द्रोणाचार्य पुरस्कार

द्रोणाचार्य पुरस्कार खेलों में उत्कृष्ट प्रशिक्षक यानी कोच को दिया जाता है। इस पुरस्कार का नाम गुरु द्रोण के नाम पर रखा गया है, जिन्हें “द्रोणाचार्य” या “गुरु द्रोण” के रूप में जाना जाता है। वे ‘महाभारत’ के एक पात्र रहे हैं।

किसे मिला पहला पुरस्कार

पुरस्कार के पहले प्राप्त कर्ता भालचंद्र भास्कर, भागवत (कुस्ती ), ओम प्रकाश भारद्वाज(मुक्केबाजी) और ओम नांबियार(एथलेटिक्स) थे, जिन्हें 1985 में सम्मानित किया गया था।

यह पुरस्कार प्रतिवर्ष युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा प्रदान किया जाता है। पुरस्कार के लिए चयन मंत्रालय द्वारा गठित समिति द्वारा किया जाता है और उन्हें चार वर्षों की अवधि में लगातार उत्कृष्ट कार्य करने और खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में उत्कृष्टता प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए सम्मानित किया जाता है।

1985 में स्थापित यह पुरस्कार ओलिंपिक खेलों, पैरालिंपिक खेलों,एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों,विश्व चौंपियनशिप और विश्व कप के साथ-साथ क्रिकेट, विदेशी खेलों और पैरा स्पोर्ट्स जैसे आयोजनों में शामिल खेलों को दिया जाता है।

एस. मुरलीधरन(बैडमिंटन)
सुभाष राणा(पैरा शुटिंग)
अर्मेन्डो कोलेको (फुटबॉल)
संदीप सांगवान (हॉकी)
दीपाली देशपांडे (शूटिंग)

पुरस्कार में द्रोणाचार्य की एक कांस्य प्रतिमा, एक प्रमाण-पत्र, औपचारिक पोशाक और 15 लाख रुपए का नकद पुरस्कार शामिल है।

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