IPO & FPO

IPO & FPO

आप अक्सर सुनते-पढ़ते होंगे कि कभी इसका कभी उस  कंपनी का आईपीओ खुलने वाला है, इस कंपनी का आईपीओ कई गुना सब्सक्राइब हो गया, उस कंपनी का आईपीओ अच्छा प्रीमियम पर लिस्ट हुआ, या कंपनी के आईपीओ में निवेशकों को नुक़सान उठाना पड़ा। आमतौर पर लोग सोचते होंगे कि आखिर ये आईपीओ है क्या !

समझते है इसका अर्थ – आईपीओ(IPO) और एफपीओ(FPO) क्या है?

आईपीओ (इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग) या आरंभिक सार्वजनिक निर्गम में कोई भी कंपनी पहली बार अपने शेयर सार्वजनिक रूप से बिक्री हेतु ऑफर करती है। इसके बाद ये शेयर स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई/ बीएसई) में लिस्ट हो जाते हैं, जहां इनकी ख़रीद-बिक्री सामान्य रूप से शुरू हो जाती है। पहली बार की शेयर बिक्री को आईपीओ कहते हैं, जबकि कंपनी अगर आगे और शेयर बेचती है तो वह एफपीओ (फॉलो-आन पब्लिक ऑफर) कहलाता है।

कंपनियां क्यों लाती हैं इसे?

कंपनी को अपने विस्तार के लिए वित्त की आवश्यकता होती है, जिसके लिए वो या तो उधार ले सकती है या कंपनी में अपनी कुछ हिस्सेदारी (शेयर) बेचकर वित्त की ज़रूरत पूरी कर सकती है। इसके अलावा एक सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध (लिस्टेड) कंपनी की साख भी बेहतर बनती है क्योंकि लिस्टिंग के बाद उसे कई प्रकार के अनुपालन पूरे करने होते हैं।

कैसे कर सकते हैं निवेश?

किसी भी कंपनी के आईपीओ में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट आवश्यक है जो आप किसी भी डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट / ब्रोकर के पास खुलवा सकते हैं। आप अपने कंप्यूटर या मोबाइल के कुछ क्लिक से ही इसमें अप्लाई कर सकते हं। कोई भी कंपनी अपने आईपीओ एक निश्चित समय के लिए सब्सक्रिप्शन हेतु ऑफर करती है। इस ऑफर में शेयर का प्राइस बैंड और लॉट निर्धारित होता है। एक व्यक्तिगत निवेशक हेतु प्रायः तीन श्रेणियां होती हैं- रिटेल निवेशक (2 लाख रुपये तक), स्मॉल हाईनेटवर्थ इंडिविजुअल यानी एसएचएनआई (2 लाख से 10 लाख रुपये तक) और बिग हाईनेटवर्थ इंडिविजुअल यानी बीएचएनआई (10 लाख रुपये से अधिक) । रिटेल निवेशक एप्लीकेशन में ‘कट ऑफ प्राइज़ भी चुन सकते हैं अर्थात मांग के आधार पर आईपीओ का जो फाइनल प्राइस निर्धारित हो वह प्राइस, जबकि अन्य को प्राइस बैंड के भीतर एक प्राइस चुनना होता है। भुगतान के लिए यूपीआई/ नेट बैंकिंग विकल्प ले सकते हैं। एनएसई बीएसई मेनबोर्ड में लिस्टिंग होने वाले आईपीओ का न्यूनतम लॉट लगभग पंद्रह हज़ार का होता है। जबकि एसएमई कंपनीज़ जो एनएसई/ बीएसई के एसएमई प्लेटफॉर्म पर लिस्टिंग होती हैं उनका न्यूनतम लॉट एक लाख से डेढ़ लाख तक हो सकता है।

