हम तक ऐसे पहंचते हैं पेट्रोल और डीजल
7 चरणः हम तक ऐसे पहंचते हैं पेट्रोल और डीजल
भारत की ऊर्जा कूटनीति एक बार फिर वैश्विका सुर्खियों में है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में भारत द्वारा रूस से बड़ी सस्ता कच्चा तेल खरीदने पर सवाल उठाते हुए अनेक भारतीय उत्पादों पर 25 +25 फीसदी तक का टैरिफ लगाने का एलान कर दिया है। वहीं ट्रम्प ने पाकिस्तान में तेल भंडार विकसित करने की बात भी की है। ऐसे में यह सवाल मौजू है कि आखिर किसी क्षेत्र विशेष में तेल की खोज कैसे होती है और यह पेट्रोल -डीजल तथा एलपीजी के रूप में हमा रेवाहनों या घरों तक कैसे पहुंचता है। यह सफर बहुस्तरीय,जटिल और तकनीकी दृष्टि से काफी एडवांस होता है। इस पूरी प्रक्रिया को विस्तार से निम्नलिखित 7 मुख्य चरणों में समझा जा सकता
पहला चरण: तेल क्षेत्रों की खोज़
यह सबसे शुरुआती चरण है। सबसे पहले भूवैज्ञानिक और पेट्रोलियम इंजीनियर संभावित तेल क्षेत्रों की खोज करते हैं। इसके लिए भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, सैटेलाइट इमेजिंग, सिस्मिक वेव एनालिसिस जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। तेल के स्रोत जमीन के नीचे भी हो सकते हैं, तो समुद्र के भीतर भी। जैसे भारत के बाड़मेर के इलाके में तेल क्षेत्र जमीन के नीचे है तो ‘मुंबई हाई’ मुंबई से करीब 160 किलोमीटर दूर बीच समुद्र में स्थित है।
दूसरा चरण: ऑइल वेल ड्रिलिंग
जब इस बात की पुष्टि हो जाती है कि अमुक जगह पर तेल है तो उसके बाद उसमें से पेट्रोलियम पदार्थों को निकालने
के लिए ड्रिलिंग की जाती है। समझने के लिए कह सकते हैं कि यह ड्रिलिंग भी बुनियादी तौर पर वैसे ही की जाती है,जैसे जमीन के भीतर से पानी निकालने के लिए की जाती है। लेकिन तेल की ड्रिलिंग के हर चरण में सुरक्षा, पर्यावरण और तकनीकी पहलुओं का सख्ती से पालन किया जाता है। समुद्र के भीतर यह प्रक्रिया थोड़ी और जटिल होती है। ड्रिलिंग पूरी होने के बाद भूमि या समुद्र तल के भीतर स्थित भंडार से कच्चा तेल, जिसे क्रुड ऑयल कहते हैं, ड्रिलिंग रिग्स और वेल्स द्वारा धरातल पर लाया जाता है।
तीसरा चरणः
क्रूड का परिवहन यह जोखिम भरी, मगर थोड़ी आसान प्रक्रिया होती है। इसमें जमीन के नीचे से कच्चे तेल को हासिल करने के बाद उसमें से पानी और मिट्टी आदि की अशुद्धियों को प्रारंभिक स्तर पर दूर करके उसे टैंकों, पाइप लाइनों या समुद्री बोट्स के माध्यम से रिफाइनरी तक भेजा जाता है। इस चरण में यह सुनिश्चित किया जाता है कि तेल सुरक्षित, आर्थिक और पर्यावरण अनुकूल तरीकों से रिफाइनरियों तक पहुंच सके।
चौथा चरणः
शोधन (रिफाइनिंग) कच्चे तेल से पेट्रोल/डीजल तक की यात्रा का यह सबसे महत्वपूर्ण पढ़ाव है। कच्चे तेल को उपयोगी उत्पादों में बदलने के लिए उसे रिफाइन किया जाता है। यह प्रक्रिया बड़े औद्योगिक संयंत्रों में होती है, जिसे रिफाइनरी कहा जाता है। यह सबसे महंगी प्रक्रिया भी होती है। 2 से 3 करोड़ मीट्रिक टन प्रति वर्ष क्षमता वाली रिफाइनरी की लागत 60 हजार करोड़ रुपए से एक लाख करोड़ रुपए तक हो सकती है। रिफाइनरी में पहला और सबसे अहम कदम है ‘डिस्टिलेशन’। कच्चे तेल को एक सुनिश्चत प्रक्रिया के तहत बहुत उच्च तापमान (लगभग 350-400C) तक गरम किया जाता है, जिससे वह वाष्प और द्रव्य दोनों रूपों में विभाजित हो जाता है। इसे बड़े ‘डिस्टिलेशन टॉवर’ में डाला जाता है, जहां अलग-अलग तापमान पर विभिन्न घटक (फ्रक्शन्स) अलग ट्रे मे जमा हो जाते हैं। सबसे ऊपरी हिस्से में गैस व पेट्रोलियम गैस, बीच में केरोसीन, अशुद्ध डीजल जैसे उत्पाद और सबसे नीचे वाले हिस्से में भारी प्यूल ऑयल, लुब्रिकेंट,डामर आदि जमा होते हैं।
पांचवां चरण:
शुद्धिकरणडिस्टिलेशन से प्राप्त कई उत्पाद वांछित गुणवत्ता के नहीं होते, विशेष कर तेल घटक। अब इस चरण में शुद्धिकरण की प्रक्रिया पुरी की जाती है। सबसे जरूरी मानी जानी वाली इस प्रक्रिया को ‘क्रैकिंग’ कहते हैं। क्रैकिंग में भारी हाइड्रो कार्बन को गर्मी, दबाव और उत्प्रेकों की मदद से छोटे तथा हल्के हाइड्रोकार्बन में तोड़ा जाता है। इसके जरिए मुख्यतः पेट्रोल, डीजल और एलपीजी जैसे उत्पाद हासिल किए जाते हैं। यह प्रक्रिया कैट क्रैंकिंग और थर्मल क्रैकिंग आदि नामों से भी जानी जाती है।
छठवा चरण:
उपचार (टीटमेंट) फाइनल प्रोडक्ट बनने से पहले तेल उत्पादों को कई तरह से परिष्कृत करना पड़ता है। इस प्रक्रिया को उपचार या ट्रीटमेंट कहा जाता है। इसके जरिए सल्फर, धातु आदि अशुद्धियों को हटाया जाता है ताकी और अधिक पर्यावरण अनुरूप बन सके। गैसोलीन, डीजल आदि के लिए ऑक्टेन या सेटेन रेटिंग सुधारी जाती है। रंग,गंध भी ठीक की जाती है। एलपीजी जैसे उत्पादों में वह गैस मिलाई जाती है, जो लीकेज होने पर आगाह करती है।
सातवां चरणः
स्टोरेज, वितरण फाइनल प्रोडक्ट (पेट्रोल, डीजल, जेट फ्यूल, एलपीजी आदि) को विशाल टैंकों में संगृहीत किया जाता है। फिर इसे पाइप लाइनों,ट्रकों, रेलगाड़ियों और जहाजों के माध्यम से पेट्रोल पंपों, हवाई अड्डों,पावर प्लांटों, ओद्योगिक इकाइयों तथा उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जाता है। पूरी सप्लाई चेन का प्रवंधन सख्त सुरक्षा, गुणवत्ता नियंत्रण और पर्यावरणीय मानदंडों के अनुसार किया जाता है।


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