के लिए वैकेंसी नहीं – 6800 पद जिला बल और 700 पद विशेष सशस्त्र ब्ल (एसएएफ) के हैं। नाई, धोबी,मोची, कुक, वाटर कैरियर, विगुलर, टेंट खलासी और चालक जैसे ट्रेड आरक्षक पद इस बार भी शामिल नहीं हैं। इनकी वैंकैसी आखिरी बार 2017 में आई थी।

कितनी कड़ी होगी प्रतियोगिता अनुमान के मुताबिक, इस भर्ती परीक्षा के लिए 10 लाख आवेदन आते हैं, तो एक पद पर 133 उम्मीदवार बैठेंगे। पिछली भर्ती (2023) मे) में 9.68 लाख आवेदन आए थे और पद 7,091 पद थे, यानी एक पद पर औसतन 136 उम्मीदवार। इस हिसाब से प्रतियोगिता का स्तर लगभग वही रहेगा, पर बाहरी उम्मीदवारों की एंट्री से स्थानीय युवाओं पर दबाव बढ़ सकता है। महिलाओं के आरक्षण पर हकीकत 2025 में महिलाओं के लिए 35% यानी 2,380 पद आरक्षित हैं, पर लिखित परीक्षा में अलग कट-ऑफ तय नहीं होगा।

मतलब- माहिलाओं को तभी फायदा मिलेगा जब वे पुरुषों जितना ही स्कोर करें ।

2023 की भर्ती में महिला उम्मीदवारों की संख्या लगभग 2.5 लाख थी। लिखित और शारीरिक परीक्षा पास करने के बाद चयनित महिलाओं का प्रतिशत 11% से भी कम रहा।

2025 में 2380 पद आरक्षित तो हैं, लेकिन पर्याप्त
महिलाएं क्वालिफाई नहीं करतीं तो ये पद ओपन कैटेगरी से भरे जाएंगे। यानी सीटें ब्लॉक नहीं होंगी।

2020-21 में केवल 1.6% बाहरी उम्मीदवारों का चयनहुआ (मप्र: 5906, बाहरी: 94)। यह दर्शाता है कि मप्र के उम्मीदवारों का प्रदर्शन बेहतर रहा है।

मप्र पुलिस में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 8% है,जबकि राष्ट्रीय औसत 10.5% है। कॉन्स्टेबल स्तर पर यह आंकड़ा 6% और अधिकारी स्तर पर 11% है। यदि वर्तमान भर्ती दर बनी रही, तो 33% महिला आरक्षण पूरा करने में 43 साल लग सकते हैं।

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