कोचिंग संस्थानों के लिये नई गाइडलाइंस, मध्यप्रदेश में लागू करने की घोषणा
हाल ही में शिक्षा मंत्रालय (MoE) ने कोचिंग संस्थानों को विनियमित करने और निजी कोचिंग संस्थानों की अनियंत्रित वृद्धि पर प्रबंधित लगाने हेतु दिशा-निर्देश दिए ।
कोचिंग संस्थानों के लिये प्रमुख दिशा-निर्देश क्या हैं?
आयु संबंधी प्रतिबंध: कोचिंग संस्थानों पर 16 वर्ष से कम आयु के छात्रों के नामांकन पर प्रतिबंध लगाया गया है। माध्यमिक विद्यालय की परीक्षा पूरी करने के बाद ही छात्रों को नामांकन की अनुमति होगी।
शिक्षकों की योग्यता: इन संस्थानों के शिक्षकों के पास कम-से-कम स्नातक की योग्यता होनी चाहिये, नैतिक अधमता के दोषी व्यक्तियों को नियुक्त करना निषिद्ध है। नैतिक अधमता का अर्थ है- सामाजिक कल्याण के विपरीत किया गया कार्य।
झूठे वादों और आश्वासन पर नियंत्रण: कोचिंग संस्थानों को भ्रामक दावे करने, रैंक की गारंटी देने अथवा अच्छे अंकों का आश्वासन देने के संबंध में भी निर्देश जारी किये गए हैं।
कोचिंग की गुणवत्ता, सुविधाओं अथवा परिणामों के संबंध में भ्रामक विज्ञापन प्रस्तुत करना सख्त वर्जित हैं।
वेबसाइट अद्यतन :अद्यतन कोचिंग संस्थानों के पास शिक्षक योग्यता, पाठ्यक्रम, अवधि, छात्रावास सुविधाओं एवं शुल्क संबंधी अद्यतन जानकारी प्रदान करने वाली एक वेबसाइट होनी आवश्यक है।
मानसिक स्वास्थ्य: छात्रों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं की बढती संख्या के जवाब में, उक्त दिशा-निर्देश कोचिंग संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल देते हैं। इसके अंतर्गत एक परामर्श प्रणाली स्थापित करना, मनोवैज्ञानिकों और परामर्शदाताओं के बारे में जानकारी प्रदान करना एवं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर शिक्षकों को प्रशिक्षण देना शामिल है।
शुल्क विनियम: उचित ट्यूशन फीस की व्यवस्था और किसी छात्र द्वारा समय से पूर्व पाठ्यक्रम छोड़े जाने की स्थिति में उसे आनुपातिक आधार पर रिफंड प्रदान किया जाना चाहिये।
समावेशी नीतियाँ: कोचिंग संस्थानों में धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान अथवा वंश के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिये। महिला छात्रों, दिव्यांगजनों और उपेक्षित समूहों के प्रतिनिधित्त्व में वृद्धि करने हेतु विशेष प्रयास किये जा सकते हैं।
बुनियादी ढाँचा संबंधी मानक: ‘कक्षा में प्रति छात्र न्यूनतम एक वर्ग मीटर’ जैसे अवसंरचनात्मक मानक का पालन किया जाना चाहिये। कोचिंग संस्थान भवनों को अग्नि सुरक्षा संहिता, भवन सुरक्षा संहिता और अन्य प्रासंगिक मानकों के अनुरूप होना आवश्यक है।
दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों का पालन करते हुए इमारतें और परिवेश भी दिव्यांगों के अनुकूल होनी चाहिये।
सरकारी निरीक्षण: सरकार ने उक्त दिशा-निर्देशों के प्रभावी होने के तीन माह के भीतर नए और मौजूदा कोचिंग संस्थान के रजिस्ट्रीकरण का प्रस्ताव रखा है।
राज्य सरकारों को कोचिंग संस्थान की गतिविधियों की निगरानी करने और रजिस्ट्रीकरण अर्हता का अनुपालन सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया है।
ज़ुर्माना: रजिस्ट्रीकरण अथवा सामान्य शर्तों के किसी भी नियम और शर्तों के उल्लंघन के मामले में, कोचिंग संस्थान निम्नानुसार दंड के लिये उत्तरदायी होगा:
प्रथम अपराध के लिये 25,000/- रुपए
द्वितीय अपराध के लिये 1,00,000/- रुपए
पुनः उल्लंघन के लिये रजिस्ट्रीकरण रद्द किया जाना।
नोट: शिक्षा मंत्रालय के अनुसार कोचिंग का अर्थ 50 से अधिक छात्रों को दी जाने वाली शिक्षा की किसी भी शाखा में ट्यूशन, निर्देश अथवा मार्गदर्शन से है, किंतु इसमें परामर्श, खेल, नृत्य, थिएटर और अन्य रचनात्मक गतिविधियाँ शामिल नहीं हैं।
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