भारत-चीन: साझेदारी !

4, शिक्षा-संस्कृति: काफी संभावना
यह ऐसी चीज है, जो गलवान विवाद के बाद पूरी तरह कटगई थी। इसमें पुनरुद्धार की संभावना थी और जो धीरे-धीरे हो भी रहा है। यह फिर से लौटेगा, अगर चीन सीमा मसलों को लेकर दोबारा से कोई गल्लती नहीं करे। चीन के खिलाफ भारत में एक माहौल है। यहां लोगों में उसके प्रति बहुत ज्यादा गर्मजोशी नहीं है। लेकिन शिक्षा और संस्कृतिक आदान-प्रदान के जरिए दोनों देश एक-दूसरे को समझने की बेहतर कोशिश कर सकते हैं और करनी भी चाहिए। लेकिन यह भी अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि केवल इससे सामरिक संबंधों में कोई बहुत बड़ा बदलाव आ जाएगा।

युद्ध क्यों हुआ था? 1962: चीन ने क्यों किया था एक तरफा युद्ध विराम?

21 नवंबर 1962 को चीन ने भारत के साथ युद्धविराम घोषित कर दिया, जबकि वह स्पष्ट रूप से बढ़त पर था। यह युद्ध भारत के लिए गहरा सदमा था, खासकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की छवि को इससे चोट पहुंची थी। चीन के लिए यह न सिर्फ भारत, बल्कि पश्चिमी दुनिया के लिए भी अपनी ताकत का प्रदर्शन था।

1962 के युद्ध के कई कारण थे। 1950 में जब तिब्बत बफर के तौर पर हटा तो चीन ने बॉर्डर एरिया पर नियंत्रण करने की कोशिश की। इस समय चीन को भारत तिब्बत के एक समर्थक के तौर पर नजर आया। फिर चीन ने अक्साई चीन को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की। इसको लेकर विवाद का शुरुआत हुई और इस तरह यह एक युद्ध में तब्दील हो गया। युद्ध की एक की एक परोक्ष वजह और भी मानी जाती है। उस समय चीन में माओ जेडोंग की ‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ नीति, जिसका उद्देश्य देश को कृषि प्रधान से बाहर निकालकर आधुनिक राष्ट्र बनाना था, के प्रति जनता में असंतोष था। युद्ध का मकसद उनकी घटती लोकप्रियता पर परदा डालना भी था।

1. सीमा विवादः कोई उम्मीद नहीं

चीन भारत के सामने हमेशा एक सामरिक चुनौती खड़ी करता है और खड़ी करता रहेगा। सीमा विवाद इसका एक हिस्सा है। गलवान में जिस पाईंट पर झड़प हुई थी, वहां से दोनों सेनाएं पीछे हट गई हैं, लेकिन क्षेत्र पूरी तरह से खाली नहीं हुआ है। दोनों ने जिस तरह से सीमाओं पर अपनी-अपनी सेनाओं को मोबेलाइज किया है, उससे लगता नहीं है कि इस प्रक्रिया में कोई तेजी आएगी।

2, बीआरआई: वेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव घेरने का प्रयास

भारत के सामने एक दूसरी बड़ी चुनौती है चीन द्वारा शुरूकिया गया वेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई)। इसके जरिए उसने भारत के चारों ओर इंफ़रास्ट्रक्चर का जाल बिछा दिया है। इससे चीन की सैन्य क्षमता हिंद महासागर तक आ गई है। तो चीन केवल आर्थिक व सैन्य ताकत ही नहीं,बीआरआई द्वारा भी भारत को घेरने का प्रयास कर रहा है।

3.अविश्वास : एक गहरी खाई

दोनों के बीच अविश्वास की एक गहरी खाई है जिसे पाटने में बहुत समय और में लगेगा। हाल ही में ऑब्जर्वर रिसर्चफाउंडेशन (ओआरएफ) ने भारतीय युवाओं के बीच एक सर्वे किया था। उसमें पाया गया कि चीन पर अविश्वास करने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और अविश्वास की यह धारा आम लोगों से लेकर सत्ता तक जाती है। चीन को लेकर यह स्थिति बनी रहेगी।

4. पाकिस्तान: चीन का मोहरा

चीन जिस तरह से पाकिस्तान के साथ सहयोग करता है, यह भारत के लिए बड़ी चुनौती है। चीन ने कभी भी पाकिस्तान को दूसरे दर्जे का नहीं माना है। उसने हमेशा यही कोशिश की है कि दक्षिण एशिया में वह पाकिस्तान को भारत के समकक्ष रखे। उसकी नीति यह है कि भारत सदैव दक्षिण एशियाई देश के तौर पर बंधा हुआ नजर आए और उसे तोड़कर वैश्विक शक्ति के तौर पर खड़ा न हो पाए।

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