भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India-WII)

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) , भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India-WII) , वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर-इंडिया (World Wide Fund for Nature-India) , भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India-FSI)

सलीम अली पक्षी-विज्ञान और प्राकृतिक इतिहास केंद्र (SACON) ,(कोयम्बटूर)

यह 5 जून, 1990 में शुरू किया गया एक पक्षी शोध संगठन है जो कोयम्बटूर में स्थित है। इसका संपूर्ण वित्तपोषण वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार करता है।
यह कई उद्देश्यों के साथ स्थापित किया गया था। यह जैव विविधता संकट से संबंधित सूचनाएँ इकट्ठा करता है और संबंधित स्थानों से अवगत कराता है। इसकी संस्थापना प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक एवं पर्यावरणविद् सलीम अली के नाम पर की गई। आज यह संगठन पक्षियों के संरक्षण को सुनिश्चित करने के साथ-साथ जैव विविधता संरक्षण के लिये आवश्यक तकनीकी एवं वैज्ञानिक सहायता प्रदान करता है।

वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर-इंडिया (World Wide Fund for Nature-India)

WWF – India

डब्ल्यू-डब्ल्यू एफ-इंडिया की स्थापना 27 नवंबर, 1969 में एक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में की गई थी। इसका उद्देश्य पृथ्वी के प्राकृतिक पर्यावरण में हास को रोकते हुए प्रकृति के साथ मानव जीवन को सौहार्दपूर्ण बनाना है 1987 में वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर-इंडिया की संरचना को नया रूप दिया गया। यह संस्था प्राकृतिक पर्यावरण एवं पृथ्वी पर जीवों के संरक्षण के लिये 40 वर्षो से ज्यादा समय से कार्य कर रही है। WWF-India एक चुनौतीपूर्ण,रचनात्मक, विज्ञान आधारित संगठन है। वल्ल्ड वाइड फण्ड, जो इसका मातृ संगठन है के साथ सहयोग द्वारा प्रजातियों की उत्तरजीविता और उनके आवास,जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरण शिक्षा के मुद्दों को चिह्नित कर उनके संरक्षण हेतु कार्य करता है। WWF-India के उद्देश्य इस प्रकार हैं:

विश्व की जैविक विविधता का संरक्षण करना यह सुनिश्चित करना कि गैर परंपरागत प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग ही संपोषणीय है। प्रदूषण में कमी एवं अनावश्यक उपभोग में कमी को बढ़ावा देना।

भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India-WII)


WII भारत सरकार के बन एवं पर्यावरण मंत्रालय की निगरानी में कार्य करने वाला एक स्वायत्त संस्थान है। इसकी स्थापना 1982।में हुई थी। आज WII एक भारतीय बन्यणीव संस्थान अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्थान है जो वन्यजीव अनुसंधान एवं प्रबंधन के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं एकेडमिक कोर्स संचालित करता है। यह पूरे देश में जैव विविधता के मुद्दे से संबंधित अनुसंधान कार्यक्रम भी चलाता है। WII के पास अनुसंधान से संबंधित संसाधन (Facility) है जिसमें फोरेंसिक, रिमोट सेंसिंग तकनीक और भौगोलिक सूचना तंत्र (Geographic।Information System-GIS). लैबोरेटरी, हरबेरियम एवं इलेक्ट्रॉनिक लाइब्रेरी है। यह संस्थान भारत के उत्तराखण्ड राज्य के दैहरादून में स्थित है।

भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India-FSI)

भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक संगठन है जो नियमित अंतराल में देश के वन संसाधनों के मूल्यांकन का कार्य करता है। दिनांक 1 जून, 198। को स्थापित भारतीय वन सर्वेक्षण ने ‘प्री इन्वेस्टमेंट सर्वे ऑफ फॉरेस्ट रिसोर्सेस (पीआईएसएफआर) का स्थान लिया, जो परियोजना भारत सरकार द्वारा वर्ष 1965 में फूड एवं एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) और यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) द्वारा प्रायोजित किये जाने के साथ देश के चयनित क्षेत्रों के काष्ठ आधारित उद्योगों की स्थापना के।लिये कच्चे माल की उपलब्धता का पता लगाने के मुख्य उ्देश्य के साथ शुरू की गई थी।
1976 में जारी अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय कृषि आयोग ने व्यापक वन संसाधन सर्वेक्षण के माध्यम से नियमित अंतराल पर देश में युक्तियुक्त आँकड़ों का संग्रहण करने के लिये राष्ट्रीय वन सर्वेक्षण संगठन के गठन की सिफारिश की जून 1981 में प्री-इंवेस्टमेंट ऑफ फॉरेस्ट रिसोर्सेज को एफ.एस.आई. में पुनर्गठित किया गया।

संगठन की गतिविधियों की आलोचनात्मक समीक्षा के उपरांत देश की तेज़ी से बदलती आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के प्रति इसे और अधिक संगत बनाने के लिये एफएसआई के अधिदेश को वर्ष 1986 में परिष्कृत किया गया।

मुख्य कार्य

सुदूर संवेदी प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए द्विवर्षीय वन क्षेत्र।मूल्यांकन, वनों तथा वनों के बाहर के वृक्षों की सूची तैयार करना (ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्र), आंकड़ों का रख-रखाव, विभिन्न प्रकार के सर्वेक्षण और सूचियाँ तैयार करने के लिये कार्य पद्धति बनाना, तथा प्रशिक्षण और विस्तार एवं परियोजनाएँ और परामर्श देना।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का गठन एक सांविधिक संगठन के रूप में जल ( प्रदूषण नियंत्रण एवं रोकथाम)अधिनियम, 1974 के अंतर्गत सितम्बर, 1974 में किया गया था। इसके।पश्चात् केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981अंतर्गत शक्तियाँ व कार्य सौंपे गए। यह क्षेत्र निर्माण के रूप में कार्य करता है तथा पर्यावरण(संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को तकनीकी सेवाएँ भी उपलब्ध कराता है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख करार्य ‘जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974’ तथा ‘वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1981’ में व्यक्त किये गए हैं।

1. जल प्रदूषण के निवारण एवं नियंत्रण द्वारा राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में कुओं और सरिताओं की स्वच्छता को सुधारना तथा 

2. देश में वायु प्रदूषण के निराकरण अथवा नियंत्रण के लिये वायु गुणवत्ता में सुधार लाना है।
वायु गुणवत्ता निगरानी (Air Quality Monitoring) वायु गुणवत्ता।प्रबंधन का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम (National Air Monitoring Programme – NAMP) ।वर्तमान वायु गुणवत्ता की स्थिति और प्रवृत्ति को सुनिश्चित करने उद्योगों और अन्य स्रोतों के प्रदूषण को नियमित कर नियंत्रित करने तथा वायु

गुणवत्ता मानकों के अनुरूप रखने के उद्देश्य से की गई है। यह औद्योगिक स्थापना तथा शहरों की योजना तैयार करने के लिये अपेक्षित वायु गुणवत्ता के ऑकड़ों की पृष्ठभूमि भी उपलब्ध कराता है। भारतीय संसद ने हमारे जल निकायों की स्वास्थ्यप्रदता को बरकरार रखने तथा सुरक्षित।रखने के विचार से जल ( प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम,1974 बनाया। जल प्रदूषण से संबंधित तकनीकी तथा सांख्यिकीय आंकड़ो को एकत्र करना, मिलाना तथा उसका प्रसारण करना केन्द्रीय बोर्ड का एक प्रमुख कार्य है। इसलिये जल गुणवत्ता की निगरानी तथा निरीक्षण इसकी सबसे महत्त्वपूर्ण गतिविधि है।

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संचालित कार्यक्रम

निम्नलिखित हैं-

* वायु गुणवत्ता/प्रदूषण

* जल गुणवत्ता/प्रदूषण

* शहरी पर्यावरण

*औद्योगिक पर्यावरण

* पर्यावरणीय योजना

*नगरीय ठोस अपशिष्ट

* ध्वनि प्रदूषण

You may also like...

error: Content is protected !!