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मध्यप्रदेश की स्थलाकृति रूपरेखा
3,08,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के साथ मध्यप्रदेश, राजस्थान के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। यह भारत के उत्तर-मध्य हिस्से में बसा प्रायद्वीपीय पठार का एक हिस्सा है, जिसकी उत्तरी सीमा पर गंगा-यमुना के मैदानी इलाके है, पश्चिम में अरावली, पूर्व में छत्तीसगढ़ मैदानी इलाके तथा दक्षिण में तप्ती घाटी और महाराष्ट्र के पठार है।
मध्यप्रदेश की स्थलाकृति नर्मदा-सोन घाटी द्वारा सुनिश्चित होती है। यह एक संकीर्ण और लंबी घाटी है, जिसका विस्तार पूरे राज्य में पूर्व से पश्चिम तक फैला हुआ है। सोन घाटी से ऊपरी भाग बनता है, शहडोल और सीधी जिलें इस घाटी में बसे हैं। निचले हिस्से से नर्मदा घाटी बनती है। यहां की औसत ऊंचाई एमएसएल से ऊपर 300 मीटर है और यहां की भूमि जलोढ़ मिट्टी से आच्छादित है। इस क्षेत्र में जबलपुर, मंडला, नरसिंहपुर, होशंगाबाद, रायसेन, खंडवा, खरगोन और बड़वानी जिले आते है। सोन घाटी से नर्मदा घाटी संकरी है और तुलनात्मक रूप से जमा जलोढ़ भी खराब और पतला है, इसलिए कृषि गतिविधियों के लिए सोन घाटी की तुलना में नर्मदा घाटी अधिक महत्वपूर्ण है। घाटी के उत्तर में मध्यवर्ती पहाड़ी इलाक़ा, दक्षिण में सतपुड़ा-मैकल पर्वतमाला और दक्षिण-पूर्व में पूर्वी पठार है। राज्य इन तीन हिस्सों में, प्राकृतिक भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित है | केन्द्रीय पहाड़ी इलाक़े, नर्मदा-सोन घाटी और अरावली पर्वतमाला के बीच त्रिकोणीय रूप में पश्चिम में फैले हुए हैं। पहाड़ी इलाक़े उत्तर की ओर ढलते हुए यमुना में समा जाते है। राज्य के केन्द्रीय पहाड़ी इलाक़े, निम्नलिखित चार ऊपरी भूभाग में शामिल हैं: विंध्य पठार के रूप में भी पहचाना जानेवाला रीवा-पन्ना पठार, केन्द्रीय पहाड़ी इलाक़ों के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है। इस क्षेत्र में बहनेवाली मुख्य नदियों में केन, सोनार, बर्ना और टन शामील है। इस क्षेत्र में रीवा, पन्ना, सतना, दमोह और सागर यह जिले आते है|
रीवा-पन्ना पठार के उत्तर पश्चिम में स्थित बुंदेलखंड, एक अन्य पठार है। इस क्षेत्र में बसे दतिया, छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ और गुना तथा शिवपुरी जिलों से राज्य का उत्तरी भाग बना है। यह पठार उत्तर-पूर्व में विंध्य अथवा रीवा-पन्ना पठार की कुदरती ढाल से घिरा हुआ है। क्षेत्र की औसत ऊंचाई एमएसएल से ऊपर 350-450 मीटर है और इसकी सामान्य ढलान उत्तर की ओर है। बेतवा, धसन और जामनेर इस क्षेत्र में बहने वाली मुख्य नदियां है, जो अंत में यमुना में मिल जाती हैं। बुंदेलखंड पठार के पश्चिम में स्थित मध्य भारत, तिसरा पठार है। इस क्षेत्र में शिवपुरी, मुरैना और ग्वालियर जिले मौजूद हैं। इस पठार के पहाड़ी इलाक़े 150-450 मीटर की औसत ऊंचाई पर है और घाटियों में एमएसएल से ऊपर 450 मीटर की औसत ऊंचाई पर है। चंबल, काली सिंध और पार्वती, इस क्षेत्र में बहने वाली मुख्य नदियां हैं|
चौथे मालवा पठार में लगभग पूरा पश्चिमी मध्यप्रदेश शामिल हो जाता हैं। पठार के उत्तर में चंबल और दक्षिण में नर्मदा है। पर्वतमाला की औसत ऊंचाई एमएसएल से ऊपर 300-500 मीटर है। इस क्षेत्र में शाजापुर, देवास, इंदौर, उज्जैन, धार, रतलाम और सीहोर के कुछ हिस्से और झाबुआ जिला शामील है। मालवा पठार के पूर्वी किनारे पर भोपाल स्थित है। मालवा पठार से गुजरते हुए शिप्रा, पार्वती, काली सिंध, गंभीर और चंबल नदियों का प्रवाह बहता है। यह गंगा और नर्मदा के प्रवाह को भी अलग करती है। बेसाल्ट अपक्षय के परिणाम स्वरूप इस क्षेत्र की मिट्टी काली है।
सतपुड़ा-मैकल पर्वतमाला, नर्मदा-सोन घाटी के उत्तर-पूर्व में तथा दक्षिण और पूर्वी पठार क्षेत्र में स्थित है। छिंदवाड़ा, बैतूल, सिवनी, बालाघाट, मंडला और खंडवा तथा खरगोन जिलों के कुछ हिस्से सतपुड़ा-मैकल पर्वतमाला में बसे हुए है। इन मालाओं की औसत ऊंचाई 300 मीटर है, लेकिन वहाँ कुछ उच्च चोटियां भी हैं, जिनमे 1360 मीटर ऊंचाई वाला धूपगढ, राज्य की सबसे ऊंची चोटी है। दक्षिण में ढलान तेज है और उत्तरी किनारे पर सौम्य है।
अर्द्ध चक्र के रूप में फैला हुआ पूर्वी भाग अर्थात सतपुड़ा, पश्चिमी भाग से अधिक व्यापक है, जो मैकल पर्वतमाला के रूप में जाना जाता है। मैकल पर्वतमाला मे अमरकंटक पठार शामील है,, जो नर्मदा और सोन, दोनों नदियों का उद्गम है। जोहिला, मछेर्वा, देनवा और छोटी तवा इस क्षेत्र की अन्य नदियों है, जो नर्मदा में समा जाती है।
मैकल पर्वतमाला और छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्र के बीच बसे पूर्वी पठार क्षेत्र में बघेल खण्ड पठार बसा हुआ हैं, जो एमएसएल से ऊपर 1033 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।