शेयर अलॉटमेंट और लिस्टिंग

आईपीओ में अप्लाई करने के बाद भी ज़रूरी नहीं कि शेयर आपको मिल ही जाए, क्योंकि आजकल अधिकांश आईपीओ ओवर सब्सक्राइब हो रहे हैं। ऐसे में शेयर अलॉटमेंट लाटरी द्वारा तय होता है। अगर आपने रिटेल कोटा में निवेश किया है और आईपीओ का रिटेल कोटा 10 गुना ओवर सब्सक्राइब हुआ है तो लगभग 10 में 1 चांस है कि आपको शेयर अलॉट हो। इसलिए आजकल लोग एक अपना ही एप्लीकेशन न डालकर परिवार के कई लोगों के नाम से अप्लाई करने लगे हैं। इसके अलावा कई लोग अंतिम समय में सभी श्रेणियों (रिटेल, एसएचएनआई, बीएचएनआई) के सब्सक्रिप्शन आंकड़े जांचकर उस कोटे में अप्लाई करते हैं जहां सबसे कम आवेदन आए हों, ताकि मिलने के अवसर बढ़ जाएं। ओवर सब्सक्रिप्शन की स्थिति में रिटेल श्रेणी में न्यूनतम पंद्रह हज़ार जबकि एचएनआई श्रेणी में न्यूनतम दो लाख के शेयर अलॉट होते हैं और वो भी लॉटरी से  दिसंबर 2023 से लागू हुए सेबी के नए नियमों के अनुसार किसी भी आईपीओ की क्लोजिंग के तीन कार्यदिवसों के बाद (T+3) लिस्टिंग अनिवार्य हो गई है। शेयर अलॉट होने पर आने वाले मैसेज या मेल में भी लिस्टिंग की तारीख का उल्लेख होता है या आप एनएसई / बीएसई की वेबसाइट पर जाकर उनके सर्कुलर चेक कर सकते हैं। शेयर अलॉट न होने की स्थिति में आपका पैसा खाते में वापस हो जाता है। लिस्टिंग के दिन मांग के आधार पर शेयर का लिस्टिंग प्राइस तय होता है। इस दिन सुबह 9 से 9:45 बजे तक प्री-लिस्टिंग ऑरईर आप डाल सकते हैं, जबकि नए शेयर्स की सामान्य ख़रीद-बिक्री 10 बजे से शुरू होती है। लिस्टिंग अगर इश्यू प्राइस से ऊपर होती है तो आप लिस्टिंग मुनाफ़ा लेकर निकल सकते हैं या कंपनी अच्छी है तो आप इसे लॉन्ग टर्म के लिए रख भी सकते हैं। आईपीओ में अधिक फ़ायदा आईपीओ एक आम आदमी को किसी कंपनी में शुरुआती निवेशक बनने का अवसर देता है। यह निवेश दीर्घकाल में अच्छा मुनाफ़ा दे सकता है। अगर कोई व्यक्ति दीर्घकालिक निवेश नहीं भी करना चाहता है तो बहुत कम समय के निवेश से भी अच्छा लिस्टिंग मुनाफ़ा लेकर निकल सकता है। हाल ही में लिस्टेड टाटा टेक्नोलॉजी कंपनी के शेयर 500 रुपये के आईपीओ प्राइस की तुलना में 1200 रुपये में लिेस्ट हुए, मतलब 15,000 रुपये का निवेश लिस्टिंग के दिन 36,000 रुपये हो गया और भाग्यशाली निवेशकों को 140 प्रतिशत का लिस्टिंग मुनाफ़ा मिला मात्र सात दिनों में । अब तो आईपीओ के बंद होने के तीन दिनों के बाद लिस्टिंग की अनिवार्यता के नियम से ज्यादा दिन पैसे ब्लॉक भी नहीं रहते और शेयर अलॉट नहीं होने पर भी पैसे दो-तीन दिनों में अनब्लॉक हो जाते हैं।

नुकसान भी हो सकता है आईपीओ लिस्टिंग लाभ की जगह लिस्टिंग हानि भी करा सकते हैं। कई बार कंपनियां बहुत ऊंचे दामों पर आईपीओ लाती हैं ।

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