हिम क्षेत्र एवं हिमनद क्या है?

हिम क्षेत्र एवं हिमनद क्या है?

हिम रेखा के ऊपर स्थित उस भाग को हिम क्षेत्र कहते हैं, जहाँ सदैव हिम आच्छादित रहती है। ये क्षेत्र सर्वत्र स्थायी रूप में सीमाबन्धन होकर ऋतु परिवर्तन के साथ परिवर्तित होते रहते हैं पृथ्वी पर कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जहाँ पर स्थायी रुप से सदैव बर्फ जमी रहती है ऐसे भागों को स्थायी हिम क्षेत्र (Permanently Snow Fields or Permanent Frost) कहते हैं। पृथ्वी पर आस्ट्रेलिया महाद्वीप के अतिरिक्त शेष सभी महाद्वीपों पर स्थायी हिम क्षेत्र पाये जाते हैं। वर्तमान में सम्पूर्ण पृथ्वी का 24 प्रतिशत क्षेत्र स्थायी हिमावरित (Snow Covered) है जिसका विस्तार लगभग 15 मिलियन वर्ग किलोमीटर में है। कल हिमनदीय बर्फ का 96 प्रतिशत भाग अण्टार्कटिका तथा ग्रीनलैण्ड में नोटी संहति (Thick rnasses) के रूप स्थित है। ये सभी क्षेत्र आर्कटिक महासागरीय तथा अण्टार्कटिक महाद्वीप पर फैले हैं। जहाँ ध्रुवीय  प्रकार की जलवायु (कोपेन द्वारा प्रस्तुत म् जलवायु वर्ग) पायी जाती है। यहाँ ग्रीष्मकालीन तापनान 100C से कम रहता है, जो यहाँ का गरीष्मतम महीना होता है। टुण्ड्रा के आगे वाले भागों में शीतलम तथा कठोरतम Coldest and hardest हिमावरण हैं जिन्हें स्थायी हिम टोपियाँ कहते हैं। ध्रुवीय भागों पर स्थित होने के कारण धरवीय हिम को टोपियाँ (Polar Ice Caps) भी कहते हैं। आर्कटिक भाग में ग्रीनलैण्ड का आन्तरिक कहते हैं। आर्कटिक तथा अण्टार्कटिक क्षेत्र इसमें समाहित हैं। यहाँ पर प्रादेषिक हिम परत पर्वतीय कटकों के रूप में हृष्टिगत होती हैं जिन्हें नुनाटक (Nunatak) कहते हैं।

आर्कटिक क्षेत्र (The Aretic)- इस क्षेत्र में आर्कटिक महासागर तथा समीपवर्ती क्षेत्र को सम्मिलित किया जाता है जिसमें कनाडा का विस्तृत उत्तरी भाग रूस, ग्रीनलैण्ड, स्केण्डेनेविया, आइसलैण्ड तथा अलास्का आदि प्रमुख हैं। इनमें ग्रीनलैण्ड में स्थायी हिमावरण तथा प्लावी बर्फ पुंज (Pack Iee) पाया जाता है। यहाँ हिमनदों से टूटकर प्लावी बर्फ (Iceberg) सागर में पहुंच जाती है, जो सागर तल से 100 मीटर तक ऊपर निकले रहते हैं। अप्रैल 1912 में ऐसी ही प्लावी बर्फ से टकराकर संयुक्त राज्य अमेरिका का टाइटेनिक जहाज डूब गया था। 

अण्टार्कटिका (Antaretica)- यह विश्व का पाँचवा बड़ा महाद्वीप है, जो मुख्यत: अण्टार्कटिका वृत (Antarctica Cirele) के मध्य स्थितसहै। यह पृथ्वी का सर्वाधिक ठण्डा महाद्वीप है। यहाँ पर न्यूनतम तापमान -88-3C वोस्टोक स्टेषन पर 24 अगस्त 1960 को अंकित किया गया। इसके 95 प्रतिशत भाग पर हेमावरित है जो औसतन 2000 मीटर मोटी परत है। हिम की अधिकतम मोटाई 4270 मीटर है। विश्व के कुल स्वच्छ जल संसाधन का 90 प्रतिशत अण्टार्कटिका महाद्वीप में बर्फ के रूप में स्थित है। विश्व तापमान के कारण यह हिमराशि  पिघल रहीं है जिसके फलस्वरूप सागर तल में भी परिवर्तन आयेगा अण्टार्कटिका की विश्व जलवायु एवं महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र के नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका है जहाँ पृथ्वी का प्रारम्भिक वन्यजीवन आवास मिलता है।

हिमनद हिमरेखा से ऊपर स्थित एक विशाल बर्फ संहति (Mass of Ice) को हिमनद कहते हैं जो गुरुत्वाकर्षण के कारण गतिथील रहती है ये उच्च अक्षांशों या उच्च पर्वतीय भागों में स्थित हिमक्षेत्र में गतिशील रहते हैं। हिमनद हिमरेखा के ऊपर बर्फ के संचयन तथा संहनन (Accumulation and Cortpaction) से बनते हैं सम्पूर्ण पृथ्वी पर सभी प्रकार के हिमनदों की संख्या 70,MD0 से 2,00,000 आकलित की गई है।

