क्रायोजेनिक एटोमिक घड़ी

क्रायोजेनिक एटोमिक घड़ी

दुनिया की सबसे सटीक घड़ियाँ, एटोमिक क्लॉक्स अब एक नई छलांग लगा रही हैं । वैज्ञानिकों ने बेहद ठंडे तापमान पर काम करने वाली क्रायोजेनिक ऑप्टिकल एटोमिक क्लॉक बनाई है। इसकी सटीकता इतनी जबरदस्त है कि 3 लाख साल में भी 1 सेकंड नहीं चुकेगी। इसका मतलब समय मापने की दुनिया अब बिल्कुल नए स्तर पर पहुंच सकती है, वो भी सटीकता के साथ।

• एटोमिक क्लॉक क्या होती है ?


एटोमिक क्लॉक ऐसी घड़ी होती है जो परमाणुओं की धड़कन गिनकर समय मापती है। आम घड़ियाँ कंपन या बैटरी से चलती हैं, वहीं एटोमिक क्लॉक्स परमाणुओं की ऊर्जा-तरंगों से सेकंड तय करती हैं, इसलिए बेहद सटीक होती हैं।

• इसमें नया क्या हुआ है ?


इस क्रायोजेनिक एटोमिक क्लॉक को लगभग शून्य डिग्री के पास चलाया जाता है, जिससे परमाणुओं में होने वाली हल्की-सी हलचल भी लगभग खत्म हो जाती है। इस वजह से समय मापन में गलती लगभग न के बराबर रह जाती है। परफेक्ट टाइमिंग ही इसकी असली ताकत है।

 

• इससे हमें क्या फायदा होगा ?


जीपीएस और नेविगेशन: रास्ते बताने में और ज्यादा सटीकता। सैटेलाइट सिस्टम: टाइमिंग ज्यादा परफेक्ट, इसलिए बेहतर संचार। क्वांटम इंटरनेट: सुपर-सिक्योर और तेज नेटवर्किंग। स्पेस मिशन: अंतरिक्ष में दूरी-समय मापने में क्रांति। पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण मापन: धरती के अंदरूनी बदलाव भी पकड़े जा सकते हैं।

• क्या इससे हमारी रोज की घड़ियां बदल जाएंगी?

अभी तो नहीं। पर यह तकनीक धीरे-धीरे स्मार्टफोन, इंटरनेट, बैंकिंग टाइम-सिंक और सैटेलाइट सिस्टम को ज्यादा भरोसेमंद बना देगी। यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में अमर वुथा और उनकी टीम ने इस क्रायोजेनिक ऑप्टिकल एटोमिक क्लॉक विकसित की है। अभी यह शोध-अवस्था में है। इसे रोजमर्रा की तकनीक तक पहुंचने में कुछ साल लगेंगे। लेकिन भविष्य में यह दुनिया की हर डिजिटल तकनीक का मेन इंजन बन सकती है।

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