अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा(International Date Line)
(International Date Line)
आप जानते हैं कि जब हम केन्द्रीय या प्रधान मध्याह रेखा से पश्चिम को यात्रा करते हैं तो प्रति देशान्तर की दूरी पार करने पर हमें अपनी घड़ी का समय 4 मिनट घटाना पड़ता है परन्तु पूर्व की यात्रा में 4 मिनट प्रति देशान्तर बढ़ाना पड़ता है। अतः यदि हम सम्पूर्ण पृथ्वी की परिक्रिमा करें अर्थात 360° (180″पू.+180″प.)देशान्तर पार करें तो उस समय तक अपनी घड़ी को 24 घण्टे आगे कर चुकेंगे। इस प्रकार एक दिन का अन्तर पड़ जाता है। पूर्व से पश्चिम की यात्रा में एक दिन घट जायेगा और पश्चिम से पूर्व की यात्रा में एक दिन बढ़ जायेगा यही बात केप्टिन कुक के साथ घटित हुई जब वह विश्व -भ्रमण करने के पश्चात् तीन वर्ष में घर पहुँचा तो उसे ऐसा लगा कि उसकी यात्रा में एक दिन । भूल हुई है इस कठिनाई को दूर करने के लिए मिन्न-भिन्न राष्ट्रों ने एकमत होकर 180° देशान्तर रेखा के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय तिथि-रेखा निश्चित कर ली है। इस रेखा से ही दिन का निकलना माना जाता है। इस प्रकार की कल्पना करने पर विश्व की परिक्रमा में जो एक दिन की भूल होती थी, वह दूर हो जाती है।
जो स्थान इस रेखा के पश्चिम में है अर्थात एशिया की ओर उसके लिए यदि सोमवार आरम्भ होता है तो पूर्व अर्थात् अमेरिका की ओर के स्थानों के लिए रविवार का आरम्भ होता है। जब कोई जहाज इस रेखा को पार कर अमेरिका की ओर जाता है तो जहाज वाले उसी दिन को, जिस दिन यह रेखा पार की जाती है,दुबारा गिनते हैं अर्थात् यदि इस रेखा को उन्होंने रविवार के दिन पार किया है ता अगले दिन को वे सोमवार न मानकर रविवार मानेंगे और यदि वे इस रेखा को पार कर एशिया की ओर जाते हैं तो अपने कैलेण्डर में से एक दिन निकाल लेते हैं। यदि रविवार को रेखा पार करते हैं तो उनके लिए अगला दिन मंगल होगा।
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा की स्थिति ध्यान से देखने पर विदित होगा कि यह रेखा सीधी नहीं है, इसका क्या कारण है? यह रेखा छोर तक देशान्तर के एक छोर। से दूसरे ठीक उसके ऊपर से नहीं निकलती है। बहुत से स्थानों पर उससे हटकर टेढी-मेढ़ी इधर-उधर हो जाती है क्योंकि 180° देशान्तर प्रशान्त महासागर के बहुत-से ऐसे द्वीपों के बीच से होकर जाती है जो एक ही राज्य के अधीन हैं अतः यदि अन्तराष्ट्रीय तिथि रेखा भी 180″ देशान्तर के ऊपर से ही गुजरती हुई मान ली जाती तो कहीं -कहीं एक ही द्वीप पर एक ही दिन में दो तिथियों हो जातीं, जिसके फलस्वरूप बड़ी गड़बड़ी हो सकती थी,इसलिए इस रेखा को 180° देशान्तर रेखा के साथ न रखकर आवश्यकतानुसार टेढ़ा-मेढ़ा बनाया गया है।
तिथि रेखा के चित्र को देखने पर स्पष्ट होता है कि इसका सबसे पहला मोड़ पूर्व की ओर है। साइबेरिया और अलास्का के बीच बेरिंग जल डमरू मध्य में यह 180° देशान्तर से हटकर पूर्व की ओर मुड़ जाती है। इससे थोड़ा दक्षिण की ओर एल्यूशियन द्वीप समूह को बचाने के लिए इस रेखा को पश्चिम की ओर मुड़ना
पड़ता है। इस प्रकार साइबेरिया और अलास्का की तिथियों में अन्तर रहता है। यदि मान लीजिये साइबेरिया में जुलाई की 15 तारीख है तो अलास्का
14 होती है। 180°देशान्तर रेखा फिजी द्वीप समूह के एक द्वीप के मध्य से होकर निकलती है. इसलिए तिथि रेखा के द्वारा एक ही द्वीप समूह के दो भागों के बीच समय में अन्तर होने के कारण काफी असुविधा हो सकती
दक्षिणी गोलार्द्ध में यह रेखा फिजी व टोगा द्वीपों को बचाते हुए इनके चारों ओर घुमकर जाती है। इन द्वीपों में न्यूजीलैण्ड के समान ही तिथि का अंकन होता है।