हिमनद के प्रकार

निर्माण प्रक्रिया, आकार, स्वरूप तथा र्थिति एवं विस्तार की दृष्टि से हिमनद विभिन्न प्रकार के होते हैं। सामान्यतः आकार एवं स्थिति के आधार पर हिमनद चार प्रकार के होते हैं जो इस प्रकार हैं –

1. हिम टोपी (Ice Cap Galeiers)

2. अल्पाइन या घाटी हिमनद (Alpine or Valley Glaciers)

3. पर्वतीय हिमनद (Pleclmont Glacicrs )

4. महाद्वीपीय हिमनद (Ice Cap Glacicrs )

हिम टोपी हिमनद

हिम टोपी हिमनद अल्पाइन एवं महादवीपीय हिमनद का संयोग (Combination) है, जो पर्वतों एवं उच्च पठारों से आवृत रहते हैं। ये अल्पाइन हिमनद तीव्र ढ़ालों पर प्रवाहित होते है। इन्हें लघु महाद्वीपीय हिमनद भी कहते हैं।  50,000 वर्ग किमी से कम विस्तार वाले हिमपिण्डहिम टोपी कहलाते है। नाव्वे का ‘स्वलब्ड आइलैण्ड’, इसी प्रकार का हिमनद है।

अल्पाइन या घाटी हिमनद

पर्वतीय भागों से जब हिम टोपी हिमनद गुरूत्व के कारण नीचे ढालों पर खिसकते हैं तो इन्हें घाटी हिमनद कहते हैं। सर्वप्रथम इनका अध्ययन आल्पस पर्वत पर किया गया जिसके नाम पर इसे अल्पाइन हिमनद भी कहते हैं। हिमालय (एशिया) तथा रॉकीज (उत्तरी अमेरिका) पर्वतों में ऐस हिमनद बहुतायत से मिलते हैं। ये हिमनद नीचे उतरने के साथ ही संकरे होने लगते हैं। घाटी हिमनद हिम रेखा के ऊपर ही पाये जाते हैं। घाटी हिमनद घाटी के शिखर पर सर्क में हिम के संचयन के साथ आरम्भ होता है जो क्रमिक रुप से हिमनद में संलीन होता रहता है।

पर्वतीय हिमनद

ये विस्तृत हिमनदीय आवरण होते हैं, जो अनेक अल्पाइन हिमनदों के अभिसरण तथा सम्मिलन दवारा पर्वतों के आधार पर तली पर बनते हैं। इस प्रकार के हिमनद विशेष रूप से अलास्का में मिलते हैं। मेलारचाइना अलास्का का एक प्रमुख पर्वतीय हिमनद है, जो 3900 वर्ग किमी में विस्तृत है।

महाद्वीपीय हिमनद

ये सघन बर्फ के विस्तृत आवरण होते हैं, जो अपने क्षेत्र की सम्पूर्ण भूसतह को घेरे रहते हैं। इनका विकास किसी विस्तृत क्षेत्र में हिम के सतत् संचयन से विस्तृत हिमचादर बनने से होता है। इसे हिमचादर भी कहते हैं। अण्टार्कटिका में 13.000,00 वर्ग किमी क्षेत्र में महाद्वीपीय हिमनद का विस्तार है। गीनलैण्ड का भी 18,00,00 वर्ग किमी क्षेत्र हिमचादर से आवृत है।

लेबेरडोर हिमनद में जैम्स की खाड़ी के पास हिम की मोटाई 3000 मीटर है। उपर्युक्त हिमनदों में सामान्य वर्गीकरण के अन्तर्गत प्रमुख चार प्रकार के हिमनदों का विवरण दिया जा चुका है। शेष गौण हिमनदीय रूपों का विवरण है

1. बर्फ चादर – हिमचादर का विस्तार 50,000 वग किंमी से अधिक क्षेत्र में होता है। यह समतल गुम्बदाकार रूप में फैली होती है। इसका निर्माण हिम हिमचादर तथा अण्टार्कटिका हिमचादर से होता है जहाँ क्रमशः 11 तथा 85 प्रतिशत हिम स्थित है। इनके अतिरिक्त आर्कटिक कनाडा, आइसलैण्ड तथा नावे में भी अनेक गौण हिमचादर मिलती है।

2. बर्फ छत्रक – ये छोटी हिमचादर होती है, जिसका विस्तार 50,000 वर्ग किमी से कम क्षेत्र में होता है। यह एक स्थायी बर्फ संहति होती हैं जो ऊंचे पर्वतों तथा उच्च अक्षांशों में निकलती हैं। बरनेस बर्फ टोपी तथा बैफिन बर्फ टोपी प्रमुख हिम टोपियाँ हैं।

3. बर्फ गुम्बद – यह बर्फ चादर तथा बर्फ छत्रक का केन्द्रीय भाग होता है।

4. निर्गम हिमनद – निर्गम हिमनद एक धारा होती है, जो बर्फ चादर तथा टोपी के भाग से प्रवाहित होती है। आगे चलकर ये घाटी हिमनद से मिल जाते हैं।

5. हिमताल – यह तटीय भागों से सम्बद्ध तैरती हुई बर्फ चादर होती है। इसका तलीय भागों से कोई घर्षण नहीं होता तथा स्वतन्त्र प्रवाह करती है।

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